दिल्ली की राजनीति में ऐसा बदलाव देखने को मिला है, जिसने सत्ता के समीकरण हिला दिए हैं। 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर दिल्ली की गद्दी पर काबिज हो गई है। भाजपा ने कुल 70 सीटों में से 48 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) सिर्फ 22 सीटों पर कब्जा किया है। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे दिग्गजों की हार ने इस चुनाव को और भी सनसनीखेज बना दिया है।
दिल्ली की सियासी करवट: भाजपा की धमाकेदार वापसी
1993 में भाजपा ने 49 सीटें जीतकर दो-तिहाई बहुमत हासिल किया था, जिसके बाद मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। लेकिन 1998 से 15 साल तक कांग्रेस ने दिल्ली पर राज किया। 2013 से आम आदमी पार्टी सत्ता में थी। इस बार भाजपा ने 68 सीटों पर चुनाव लड़कर 48 पर जीत दर्ज की, 71% की स्ट्राइक रेट के साथ शानदार प्रदर्शन किया। वहीं, आप को 40 सीटों का नुकसान हुआ, स्ट्राइक रेट गिरकर 31% पर आ गया।
केजरीवाल और सिसोदिया को करारी हार
- अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली से भाजपा के प्रवेश वर्मा से 3182 वोटों से हारे।
- जंगपुरा सीट पर मनीष सिसोदिया को तरविंदर सिंह मारवाह ने हराया।
- आतिशी ने कालकाजी सीट से जीत हासिल की।
भाजपा का वोट शेयर बढ़ा, AAP का घटा
- भाजपा के वोट शेयर में 9% से अधिक का इजाफा हुआ।
- AAP के वोट शेयर में 10% से ज्यादा की गिरावट आई।
- कांग्रेस का वोट शेयर 2% बढ़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं मिली।
भाजपा की सीटों में भारी बढ़ोतरी
- पिछले चुनाव (2020) के मुकाबले भाजपा की सीटें 40 बढ़ीं।
- वहीं, AAP को 40 सीटों का नुकसान हुआ।
- कांग्रेस का प्रदर्शन लगातार निराशाजनक रहा।
दिल्ली की हॉट सीटों का हाल
सीट |
AAPउम्मीदवार |
भाजपा उम्मीदवार |
परिणाम |
नई दिल्ली |
अरविंद केजरीवाल |
प्रवेश वर्मा |
आप हारी |
जंगपुरा |
मनीष सिसोदिया |
तरविंदर सिंह मारवाह |
आप हारी |
कालकाजी |
आतिशी |
रमेश बिधूड़ी |
आप जीती |
बाबरपुर |
गोपाल राय |
अनिल कुमार |
आप जीती |
शकूर बस्ती |
सत्येंद्र जैन |
करनैल सिंह |
बीजेपी जीती |
मालवीय नगर |
सोमनाथ भारती |
सतीश उपाध्याय |
बीजेपी जीती |
ग्रेटर कैलाश |
सौरभ भारद्वाज |
शिखा राय |
बीजेपी जीती |
ओखला |
अमानतुल्लाह खान |
मनीष चौधरी |
आप जीती |
पटपड़गंज |
अवध ओझा |
रवींद्र सिंह नेगी |
बीजेपी जीती |
दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव
भाजपा ने लंबे समय बाद राजधानी में बड़ी वापसी की है। AAP के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो रहा है, जहां केजरीवाल और सिसोदिया की हार पार्टी के लिए आत्ममंथन का विषय बन गई है।