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वोटर ID और आधार लिंकिंग पर फिर छिड़ी बहस, चुनाव आयोग ने मांगे सुझाव!

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अगर आप वोट डालने जाते हैं और अचानक पता चले कि आपका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है या कोई और आपके नाम से पहले ही वोट डाल चुका है, तो यह किसी के लिए भी चौंकाने वाला होगा। इसी गड़बड़ी को रोकने के लिए चुनाव आयोग एक बार फिर वोटर ID को आधार से लिंक करने की योजना पर काम कर रहा है।

पहले भी हो चुकी है पहल, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक

इससे पहले 2015 में चुनाव आयोग ने 30 करोड़ वोटर ID को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 55 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से गायब हो गए। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा, जिसके बाद इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी। अब एक बार फिर चुनाव आयोग इसे लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, लेकिन इस बार कानूनी प्रक्रिया का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

चुनाव आयोग की नई योजना

चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा के लिए 31 मार्च से पहले चुनाव अधिकारियों की बैठक बुलाई है और 30 अप्रैल तक राजनीतिक दलों से इस पर सुझाव मांगे हैं। आयोग का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत कानूनी प्रक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए ही इसे लागू किया जाएगा।

लिंकिंग के संभावित फायदे

यदि वोटर ID को आधार से लिंक कर दिया जाता है, तो इसके कई लाभ हो सकते हैं:

  • फर्जी मतदाताओं की पहचान हो सकेगी

  • डुप्लीकेट वोटिंग पर रोक लगेगी

  • मतदाता सूची अधिक पारदर्शी और साफ-सुथरी बनेगी

  • ऑनलाइन वोटिंग और डिजिटल चुनाव सुधारों की राह खुलेगी

फिलहाल स्वैच्छिक प्रक्रिया, लेकिन भविष्य में हो सकती है अनिवार्य

अभी तक वोटर ID को आधार से लिंक करना स्वैच्छिक (Voluntary) प्रक्रिया है। यानी, नागरिक चाहें तो अपने वोटर ID को आधार से जोड़ सकते हैं, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। हालांकि, भविष्य में इसे अनिवार्य बनाया जा सकता है, जिससे चुनाव प्रक्रिया और अधिक मजबूत हो सके।

विपक्ष की आपत्तियाँ और सरकार का रुख

संसद में डुप्लीकेट वोटर ID को लेकर पहले से ही बहस चल रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कई विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाया है। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया कुछ खास वर्गों के मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है। इसी कारण चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि अगले तीन महीनों में डुप्लीकेट वोटर ID की समस्या को हल करने के उपाय किए जाएंगे।

क्या कहता है चुनाव आयोग?

चुनाव आयोग ने भरोसा दिलाया है कि इस बार वोटर ID और आधार लिंकिंग प्रक्रिया में किसी भी वैध मतदाता का नाम गलती से नहीं हटेगा। आयोग की योजना है कि इसे निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से लागू किया जाए, ताकि देश की चुनाव प्रक्रिया को और अधिक मजबूत बनाया जा सके। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या फैसला लेती है और क्या इसे अनिवार्य किया जाएगा या नहीं। फिलहाल, इस पर बहस और चर्चा जारी है।

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