बड़ी खबरें
फिल्म छावा की रिलीज़ के डेढ़ महीने बाद भी औरंगजेब को लेकर बहस तेज़ है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या औरंगजेब जैसे शासक की कब्र को मिटा देना चाहिए? कुछ लोग इसे हटाने की मांग कर रहे हैं, तो कुछ इसे इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। संभाजी नगर (पहले औरंगाबाद) के खुल्दाबाद में स्थित औरंगजेब की कब्र अपनी सादगी के लिए जानी जाती है। यह एक कच्ची मिट्टी की कब्र है, जिसके बीचों-बीच एक छोटा पौधा लगा हुआ है। इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब ने अपनी वसीयत में कहा था कि उसकी कब्र उसी स्थान पर बनाई जाए, जहां उसके उस्ताद सूफी संत हजरत जैनुद्दीन शिराज़ी की दरगाह है। उसने यह भी कहा था कि उसकी कब्र खुली और साधारण रखी जाए।
इस्लाम में कब्र को लेकर नियम क्या कहते हैं?
इस्लामी परंपराओं के अनुसार:
✔ कब्र को पक्की नहीं बनाना चाहिए।
✔ उस पर कोई बड़ा मकबरा या गुम्बद नहीं होना चाहिए।
✔ कब्र पर बारिश और सूरज की रोशनी पड़नी चाहिए।
बाबर और औरंगजेब जैसे शासकों की कब्रें इस सादगी की मिसाल हैं, जबकि हुमायूं का मकबरा और ताजमहल जैसी भव्य इमारतें इस्लामी परंपरा से अलग मानी जाती हैं।
कब्र हटाने की मांग क्यों?
ब्रिटिश काल के दौरान लॉर्ड कर्जन ने हैदराबाद के निजाम से औरंगजेब की कब्र को देखकर कहा था— "इतना बड़ा बादशाह और इतनी साधारण कब्र?" इसके बाद निजाम ने कब्र के आसपास संगमरमर और फर्श लगवाया। हालांकि, औरंगजेब की कब्र अब भी खुले आसमान के नीचे है।ब सवाल उठ रहा है कि क्या इस कब्र को हटाया जा सकता है? शरीयत के अनुसार, कब्र को स्थानांतरित किया जा सकता है, जिसे ‘अमानती दफन’ कहा जाता है।
✔ बाबर को पहले आगरा में दफनाया गया था, बाद में उनकी कब्र अफगानिस्तान शिफ्ट कर दी गई।
✔ मुमताज महल को पहले बुरहानपुर में दफनाया गया था, फिर ताजमहल में शिफ्ट किया गया।
इतिहास मिटाना सही या गलत?
शरीयत के अनुसार, कब्र का स्थायी निशान नहीं रहना चाहिए ताकि ज़मीन का दोबारा इस्तेमाल हो सके। लेकिन क्या ऐतिहासिक महत्व रखने वाली इस कब्र को मिटाना सही होगा? यही सवाल अब सियासी और धार्मिक बहस का मुद्दा बन गया है।क्या औरंगजेब की कब्र का वजूद रहना चाहिए, या इसे हटा देना चाहिए? यह बहस फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रही।
Baten UP Ki Desk
Published : 21 March, 2025, 2:02 pm
Author Info : Baten UP Ki