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क्या आ गयी है कैंसर की वैक्सीन? 48 घंटे में दिखाएगी असर!

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कैंसर, एक घातक और जीवन को चुनौती देने वाली बीमारी, जिसने दुनिया भर में लाखों जिंदगियां छीन ली हैं, अब इसके इलाज में एक नई आशा की किरण उभरी है। रूस ने दावा किया है कि उसने कैंसर के खिलाफ एक प्रभावी वैक्सीन विकसित की है, जिसे 2025 में लॉन्च किया जाएगा। सबसे खास बात यह है कि इस वैक्सीन का असर महज 48 घंटे में दिखने का दावा किया जा रहा है। यह वैक्सीन रूस के नागरिकों के लिए मुफ्त उपलब्ध होगी। आइए, जानते हैं इस वैक्सीन की विशेषताओं, काम करने के तरीके और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में।

कैंसर वैक्सीन की विशेषताएँ: पर्सनलाइज्ड और प्रभावी

रूस की कैंसर वैक्सीन हर मरीज के लिए पर्सनलाइज्ड होगी, जिसका मतलब है कि यह प्रत्येक रोगी के ट्यूमर सेल्स के डेटा के आधार पर तैयार की जाएगी।

प्रभावशीलता:

  • प्रीक्लिनिकल ट्रायल्स में यह वैक्सीन ट्यूमर के विकास को 80% तक धीमा करने में सफल रही है।
  • मेलानोमा (स्किन कैंसर) के मामलों में यह वैक्सीन केवल 48 घंटों में प्रभावी साबित हुई है।

तकनीकी दृष्टिकोण:

वैक्सीन में mRNA तकनीक का उपयोग किया गया है, जो शरीर की इम्यून सिस्टम को कैंसर सेल्स के खिलाफ लड़ने के लिए प्रशिक्षित करती है।

इस वैक्सीन में ट्यूमर सेल्स की जीन सीक्वेंसिंग के बाद पर्सनलाइज्ड टीका तैयार किया जाता है।

वैक्सीन कैसे करेगी काम?

यह वैक्सीनेशन प्रक्रिया वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बेहद उन्नत और व्यक्तिगत है।

  • सबसे पहले, कैंसर रोगी से कैंसर सेल्स का सैंपल लिया जाता है।
  • इस सैंपल की जीन सीक्वेंसिंग करके उसके प्रोटीन की पहचान की जाती है।
  • फिर, पर्सनलाइज्ड mRNA वैक्सीन तैयार की जाती है, जो शरीर को विशेष T-सेल्स बनाने का निर्देश देती है। ये T-सेल्स ट्यूमर पर हमला करके उसे नष्ट करती हैं।
  • इसके बाद, शरीर की इम्यून सिस्टम को इस तरह प्रशिक्षित किया जाता है कि कैंसर फिर से न लौटे।

रूस में वैक्सीन की उपलब्धता: फ्री में मिलेगा इलाज

रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह घोषणा की है कि यह वैक्सीन 2025 में रूस के कैंसर मरीजों के लिए मुफ्त में उपलब्ध होगी। हालांकि, इस वैक्सीन की अंतरराष्ट्रीय उपलब्धता और वितरण के बारे में फिलहाल कोई घोषणा नहीं की गई है।

वैक्सीनेशन की कीमत:

  • रूस में यह वैक्सीन मुफ्त होगी।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी अनुमानित कीमत ₹2.5 लाख हो सकती है।

ऑन्कोलिटिक वायरोथेरेपी: दूसरी बड़ी खोज

  • मात्र mRNA वैक्सीन ही नहीं, रूस एक और कैंसर उपचार तकनीक पर काम कर रहा है जिसे ऑन्कोलिटिक वायरोथेरेपी कहा जाता है।
  • इस तकनीक में, मॉडिफाइड इंसानी वायरस का उपयोग कैंसर सेल्स को टारगेट करने और उन्हें नष्ट करने के लिए किया जाता है।
  • यह वायरस कैंसर सेल्स में जाकर खुद को दोहराता है, जिससे ट्यूमर धीरे-धीरे नष्ट हो जाता है।
  • इस वैक्सीन का नाम एंटेरोमिक्स रखा गया है, और इसका रिसर्च चरण पूरा हो चुका है।

48 घंटे में असर: वैज्ञानिक दृष्टिकोण

रूस की फेडरल मेडिकल बायोलॉजिकल एजेंसी की प्रमुख वेरोनिका स्वोर्त्सकोवा ने बताया कि इस वैक्सीन के परिणाम बेहद तेजी से सामने आए हैं।

  • मेलानोमा (स्किन कैंसर) के मामलों में वैक्सीन का असर 48 घंटों से भी कम समय में देखा गया।
  • यह वैक्सीन न केवल ट्यूमर सेल्स को नष्ट करने में मदद करती है, बल्कि मरीजों की इम्यूनिटी को भी स्थायी रूप से मजबूत करती है, जिससे कैंसर के पुनरावृत्ति की संभावना कम हो जाती है।

वैज्ञानिकों का कहना: एक गेम-चेंजर इनोवेशन

  • अमेरिकी कैंसर विशेषज्ञ एलियास सयूर के अनुसार, इस वैक्सीन ने ब्रेन कैंसर जैसे जटिल मामलों में भी तेजी से असर दिखाया है।
  • अगर यह वैक्सीन वैश्विक स्तर पर लॉन्च होती है, तो यह कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक क्रांति ला सकती है।

नए विकल्प: कैंसर के इलाज में उम्मीद की नई किरण

  • रूस की कैंसर वैक्सीन न केवल चिकित्सा जगत के लिए एक बड़ी खोज है, बल्कि यह कैंसर के खिलाफ लड़ाई में नई उम्मीद लेकर आई है।
  • pRNA तकनीक और ऑन्कोलिटिक वायरोथेरेपी जैसी प्रौद्योगिकियाँ कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा कदम साबित हो सकती हैं।
  • यदि यह वैक्सीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफल होती है, तो यह लाखों जिंदगियाँ बचा सकती है और कैंसर उपचार को और अधिक किफायती तथा सुलभ बना सकती है

एक नई दिशा में कैंसर उपचार की उम्मीद

रूस की कैंसर वैक्सीन वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। हालांकि, क्या यह वैक्सीन कैंसर के खिलाफ अंतिम समाधान साबित होगी, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह खोज कैंसर के इलाज में एक नई उम्मीद लेकर आई है।


Disclaimer: खबर में दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इस खबर का 'बातें यूपी की' कोई दावा नहीं करता है।

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