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क्या भारत का आम नागरिक भी लड़ सकता है जंग? जानिए क्या होते हैं नियम...

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जब भी दो देशों के बीच युद्ध की स्थिति बनती है तो, वहां के आम नागरिकों में उत्साह और जोश उमड़ पड़ता है। भारत-पाक तनाव के बीच भारत में भी कुछ ऐसा ही हुआ। रामपुर पुलिस लाइन में तैनात हेड कॉन्स्टेबल चमन सिंह ने 9 मई को एसपी को एक पत्र लिखकर पाकिस्तान बॉर्डर पर जाकर लड़ने की अनुमति मांगी थी। वहीं मेरठ में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने भी देश के नागरिक के रूप में सेना की सेवा में शामिल होने की इच्छा जताई। इसीलिए यहां पर सवाल ये खड़ा होता है कि क्या आम नागरिक या रिटायर्ड जवान सीधे तौर पर युद्ध में शामिल हो सकते हैं? क्या इसके लिए कोई कानूनी या संस्थागत प्रक्रिया मौजूद है?

क्या आम नागरिक युद्ध में शामिल हो सकता है?

साधारण नागरिक सीधे युद्धभूमि में नहीं भेजे जा सकते। इसके लिए सरकार की विशेष योजना टेरिटोरियल आर्मी के तहत आम लोग सेना के साथ जुड़ सकते हैं। यह सेना की 'सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस' मानी जाती है और इसमें सामान्य नागरिकों को सीमित समय के लिए प्रशिक्षित कर सेना के सहयोगी कार्यों में लगाया जाता है।

क्या है टेरिटोरियल आर्मी?

केंद्र सरकार ने हाल ही में सेना को टेरिटोरियल आर्मी को सक्रिय करने के आदेश दिए हैं। सेना प्रमुख टेरिटोरियल आर्मी रूल्स 1948 के तहत इसके सदस्यों को सक्रिय ड्यूटी पर बुला सकते हैं। इसका मकसद फ्रंटलाइन सैनिकों को गैर-लड़ाकू कार्यों से मुक्त करना होता है। वर्तमान में इस फोर्स में लगभग 50 हजार सदस्य कार्यरत हैं, जो देशभर में फैली 65 से अधिक विभागीय और गैर-विभागीय इकाइयों में तैनात हैं।

इतिहास और योगदान

टेरिटोरियल आर्मी की स्थापना 18 अगस्त 1948 को हुई थी और इसका मुख्यालय 9 अक्टूबर 1949 को तत्कालीन गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी द्वारा स्थापित किया गया। यह सेना के कई अहम अभियानों का हिस्सा रही है— 1962, 1965, 1971, 1999 की लड़ाइयों से लेकर प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्यों तक। अब तक इसे 400 से अधिक पदकों से सम्मानित किया जा चुका है।

कौन और कैसे हो सकता है शामिल?

  • आयु सीमा: 18 से 42 वर्ष

  • शैक्षणिक योग्यता: स्नातक

  • स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक रूप से फिट

  • प्रक्रिया: समय-समय पर नोटिफिकेशन के जरिए भर्ती, जिसमें लिखित परीक्षा और ट्रेनिंग शामिल होती है।

  • सेवा अवधि: न्यूनतम 7 वर्ष, जिसमें पदोन्नति और 20 साल सेवा के बाद पेंशन की सुविधा भी है।

यह विशेष रूप से उन युवाओं के लिए विकल्प है जो अन्य व्यवसायों में कार्यरत हैं लेकिन सेना में सेवा का सपना देखते हैं। साथ ही पूर्व सैनिकों और रिटायर्ड कर्मियों को इसमें प्राथमिकता दी जाती है।

सेना में फिर से सेवा दे सकते हैं रिटायर्ड सैनिक?

आर्मी रूल्स 1954 के अनुसार केंद्र सरकार आपात स्थिति में रिटायर्ड सैनिकों को पुनः सेवा में बुला सकती है। युद्ध या आपातकाल जैसी स्थितियों में यह प्रक्रिया अपनाई जाती है।

टेरिटोरियल आर्मी का मुख्य कार्य क्या है?

  • सेना को गैर-लड़ाकू कार्यों से मुक्त कराना

  • आवश्यक सामग्री और संसाधनों की आपूर्ति

  • आपदा प्रबंधन में नागरिक प्रशासन की सहायता

  • विद्रोह जैसी आंतरिक सुरक्षा स्थितियों में सेना को सहयोग

आम नागरिक भी निभा सकते हैं देशसेवा की भूमिका

रामपुर के हेड कॉन्स्टेबल चमन सिंह और शंकराचार्य जैसे नागरिकों का देश के प्रति उत्साह यह दिखाता है कि भारत में आज भी देशभक्ति की भावना जीवित है। लेकिन सैन्य सेवा के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं और नियमों का पालन करना अनिवार्य है। टेरिटोरियल आर्मी के माध्यम से आम लोग भी सेना से जुड़ सकते हैं और देश सेवा में अपना योगदान दे सकते हैं।

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