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खगोल विज्ञान की दुनिया में एक नई और रोमांचक खोज ने हलचल मचा दी है। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से करीब दोगुने आकार का एक ऐसा ग्रह खोजा है, जो हमारे सौरमंडल से बाहर स्थित है और जिसे ‘सुपर-अर्थ’ की श्रेणी में रखा गया है। यह ग्रह अपने तारे की परिक्रमा शनि की कक्षा से भी अधिक दूरी पर करता है -जो इसे अब तक खोजे गए दूरस्थ और अनोखे ग्रहों में से एक बनाता है। यह खोज हार्वर्ड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स (CFA) के वैज्ञानिकों द्वारा की गई है और इससे संकेत मिलते हैं कि ब्रह्मांड में पृथ्वी जैसी या उससे कुछ बड़ी दुनियाएं असामान्य नहीं, बल्कि आम हो सकती हैं।
माइक्रोलेंसिंग: ब्रह्मांड की नई आंख
इस खोज में जिस तकनीक का उपयोग किया गया वह है माइक्रोलेंसिंग, जो किसी दूरस्थ ग्रह की उपस्थिति का पता वहां की गुरुत्वाकर्षण शक्ति द्वारा आने वाले प्रकाश में आने वाले बदलाव के ज़रिए लगाती है। शोध के अनुसार, यह अब तक का सबसे बड़ा माइक्रोलेंसिंग डाटा सेट है, जिसमें पूर्व की तुलना में तीन गुना अधिक ग्रह शामिल हैं। यह तकनीक विशेष रूप से उन ग्रहों की खोज में सक्षम है जो अपने तारे से अत्यधिक दूरी पर स्थित होते हैं—उसी तरह जैसे शनि हमारे सूर्य से बहुत दूर स्थित है।
सुपर-अर्थ: क्या ये नई पृथ्वियां हैं?
सुपर-अर्थ ऐसे ग्रह होते हैं जो आकार और द्रव्यमान में पृथ्वी से बड़े लेकिन नेपच्यून से छोटे होते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस प्रकार के ग्रह पहले ऐसे क्षेत्रों में पाए जा रहे हैं जहां केवल विशाल गैस ग्रहों की उपस्थिति मानी जाती थी। यह खोज ग्रहों की उत्पत्ति और विविधता को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण को नया मोड़ दे सकती है।
वैश्विक टेलीस्कोप नेटवर्क से मिली ताकत
इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कोरिया माइक्रोलेंसिंग टेलीस्कोप नेटवर्क (KMTNet) का उपयोग किया। यह नेटवर्क चिली, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में स्थित तीन अत्याधुनिक टेलीस्कोपों से बना है, जो रातभर आकाश का निरीक्षण करते हैं। इससे प्राप्त आंकड़ों ने शोध को एक नई गहराई प्रदान की।
जीवन की संभावना और आगे की दिशा
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खोज से न केवल ग्रहों की संख्या को लेकर हमारी समझ बढ़ेगी, बल्कि उनके वायुमंडल, सतह की संरचना और संभावित जीवन के संकेतों को समझने में भी मदद मिलेगी। यह खगोल विज्ञान और जीवन की उत्पत्ति से जुड़े अध्ययन के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
हम अकेले नहीं?
यह खोज उस बड़े सवाल की ओर इशारा करती है, जिसका उत्तर मानवता सदियों से तलाश रही है — क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं? जैसे-जैसे वैज्ञानिक सुपर-अर्थ जैसे ग्रहों पर शोध को आगे बढ़ाएंगे, यह संभावना और भी प्रबल होती जाएगी कि कहीं न कहीं, कोई और दुनिया भी जीवन से भरी हो सकती है।
Baten UP Ki Desk
Published : 3 May, 2025, 1:25 pm
Author Info : Baten UP Ki