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फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, लेकिन इस साल 13 मार्च, गुरुवार को होने वाले होलिका दहन पर भद्रा का साया है। इसलिए, सही समय पर होलिका दहन करना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, भद्रा काल का प्रभाव और होलिका दहन से जुड़ी पौराणिक कथा।
होलिका दहन 2024: शुभ तिथि और मुहूर्त
फाल्गुन पूर्णिमा प्रारंभ: 13 मार्च, सुबह 10:35 बजे
फाल्गुन पूर्णिमा समाप्त: 14 मार्च, दोपहर 12:24 बजे
भद्रा काल: दिनभर रहेगा
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: 13 मार्च की रात 11:26 बजे के बाद
इस साल भद्रा के कारण दिनभर होलिका दहन करना वर्जित रहेगा। रात 11:26 बजे भद्रा समाप्त होगी, तभी होलिका दहन करना शुभ रहेगा।
होलिका दहन: बुराई पर अच्छाई की जीत की पौराणिक कथा
होलिका दहन का संबंध एक प्राचीन कथा से है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय को दर्शाती है।
हिरण्यकशिपु: अभिमानी राजा और अमरता की लालसा
बहुत समय पहले, हिरण्यकशिपु नाम का एक दैत्यराज था। उसने कठोर तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया कि—
✅ वह किसी मनुष्य, पशु, देवता या राक्षस के हाथों नहीं मरेगा।
✅ न दिन में मरेगा, न रात में।
✅ न घर के अंदर, न बाहर।
✅ न आकाश में, न पृथ्वी पर।
✅ कोई शस्त्र या अस्त्र उसे मार नहीं सकेगा।
इस वरदान ने उसे अहंकारी और निर्दयी बना दिया। उसने पूरे राज्य में भगवान विष्णु की पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया और खुद को ईश्वर मानने लगा।
प्रह्लाद: भक्ति का अद्भुत उदाहरण
हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त था। उसने अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया और विष्णु भक्ति में लीन रहा। यह देखकर हिरण्यकशिपु क्रोधित हो गया और उसने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन हर बार विष्णु भगवान ने उसकी रक्षा की।
होलिका का षड्यंत्र और विनाश
हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती। उसने एक कुटिल योजना बनाई—वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठेगी ताकि वह जलकर भस्म हो जाए और वह सुरक्षित रहे। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से, जैसे ही वे अग्नि में बैठे, हवा चली और होलिका का अग्निरोधक वस्त्र प्रह्लाद पर आ गया। परिणामस्वरूप, होलिका जलकर राख हो गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गया।
बुराई पर अच्छाई की जीत
होलिका दहन इसी घटना का प्रतीक है, जो हमें सिखाता है कि अत्याचार, अहंकार और अधर्म का अंत निश्चित है, और सत्य की सदा विजय होती है।
होलिका दहन 2024: क्या रखें विशेष ध्यान?
✅ भद्रा काल में होलिका दहन न करें। शुभ मुहूर्त के अनुसार ही दहन करें।
✅ परिवार संग पूजा करें और बुरे विचारों, अहंकार और नकारात्मकता को होलिका की अग्नि में समर्पित करें।
✅ इस दिन गेंहू की बालियां, नारियल, रोली, हल्दी और गुड़ अर्पित करना शुभ माना जाता है।
होलिका दहन का आध्यात्मिक संदेश
होलिका दहन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन का गूढ़ संदेश भी है। यह हमें सिखाता है कि—
✅ अत्याचार कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में धर्म और सत्य की ही जीत होती है।
✅ अहंकार और लालच नष्ट हो जाते हैं, लेकिन भक्ति और श्रद्धा अमर रहती हैं।
✅ नकारात्मकता और ईर्ष्या को जलाकर अपने जीवन में प्रेम, करुणा और सच्चाई को अपनाएं।
Baten UP Ki Desk
Published : 13 March, 2025, 10:00 am
Author Info : Baten UP Ki