ड्राई आई सिंड्रोम, जिसे शुष्क आंखों की समस्या भी कहा जाता है, आजकल एक सामान्य समस्या बन चुकी है। इसकी वजह से आंखों में सूजन, जलन और असहजता हो सकती है। यही वजह है कि इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल जुलाई महीने को Dry eye awareness month के रूप में मनाया जाता है।
इसे केराटोकोनजंक्टिवाइटिस (keratoconjunctivitis sicca) सिक्का के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आंखों की नमी बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में आंसू नहीं निकलते हैं।
क्या हैं इसके लक्षण ?
इसमें आमतौर पर कुछ इस प्रकार लक्षण हो सकते हैं, जो इस प्रकार है-
- आंखों में सूखापन
- जलन
- लाली
- किरकिरापन
- ब्लर विजन
आयुर्वेद में हैं प्रभावी उपाय-
आयुर्वेद में इस समस्या से राहत पाने के लिए कुछ प्रभावी उपाय सुझाए गए हैं। यहां हम ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक उपायों की जानकारी दे रहे हैं, जो आपकी आंखों को ताजगी और आराम देने में मदद कर सकते हैं।
त्रिफला चूर्ण का सेवन:
त्रिफला चूर्ण आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि मानी जाती है। यह तीन फलों (आंवला, हरड़ और बहेड़ा) का मिश्रण होता है और इसका सेवन करने से शरीर की विभिन्न समस्याओं के साथ-साथ आंखों की सूजन और जलन में भी राहत मिलती है। त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन करने से आंखों की रोशनी भी बेहतर होती है।
गुलाब जल का उपयोग:
गुलाब जल एक प्राकृतिक टोनर है, जो आंखों की जलन और सूजन को कम करने में मदद करता है। आप गुलाब जल की कुछ बूंदें आंखों में डाल सकते हैं या रुई के फाहे में गुलाब जल भिगोकर आंखों पर रख सकते हैं। यह आंखों को ठंडक प्रदान करता है और आराम दिलाता है।
खीरे का उपयोग भी असरदार:
पानी से भरपूर खीरा भी आपकी आंखों को नमी पहुंचाने में मदद कर सकता है। खीरा अपने ठंडक पहुंचाने वाले और हाइड्रेटिंग गुणों के लिए जाना जाता है। ऐसे में बंद आंखों पर खीरे के टुकड़े रखने से आंखों के सूखेपन और जलन से तुरंत राहत मिलती है। इसमें मौजूद नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट गुण और पानी की भारी मात्रा आंखों को हाइड्रेट करने, सूजन को कम करने और जलन को शांत करने में मदद करती है।
गुलाब जल का उपयोग:
आमतौर पर स्किन केयर के लिए इस्तेमाल होने वाला गुलाब जल भी आपकी आंखों के लिए काफी गुणकारी होता है। इसके इस्तेमाल से आंखों को तरोताजा और हाइड्रेट करने, सूखापन और जलन कम करने में मदद मिलती है। आप इसे आई ड्रॉप की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें मौजूद नेचुरल एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जलन को शांत करने और नमी को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
घृतकुमारी (एलोवेरा) का रस:
एलोवेरा का रस आंखों के लिए एक उत्कृष्ट उपाय है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण आंखों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। एलोवेरा के पत्तों से रस निकालकर इसे आंखों के आसपास लगाने से जलन और सूजन में राहत मिलती है।
त्रिफला घृत का उपयोग:
त्रिफला घृत एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे घी में त्रिफला का मिश्रण करके बनाया जाता है। इसे आंखों के आसपास लगाने से आंखों की सूजन और जलन में राहत मिलती है। त्रिफला घृत का सेवन भी आंखों के लिए लाभकारी होता है।
नस्य (नाक में औषधि डालना):
आयुर्वेद में नस्य क्रिया का विशेष महत्व है। नस्य क्रिया के अंतर्गत नाक में औषधि डालने से आंखों की समस्याओं में भी राहत मिलती है। इसके लिए आप अनुतैल या आयुर्वेदिक नस्य तेल का उपयोग कर सकते हैं।
आंखों की मालिश:
आंखों की हल्की मालिश भी ड्राई आई सिंड्रोम में राहत प्रदान कर सकती है। आप नारियल तेल या बादाम तेल से आंखों की हल्की मालिश कर सकते हैं। यह आंखों को आराम देता है और सूजन को कम करता है।
पर्याप्त पानी पिएं:
शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी है, खासकर जब आपको ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या हो। पर्याप्त पानी पीने से शरीर के सभी अंग स्वस्थ रहते हैं और आंखों की सूखापन की समस्या भी कम होती है।
स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं:
आयुर्वेदिक उपायों के साथ-साथ स्वस्थ जीवनशैली और पोषक आहार भी आंखों की सेहत के लिए जरूरी हैं। कंप्यूटर और मोबाइल स्क्रीन के सामने अधिक समय बिताने से बचें और हर 20-30 मिनट के बाद आंखों को आराम दें। इन आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर आप ड्राई आई सिंड्रोम से राहत पा सकते हैं और आंखों की सेहत को बेहतर बना सकते हैं।
दिनचर्या में करें सरल बदलाव:
आंखों की सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी है और आयुर्वेदिक उपाय इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए आप अपनी दिनचर्या में कुछ सरल बदलाव कर सकते हैं और आंखों की समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।