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भारत-फ्रांस की साझेदारी से AI के भविष्य की दिशा होगी तय, दुनिया के इस शहर में खुलेगा भारत का वाणिज्य दूतावास

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दुनिया जब टेक्नोलॉजी के नए युग में प्रवेश कर रही है, तब Paris AI Action Summit 2025 एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होने वाला है। 10-11 फरवरी को आयोजित होने वाला यह शिखर सम्मेलन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दिशा और दशा तय करने वाला मंच बनेगा। तकनीकी नवाचार की इस वैश्विक गोष्ठी में भारत और फ्रांस की ऐतिहासिक साझेदारी एक नई ऊंचाई पर पहुंचेगी। खास बात यह है कि इस समिट की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों करेंगे।

AI का सुरक्षित और मानव-केंद्रित भविष्य 

दुनियाभर से तकनीकी विशेषज्ञ, उद्योग जगत के दिग्गज और नीति निर्माता इस सम्मेलन में एकत्रित होंगे, जहां AI के सुरक्षित, नैतिक और मानव-केंद्रित उपयोग पर गहन चर्चा होगी। यह समिट न केवल तकनीकी भविष्य का खाका खींचेगा, बल्कि देशों के बीच तकनीकी सहयोग को भी नई दिशा देगा। क्या यह सम्मेलन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में नए आयाम स्थापित कर पाएगा? इसकी गूंज पेरिस से दुनियाभर में सुनाई देगी।

100 से अधिक देशों की भागीदारी की संभावना

पेरिस AI समिट में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले सकते हैं। हाल ही में चीन के नए AI टूल DeepSeek के चर्चा में आने के बाद इस समिट की महत्ता और भी बढ़ गई है। माना जा रहा है कि इस समिट में एआई से जुड़े बड़े निर्णय लिए जा सकते हैं।

पांच प्रमुख विषयों पर केंद्रित होगा कार्यक्रम

इस बार का पेरिस AI समिट कई मायनों में खास होगा। यह निम्नलिखित पांच मुख्य विषयों पर केंद्रित रहेगा:

  1. एआई में सार्वजनिक रुचि: एआई के सामाजिक प्रभावों पर चर्चा।

  2. एआई का भविष्य: एआई की तकनीकी प्रगति पर विचार।

  3. एआई इनोवेशन: इनोवेटिव एआई समाधानों का आदान-प्रदान।

  4. एआई में विश्वास: एआई तकनीकों में विश्वास निर्माण।

  5. वैश्विक एआई शासन: एआई के लिए अंतरराष्ट्रीय नियम और नीति निर्माण।

एआई की प्राइवेसी पर होगी चर्चा

चीन द्वारा हाल ही में लॉन्च किए गए लार्ज लैंग्वेज मॉडल DeepSeek को OpenAI के ChatGPT के समकक्ष माना जा रहा है। हालांकि, पिछले दिनों DeepSeek से डेटा लीक की खबरों ने हलचल मचा दी है। कई देशों ने इसके उपयोग पर प्रतिबंध भी लगा दिया है। ऐसे में इस समिट में एआई टूल्स की प्राइवेसी और सुरक्षा पर बड़ी चर्चा होने की उम्मीद है।\

मार्सिले में भारतीय वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन

समिट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों 12 फरवरी को मार्सिले में भारतीय वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन करेंगे। यह दूतावास प्रधानमंत्री मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान खोला जाएगा।

रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम है मार्सिले

मार्सिले भूमध्य सागर के तट पर फ्रांस का सबसे बड़ा और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बंदरगाह है। भारत इस बंदरगाह का उपयोग आयात-निर्यात के लिए करना चाहता है। खास बात यह है कि यहां किसी अन्य विदेशी शक्ति की कोई भूमिका नहीं है। यह बंदरगाह यूरोप, अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के बीच माल की आवाजाही के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है।

पीएम मोदी की 2023 की घोषणा

प्रधानमंत्री मोदी ने 2023 में ला सीन म्यूजिकेल में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए मार्सिले में भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलने की घोषणा की थी। यह वाणिज्य दूतावास पेरिस के दूतावास के बाद भारत का दूसरा राजनयिक मिशन होगा, जो स्थानीय भारतीय समुदाय को सेवाएं प्रदान करेगा। अब लोगों को राजधानी पेरिस तक की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी।

प्रथम विश्व युद्ध के भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों प्रथम विश्व युद्ध में लड़ने वाले लगभग 900 भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे। मार्सिले प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों का महत्वपूर्ण बेस था। फील्ड मार्शल सर विलियम बर्डवुड ने जुलाई 1925 में यहां भारतीय सैनिकों के सम्मान में एक स्मारक का अनावरण किया था। Paris AI Action Summit 2025 न केवल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बल्कि भारत-फ्रांस के कूटनीतिक संबंधों के लिए भी एक मील का पत्थर साबित होगा।

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