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पहलगाम हमले के बाद अमेरिका ने दिया भारत का साथ, इतने हजार करोड़ के रक्षा सौदे को दी मंजूरी!

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भारत और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी में एक नया और मजबूत अध्याय जुड़ गया है। अमेरिका ने भारत को 13.1 करोड़ डॉलर (लगभग 1,100 करोड़ रुपये) के एडवांस सैन्य उपकरण और तकनीक देने की मंजूरी दे दी है। इस रक्षा सौदे से भारत की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मेरीटाइम ताकत और निगरानी क्षमता पहले से कहीं अधिक मजबूत होगी। यह घोषणा ऐसे समय पर हुई है जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है और क्षेत्रीय सुरक्षा एक बार फिर वैश्विक एजेंडे में है।

क्या मिलेगा भारत को इस रक्षा सौदे में?

इस सौदे के तहत भारत को मिलेंगे:

  • एडवांस्ड सी-विज़न सॉफ्टवेयर

  • ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट

  • मेरीटाइम डोमेन अवेयरनेस टेक्नोलॉजी

यह तकनीक भारत को समुद्री सीमा पर निगरानी और सुरक्षा में मदद देगी, खासतौर पर हिंद-प्रशांत महासागर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में, जहां चीन की बढ़ती गतिविधियों को लेकर पहले ही चिंता जताई जाती रही है।

रणनीतिक रिश्तों में और गहराई

इस रक्षा सौदे को अमेरिका के विदेश विभाग और पेंटागन की डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (DSCA) ने अधिकृत किया है। उनका कहना है कि यह सौदा न सिर्फ भारत-अमेरिका के रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करेगा, बल्कि अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों की पूर्ति में भी मदद करेगा। DSCA के अनुसार, यह कदम दक्षिण एशिया में भारत को एक "प्राथमिक रणनीतिक साझेदार" के रूप में और अधिक सशक्त बनाता है।

हाईटेक निगरानी की कमान संभालेगी अमेरिकी कंपनी

इस सौदे का मुख्य ठेकेदार है अमेरिका की वर्जीनिया स्थित हाई-टेक कंपनी Hawkeye 360, जो समुद्री निगरानी और विश्लेषण तकनीक में विशेषज्ञ मानी जाती है। यह कंपनी भारत को अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली और विश्लेषणात्मक क्षमताएं उपलब्ध कराएगी, जिससे भारत की समुद्री गतिविधियों पर पकड़ और प्रभावशीलता और बढ़ेगी।

क्षेत्रीय सैन्य संतुलन पर असर नहीं

अमेरिकी अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि इस रक्षा सहयोग से क्षेत्रीय सैन्य संतुलन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। बल्कि यह सौदा शांति और स्थायित्व बनाए रखने में मदद करेगा, खासकर तब जब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ रही है।

भारत की सुरक्षा नीति को मिला अंतरराष्ट्रीय बल

भारत अब सिर्फ एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा नीति का एक अहम स्तंभ बनता जा रहा है। अमेरिका से मिल रही यह एडवांस सैन्य सहायता, न केवल भारतीय नौसेना को तकनीकी बढ़त देगी, बल्कि दुनिया को यह भी संदेश देगी कि भारत अब सुरक्षा और सामरिक शक्ति के नए दौर में प्रवेश कर चुका है।

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