आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) ने कैंसर के मरीजों के उपचार में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। इस योजना के तहत पंजीकरण के बाद कैंसर के मरीजों को समय पर इलाज मिलने के मामलों में 33% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है।
लैंसेट रिपोर्ट में पीएम-जेएवाई की सराहना
शोध के नतीजे प्रतिष्ठित पत्रिका द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथ ईस्ट एशिया में प्रकाशित हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम-जेएवाई के लागू होने के बाद जानलेवा कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किया गया है। 2018 से योजना के तहत इलाज शुरू होने की संभावना 1995 से 2017 के बीच जांचे गए मामलों की तुलना में 36% अधिक रही।
छह राज्यों के 6,700 मरीजों पर आधारित अध्ययन
शोधकर्ताओं ने अक्तूबर 2020 से मार्च 2022 के बीच छह राज्यों के सात प्रमुख कैंसर अस्पतालों में भर्ती 6,700 मरीजों की प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया। यह पाया गया कि इस योजना ने न केवल इलाज को सुलभ बनाया, बल्कि कैंसर का पता लगने के बाद इलाज शुरू करने में होने वाली देरी को भी कम किया।
इलाज में तेजी: 20 दिनों के भीतर शुरू हुआ उपचार-
अध्ययन में पता चला कि मरीजों ने कैंसर की पहचान के बाद औसतन 20 दिनों के भीतर इलाज शुरू किया। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ओपन के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, मरीजों की स्वास्थ्य देखभाल लागत और जीवन की गुणवत्ता जैसे पहलुओं पर भी चर्चा की गई।
योजना का सकारात्मक असर: जानलेवा देरी में कमी-
शोधकर्ताओं ने पाया कि पीएम-जेएवाई का लाभ उठाने वाले मरीजों ने इलाज शुरू करने में तेजी दिखाई। योजना ने न केवल इलाज में देरी को कम किया, बल्कि कैंसर के जानलेवा स्तर पर पहुंचने से पहले मरीजों को राहत देने में अहम भूमिका निभाई।
कैंसर मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण-
आयुष्मान भारत योजना ने हजारों मरीजों को वक्त पर उपचार दिलाकर कैंसर से होने वाले गंभीर खतरे को कम करने में सफलता हासिल की है। यह योजना मरीजों के जीवन स्तर में सुधार के साथ स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में एक नई क्रांति की प्रतीक बन गई है।