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भारत के पास विश्व का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार

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भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 17 नवंबर, 2023 को समाप्त सप्ताह में 0.077 बिलियन डॉलर बढ़कर 595.397 बिलियन डॉलर हो गया है। पिछले हफ्ते की रिपोर्टिंग के मुताबिक यह 62 मिलियन डॉलर गिरकर 590.321 बिलियन डॉलर हो गया था। आपको  बता दे कि अब भारत से अधिक विदेशी मुद्रा भंडार केवल चीन, जापान और स्विटज़रलैंड के पास हैं। चीन के पास 3.1 ट्रिलियन डॉलर जबकि जापान के पास 1.1 ट्रिलियन डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार हैं। स्विटज़रलैंड के पास 809 बिलियन डॉलर से अधिक के भंडार हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान और श्रीलंका- 

विदेशी मुद्रा भंडार की मजबूत स्थिति में होना उसकी बढ़ती अर्थव्यस्था को दिखाते हैं। जिन देशों की अर्थव्यवस्था गड़बड़ होती है, वह अधिकांश समय विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जूझ रहे होते हैं, पड़ोसी देश पाकिस्तान और श्रीलंका इसका एक उदाहरण है। पिछले साल से वैश्विक विकास के कारण दबाव के बीच केंद्रीय बैंक ने रुपये की रक्षा के लिए पूंजी भंडार को तैनात कर दिया। इस ने भंडार को प्रभावित किया है। विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी इकाइयों पर भी असर हुआ है। आरबीआई ने कहा कि सप्ताह के दौरान सोने का भंडार 527 मिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर 46.042 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। इसमें कहा गया है कि विशेष आहरण अधिकार 120 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 18.131 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गए। वहीं आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि समीक्षाधीन सप्ताह में आईएमएफ के साथ भारत की आरक्षित स्थिति 42 मिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर 4.833 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई।

भारत में विदेशी मुद्रा भंडार का इतिहास-

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक,  मई 2014 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 312 अरब डॉलर के करीब था, लेकिन पीएम मोदी के आने बाद यह कुछ दिनों में लगातार बढ़ते हुए 600 अरब डॉलर के पार निकल गया और अब 2023 में, यह बढ़कर 595.397 बिलियन डॉलर हो गया है।

विदेशी मुद्रा भंडार का महत्व-

विदेशी मुद्रा भंडार किसी देश की आर्थिक स्थिरता का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। एक मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार देश को आयात बिल का भुगतान करने, विदेशी कर्ज का भुगतान करने और विदेशी मुद्रा में निवेश करने में सक्षम बनाता है। विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए सरकारें आमतौर पर विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नीतियों को लागू करती हैं। इसके अलावा, सरकारें विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए विदेशी मुद्रा में संपत्तियों में निवेश भी करती हैं।

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