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इस मॉडल को दरकिनार करते हुए योगी सरकार खुद चलाएगी 71 नए महाविद्यालय!

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उत्तर प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए प्रदेश में निर्माणाधीन 71 राजकीय महाविद्यालयों को स्वयं संचालित करने का फैसला किया है। पहले इन महाविद्यालयों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर संचालित करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब योगी सरकार ने इस योजना में बदलाव करते हुए इन संस्थानों का संचालन सीधे अपने अधीन रखने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के पीछे सरकार का उद्देश्य उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और छात्रों को बेहतर शैक्षणिक सुविधाएं प्रदान करना है। शासन के इस निर्णय से यह स्पष्ट है कि सरकार राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहती है।

पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप क्या है?

पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) दो या दो से अधिक सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच एक सहकारी व्यवस्था है, जो आमतौर पर लम्बे समय की होती है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत सरकार निजी कंपनियों के साथ अपनी परियोजनाओं को पूरा करती है। देश के कई हाईवे इसी मॉडल पर बने हैं। इसके द्वारा किसी जन सेवा या बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन की व्यवस्था की जाती है। इसमें सरकारी और निजी संस्थान मिलकर अपने पहले से निर्धारित लक्ष्य को पूरा करते हैं और उसे हासिल करते हैं।

महाविद्यालयों के लिए पद सृजन का प्रस्ताव-

इस संदर्भ में उच्च शिक्षा निदेशक को 27 अगस्त को शासन द्वारा एक पत्र भेजा गया, जिसमें विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी ने इन महाविद्यालयों के लिए पद सृजन का प्रस्ताव मांगा है। इस कदम से स्पष्ट है कि सरकार न केवल इन महाविद्यालयों के संचालन की जिम्मेदारी ले रही है, बल्कि उनके सफल संचालन के लिए आवश्यक प्रशासनिक एवं शैक्षणिक पदों की भी व्यवस्था करेगी। यह निर्णय राज्य के शैक्षणिक ढांचे को मजबूत करने और छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सरकार के इस फैसले से छात्रों और अभिभावकों में आशा की किरण जगी है कि अब उन्हें बेहतर शिक्षा और सुविधाएं प्राप्त होंगी।

असिस्टेंट प्रोफेसर के 1062 नए पद सृजित होंगे-

इन 71 निर्माणाधीन महाविद्यालयों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के 1062 नए पद सृजित किए जाएंगे। इनमें कला संकाय के लिए सात, विज्ञान संकाय के लिए पांच, वाणिज्य संकाय के लिए दो, और लाइब्रेरी प्रवक्ता के एक पद की सीधी भर्ती का प्रस्ताव दिया गया है। इसके अलावा, प्रत्येक महाविद्यालय में पांच प्रयोगशाला सहायकों और दो कनिष्ठ सहायकों की सीधी भर्ती के लिए भी प्रस्ताव भेजा गया है। प्राचार्य, प्रधान सहायक, और वरिष्ठ सहायक के पदों पर पदोन्नति के माध्यम से नियुक्तियां की जाएंगी। प्रयोगशाला परिचर, कार्यालय परिचर, अर्दली, पुस्तकालय परिचर, स्वीपर, और चौकीदार के पदों पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती की जाएगी।

प्रयागराज को मिलेंगे दो नए महाविद्यालय-

प्रयागराज में दो राजकीय महाविद्यालय निर्माणाधीन हैं एक महिला महाविद्यालय परासिनपुर, सिकंदरा, फूलपुर और दूसरा मेजा में। कौशाम्बी के सिराथू में भी एक राजकीय महाविद्यालय बन रहा है। अन्य जिलों में, आगरा और झांसी में नौ-नौ, लखनऊ में 12, बरेली में 13, मेरठ में 10, और गोरखपुर में चार महाविद्यालय बन रहे हैं। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज ने कहा है कि मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत इन निर्माणाधीन महाविद्यालयों में पद सृजन के लिए प्रस्ताव मांगा गया है, और इन्हें पूर्ण रूप से राजकीय महाविद्यालय के रूप में संचालित किया जाएगा।

महाविद्यालयों के संचालन में सरकार की नई भूमिका-

इस नए निर्णय से स्पष्ट है कि योगी सरकार अब शिक्षा क्षेत्र में निजी साझेदारी को कम करने और सरकार द्वारा संचालित शैक्षिक संस्थानों को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। यह कदम सरकारी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और अधिक से अधिक विद्यार्थियों तक उच्च शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

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