उत्तर प्रदेश सेमीकंडक्टर उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। नोएडा में सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए तीन प्रमुख कंपनियों को हरी झंडी मिल चुकी है। इन कंपनियों में टॉर्क सेमीकंडक्टर 28,440 करोड़ रुपये का निवेश करेगी, वामासुंदरी इन्वेस्टमेंट्स 13,599 करोड़ रुपये का संयंत्र लगाएगी, और केन्स सेमीकॉन 4,248 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इस तरह कुल 46,287 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा और इससे 40,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।
भूमि आवंटन की प्रक्रिया शुरू-
नोएडा में इन कंपनियों के संयंत्रों के लिए जमीन आवंटन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। टॉर्क सेमीकंडक्टर को यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (YEIDA) के सेक्टर 128 में 125 एकड़ जमीन दी जाएगी, जहां राज्य का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर प्लांट लगेगा। यह परियोजना हीरानंदानी समूह द्वारा वित्तपोषित है। वहीं, वामासुंदरी इन्वेस्टमेंट्स को YEIDA के सेक्टर 10 में 50 एकड़ भूमि आवंटित की जाएगी, जिसका वित्तपोषण एचसीएल और फॉक्सकॉन द्वारा किया गया है। केन्स सेमीकॉन को भी इसी सेक्टर में 50 एकड़ जमीन दी जाएगी, जहां एक और सेमीकंडक्टर संयंत्र स्थापित होगा।
सेमीकंडक्टर सेक्टर यूपी के लिए साबित होगा गेमचेंजर-
उत्तर प्रदेश सरकार की सेमीकंडक्टर नीति ने दुनिया के कई बड़े निवेशकों को आकर्षित किया है। इस क्षेत्र में निवेश करने वाले उद्यमियों को सरकार वित्तीय और गैर-वित्तीय दोनों प्रकार के प्रोत्साहन दे रही है। केंद्र सरकार ने 80,000 करोड़ रुपये का फंड तैयार किया है, जिसमें यूपी सरकार की 75% भागीदारी होगी। इसके साथ ही, लैंड सब्सिडी के तहत 200 एकड़ तक की भूमि पर 75% सब्सिडी दी जाएगी। उद्योगों को निर्बाध बिजली और पर्याप्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इसके अलावा, इंडस्ट्री में कुशल श्रमिकों की आपूर्ति के लिए सीएम इंटर्नशिप प्रोग्राम के तहत समझौता भी किया जाएगा।
वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार का हिस्सा बनेगा यूपी
सेमीकंडक्टर का वैश्विक बाजार 1,000 अरब डॉलर का है, और उत्तर प्रदेश की नई नीति राज्य को इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर देगी। सेमीकंडक्टर चिप्स, जो विद्युत धाराओं को नियंत्रित करते हैं, आज की आधुनिक तकनीकों में आवश्यक भूमिका निभाते हैं। ये चिप्स स्मार्टफोन, कंप्यूटर, डिजिटल कैमरा, ट्रेन, कार और एटीएम जैसी चीजों में इस्तेमाल होते हैं। इन चिप्स के बिना आज की आधुनिक कारों में हेड्स-अप डिस्प्ले, सेंसर, ड्राइवर असिस्टेंस, एयरबैग और इमरजेंसी ब्रेकिंग जैसे फीचर्स संभव नहीं हैं।
भारत में सेमीकंडक्टर की बढ़ती मांग-
हालांकि भारत में कई कंपनियां चिप की डिजाइनिंग और टेस्टिंग का काम करती हैं, परंतु सेमीकंडक्टर उत्पादन में अब भी यूरोप, अमेरिका, ताइवान और चीन का दबदबा है। वर्ष 2030 तक भारत में सेमीकंडक्टर की खपत 100 अरब डॉलर से ज्यादा होने का अनुमान है। इस क्षेत्र में यूपी की भागीदारी न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी, बल्कि देश की सेमीकंडक्टर जरूरतों को पूरा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
सेमीकंडक्टर सेक्टर यूपी के भविष्य को संवारेगा-
यूपी सरकार की सेमीकंडक्टर नीति और वैश्विक निवेशकों के साथ सहयोग, राज्य को सेमीकंडक्टर निर्माण का एक प्रमुख केंद्र बना सकता है। यह निवेश न केवल तकनीकी विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि हजारों लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित करेगा।