उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने न सिर्फ आम लोगों को, बल्कि अनुभवी डॉक्टरों को भी चौंका दिया है। यहां एक 30 साल की महिला के पेट में तेज दर्द और उल्टियों की शिकायत पर जब जांच की गई, तो पता चला कि वो गर्भवती तो हैं, लेकिन उनका भ्रूण गर्भाशय में नहीं, बल्कि लिवर में पल रहा है।
दुनियाभर में महज 0.03% मामलों में होता है ऐसा
जानकार डॉक्टरों के मुताबिक यह "इंट्राहेप्टिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी" का केस है, जो कि मेडिकल साइंस में बेहद दुर्लभ माना जाता है। पूरी दुनिया में एक्टोपिक (गर्भाशय के बाहर) प्रेग्नेंसी के मामलों में से केवल 0.03% ही ऐसे होते हैं, जहां भ्रूण लिवर में विकसित हो रहा हो। यूपी में इस तरह का यह पहला मामला बताया जा रहा है।
कैसे हुआ पता?
महिला एक गृहिणी हैं और उनके दो बच्चे पहले से हैं। पिछले दो महीनों से उन्हें पेट में लगातार दर्द और उल्टी की शिकायत हो रही थी। पहले तो स्थानीय डॉक्टरों को भी समस्या समझ नहीं आई, लेकिन जब दर्द बढ़ता गया, तो उन्हें एक बड़े अस्पताल में MRI के लिए ले जाया गया। जांच करने वाले वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. के.के. गुप्ता MRI देखकर हैरान रह गए। उन्होंने पाया कि महिला के लिवर के दाहिने हिस्से में 12 हफ्ते का भ्रूण मौजूद है और उसकी दिल की धड़कन भी साफ तौर पर दिखाई दे रही थी।
कितना खतरनाक होता है ऐसा मामला?
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी वैसे ही जटिल और खतरनाक मानी जाती है। लेकिन जब भ्रूण किसी अंग जैसे लिवर में विकसित हो रहा हो, तो यह स्थिति और भी जानलेवा हो सकती है। लिवर बहुत नाजुक और खून से भरपूर अंग होता है, और अगर भ्रूण का विकास वहीं होता है, तो अंदरूनी ब्लीडिंग का खतरा, मां की जान को भी जोखिम में डाल सकता है।
क्या है आगे की प्रक्रिया?
डॉ. गुप्ता ने तुरंत महिला के इलाज कर रहे चिकित्सकों को यह जानकारी दी और इस हाई-रिस्क केस पर चर्चा शुरू की गई। फिलहाल महिला की हालत स्थिर बताई जा रही है और डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम आगे के ट्रीटमेंट की योजना बना रही है।
क्यों है यह मामला खास?
यह केस न सिर्फ मेडिकल साइंस की एक अनसुनी जटिलता को दिखाता है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि सामान्य लगने वाले लक्षणों के पीछे भी बड़ी वजह हो सकती है। संदेश साफ है – पेट दर्द या अन्य तकलीफ को हल्के में न लें और समय पर जांच करवाएं। यह मामला आने वाले समय में मेडिकल स्टडी और केस स्टडी का हिस्सा बन सकता है।