बड़ी खबरें
उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के लिए महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है, जिसमें अब 65 वर्ष की आयु सीमा कोई बाधा नहीं रहेगी। राज्य सरकार ने आयु सीमा समाप्त करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है, जिससे अब 65 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्ति भी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य बन सकेंगे।
आयु सीमा में संशोधन को मिली मंजूरी
उत्तर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के माध्यम से अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग अधिनियम 1995 और संशोधित अधिनियम 2007 की धारा 5 की उपधारा (1) में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे पहले आयु सीमा की वजह से आयोग के कुछ नवनियुक्त सदस्यों के पदभार ग्रहण करने में बाधा उत्पन्न हो रही थी। अब इस संशोधन के बाद आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत, उपाध्यक्ष बेचन राम, सदस्य नरेंद्र सिंह खजूरी और अजय सिंह कोरी अपने पदभार को ग्रहण कर सकेंगे।
राजनीतिक समीकरण और समुदाय विशेष की भागीदारी
23 अगस्त को सरकार द्वारा आयोग के लिए अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष और 17 सदस्यों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन इनमें से कुछ की आयु 65 वर्ष से अधिक होने के कारण उनकी नियुक्ति पर संशय था। सरकार ने इस समस्या का समाधान करते हुए आयोग के लिए आयु सीमा को बढ़ा दिया। यह निर्णय आगामी उपचुनावों को ध्यान में रखते हुए भी लिया गया है, जिससे पासी और कोरी समुदाय को साधा जा सके, जो राज्य में महत्वपूर्ण वोट बैंक का हिस्सा हैं।
अनुभव का मिलेगा फायदा
आयु सीमा हटाने के इस कदम से आयोग में अनुभवी और वरिष्ठ लोगों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है, जिससे अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के हितों को और मजबूती मिलेगी। सरकार का यह निर्णय न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि आयोग की कार्यक्षमता और नेतृत्व क्षमता को भी बढ़ावा देगा।
आयोग के कार्यों को मिलेगी नई दिशा
इस संशोधन के बाद आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति में आयु सीमा की बाध्यता समाप्त हो गई है, जिससे अनुभवी व्यक्तियों के मार्ग में आने वाली रुकावटों को हटा दिया गया है। यह फैसला आयोग को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे सामाजिक और राजनीतिक ढांचे को मजबूती मिलेगी।
Baten UP Ki Desk
Published : 10 September, 2024, 3:02 pm
Author Info : Baten UP Ki