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India Expo Mart में स्टाइलिश और पर्यावरण अनुकूल कपड़ों की धूम, बांस और प्लास्टिक की बोतलों से बने कपड़ों की बढ़ रही मांग

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ग्रेटर नोएडा स्थित नॉलेज पार्क के इंडिया एक्सपो मार्ट में आयोजित अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में बांस और प्लास्टिक से बने कपड़े अपनी धाक जमा रहे हैं। एमआईईटी से बीटेक कर चुके योगेश सिंह ने इस अनोखी प्रदर्शनी की शुरुआत की, जो अब यूएस, ऑस्ट्रेलिया, और नॉर्थ कोरिया जैसे देशों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है।

योगेश सिंह की अमेरिका से भारत वापसी की प्रेरणादायक कहानी

बीटेक की पढ़ाई के बाद, योगेश सिंह को अमेरिका में छह लाख रुपये सालाना की नौकरी का ऑफर मिला। वे वहां नौकरी करने के लिए भी गए, लेकिन जल्द ही उन्होंने महसूस किया कि अपने देश को छोड़कर किसी और देश में काम करना सही नहीं होगा। उन्होंने ठान लिया कि वे भारत लौटकर खुद का स्टार्टअप शुरू करेंगे और अपने देश के विकास में योगदान देंगे।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता ने दी नई दिशा

योगेश ने महसूस किया कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। उन्होंने पाया कि कपास की खेती और प्रोसेसिंग में भारी मात्रा में पानी का उपयोग होता है। एक किलो कपास उगाने में लगभग 20,000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जिससे जल प्रदूषण और भूजल संकट बढ़ रहा है। इसे बदलने के लिए योगेश ने बांस से कपड़े बनाने की योजना बनाई। बांस की खेती में पानी की कम जरूरत होती है, और इसका पेड़ भी तेजी से बढ़ता है।

बांस और प्लास्टिक की बोतलों से बने अनोखे कपड़े

योगेश के साथी कनव गुप्ता ने बताया कि उन्होंने प्लास्टिक की बोतलों और कपड़ों को रिसायकल कर उनसे धागा निकाला। इस धागे को बांस, प्लास्टिक और सूती धागों के साथ मिलाकर एक नए तरह का पर्यावरण-अनुकूल कपड़ा तैयार किया गया। ये कपड़े न केवल स्टाइलिश हैं, बल्कि टिकाऊ भी हैं। उपयोग की गई प्लास्टिक की बोतलों और पुन: उपयोग की गई कपास से बने ये कपड़े पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

फैशन और पर्यावरण संरक्षण का अनोखा मेल

योगेश और उनकी टीम द्वारा बनाए गए कपड़े न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि फैशन की दुनिया में भी एक नया ट्रेंड सेट कर रहे हैं। इनके कपड़े मुख्य रूप से कचरे से प्राप्त सामग्री से बने होते हैं, जिससे लैंडफिल को कम करने में मदद मिलती है। यह पहल फैशन उद्योग में स्थिरता और नवाचार की ओर बढ़ते कदमों का प्रतीक है।

एक सफल स्टार्टअप की कहानी: 15 लाख का टर्नओवर

अमेरिका की नौकरी छोड़ने के बाद, योगेश सिंह ने अपने स्टार्टअप फिब्रा क्लॉथिंग प्राइवेट लिमिटेड के जरिये सालाना 15 लाख रुपये का टर्नओवर हासिल कर लिया है। उनकी कंपनी न केवल फैशन के प्रति जागरूकता बढ़ा रही है, बल्कि एक हरा-भरा भविष्य बनाने में भी योगदान दे रही है। उनकी टी-शर्ट या शर्ट खरीदने वाले ग्राहकों को पर्यावरण फ्रेंडली सर्टिफिकेट भी दिया जाता है, जो इस ब्रांड की खासियत को दर्शाता है।

बांस और प्लास्टिक: कपड़ों की दुनिया में क्रांति

बांस और प्लास्टिक जैसे पर्यावरण के लिए हानिकारक समझी जाने वाली सामग्रियों को योगेश ने एक नई दृष्टि दी। उनका यह अनोखा प्रयास फैशन और पर्यावरण संरक्षण का बेहतरीन मेल है, जो दुनिया भर में फैशन के क्षेत्र में बदलाव ला रहा है।

वैश्विक मांग और भविष्य की योजनाएं

फिब्रा क्लॉथिंग प्राइवेट लिमिटेड के बनाए गए कपड़ों की मांग यूएस, ऑस्ट्रेलिया, और नॉर्थ कोरिया जैसे देशों में तेजी से बढ़ रही है। योगेश सिंह की टीम भविष्य में और अधिक स्थायी उत्पादों की रेंज पेश करने की योजना बना रही है, जिससे पर्यावरण और फैशन के बीच संतुलन कायम रखा जा सके।

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