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आजम खान को कोर्ट से डबल झटका? रामपुर पब्लिक स्कूल पर लगेगा ताला!

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(Special Story) उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को दोहरा झटका लगा है। रामपुर की  MP-MLA कोर्ट ने  डूंगरपुर मामले में 7 साल की सजा सुनाते हुए 8 लाख का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही दूसरी तरफ मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है।  इस फैसले के बाद आजम के रामपुर पब्लिक स्कूल पर अब ताला लगना तय माना जा रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं क्या है पूरा मामला...

मौलाना अली जौहर ट्रस्ट मामला-

आपको बता दें कि आजम खान के मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट ने यूपी सरकार के लीज रद्द करने वाले फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट की कोर्ट नंबर 21 में जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की डबल बेंच ने फैसला सुनाते हुए यूपी सरकार के लीज को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा है। मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 18 दिसंबर 2023 को फैसला सुरक्षित रखा था। रामपुर जिले में तत्कालीन यूपी की सपा सरकार ने एक जमीन 99 साल की लीज पर मौलाना मोहम्मद जौहर ट्रस्ट को दिया था। लेकिन यूपी में बीजेपी की सरकार आने के बाद उस जमीन की लीज रद्द कर दी गई। इसके बाद वहां संचालित हो रहे पब्लिक स्कूल को बंद करने का आदेश दिया गया था। लेकिन जौहर ट्रस्ट ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। जिसके निर्देश पर इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट में हो चल रही थी। 

क्या है डूंगरपुर मामला-

सपा सरकार में डूंगरपुर में आसरा आवास बनाए गए थे। इस जगह पर पहले से कुछ लोगों के मकान बने हुए थे। आरोप था कि सरकारी जमीन पर बताकर वर्ष 2016 में तोड़ दिया गया था। इस मामले में पीड़ितों ने लूटपाट का आरोप भी लगाया था। वर्ष 2019 में भाजपा सरकार आने पर रामपुर के गंज थाने में इस मामले में करीब एक दर्जन अलग-अलग मुकदमें दर्ज कराए गए थे। आरोप लगाया कि सपा सरकार में आजम खां के इशारे पर पुलिस ने आसरा आवास बनाने के लिए उनके घरों को जबरन खाली कराया था। वहां पहले से बने मकानों पर बुलडोजर भी चलवाकर ध्वस्त कर दिया गया था।

कौन थे मौलाना मोहम्मद अली जौहर-

मुहम्मद अली जौहर जिन्हें मौलाना मोहम्मद अली जौहर  के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय मुस्लिम नेता, कार्यकर्ता, विद्वान, पत्रकार और कवि थे। वर्तमान में मुहम्मद अली के सम्मान में रामपुर जिले में मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय शुरू किया गया था। मोहम्मद अली का जन्म 1878 में रामपुर में, ब्रिटिश भारत रामपुर रियासत में  उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता, अब्दुल अली खान की जब वे पांच वर्ष के थे, तब मृत्यु हो गई थी। उनके भाई मौलाना शौकत अली खिलाफत आंदोलन के नेता बने। अपने पिता की मृत्यु के बावजूद, जौहर ने दारुल उलूम, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाग लिया। 1898 में, लिंकन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में आधुनिक इतिहास का अध्ययन किया। भारत लौटने पर, उन्होंने रामपुर राज्य के शिक्षा निदेशकके रूप में कार्य किया और बाद में बड़ौदा नागरिक सेवा में शामिल हो गए। वह एक ब्रिटिश लेखक और टाइम्स, लंदन, द मैनचेस्टर गार्डियन और द ऑब्जर्वर जैसे प्रमुख समाचार पत्रों में लेख लिखते रहे थे। वे एक दूरदर्शी राजनीतिक नेता के वक्ता थे। उन्होंने कलकत्ता में 1911 में अंग्रेजी साप्ताहिक द कॉमरेड का शुरू किया। यह तेजी से बढ़ने लगा और प्रभाव अर्जित किया। वह 1912 में दिल्ली चले आए और वहां उन्होंने 1913 में एक उर्दू भाषा के दैनिक समाचार पत्र हमदर्द का शुभारंभ किया।  

खिलाफत आन्दोलन' में भी हुए शामिल-

जौहर ने 1902 में अमजदी बानो बेगम से शादी कर ली। बेगम सक्रिय रूप से राष्ट्रीय और खिलाफत आंदोलन में  शामिल थीं। जौहर ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का विस्तार करने के लिए कड़ी मेहनत की, जिसे मुहम्मदान एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के नाम से जाना जाता था और 1920 में जामिया मिलिया इस्लामिया के सह-संस्थापकों में से एक थे। तत्कालीन अंग्रेज़ सरकार द्वारा 1914 में इस पत्र पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था तथा मोहम्मद अली को चार साल की सज़ा दी गई। मोहम्मद अली ने 'खिलाफत आन्दोलन' में भी भाग लिया और अलीगढ़ में 'जामिया मिलिया विश्वविद्यालय' की स्थापना की, जो बाद में दिल्ली लाया गया। ये रायपुर रियासत के शिक्षाधिकारी भी बनाये गए थे।

 

 

 

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