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उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) के बाद परीक्षा प्रणाली छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए एक चुनौती बन गई है। सेमेस्टर प्रणाली लागू होने से न केवल परीक्षा की प्रकृति जटिल हुई है, बल्कि इसकी अवधि भी अनावश्यक रूप से लंबी खिंच रही है। इस गंभीर समस्या को सुलझाने के लिए अब उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने कमर कस ली है।
समिति बनाएगी परीक्षा नीति
परीक्षा पैटर्न को सरल और समयबद्ध बनाने के उद्देश्य से विभाग ने एक नीति तैयार करने की दिशा में पहल शुरू की है। इसके लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) की कुलपति प्रो. पूनम टंडन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है, जिसे जल्द से जल्द अपनी संस्तुतियां देने के निर्देश दिए गए हैं।
पारंपरिक परीक्षा प्रणाली से सेमेस्टर प्रणाली तक की उलझन
एनईपी लागू होने से पहले राज्य के अधिकांश विश्वविद्यालयों में वार्षिक परीक्षा प्रणाली लागू थी। परीक्षाएं मार्च-अप्रैल में आयोजित कर जुलाई तक परिणाम जारी कर दिए जाते थे। लेकिन सेमेस्टर प्रणाली लागू होने के बाद परीक्षा की अवधि 40 से 50 दिनों तक पहुंचने लगी है। परिणामस्वरूप, कुछ विश्वविद्यालयों में तो लगभग पूरे साल परीक्षा और परिणाम जारी करने का सिलसिला बना रहता है।
अलग-अलग विश्वविद्यालयों में अलग-अलग परीक्षा पैटर्न, छात्र हुए भ्रमित
वर्तमान में सेमेस्टर प्रणाली के अंतर्गत विभिन्न विश्वविद्यालयों में अलग-अलग परीक्षा फॉर्मेट अपनाए जा रहे हैं। कहीं पर परीक्षाएं MCQ (बहुविकल्पीय प्रश्न) आधारित हो रही हैं, तो कहीं पूरी तरह से वर्णनात्मक (Descriptive)। इस प्रयोगधर्मी रवैये से छात्रों को न केवल मानसिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि मूल्यांकन प्रक्रिया में देरी के चलते परिणामों में भी लगातार देरी हो रही है।
समिति में शामिल ये तीन प्रमुख शिक्षाविद्
11 अप्रैल को जारी शासनादेश के अनुसार समिति में डीडीयू की कुलपति प्रो. पूनम टंडन को अध्यक्ष बनाया गया है। उनके साथ डीडीयू के एडमिशन सेल के निदेशक प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा और केएम राजकीय महिला महाविद्यालय, बादलपुर के प्रो. दिनेश चन्द्र शर्मा को सदस्य नामित किया गया है।
डीडीयू का मॉडल बना सकता है समाधान का रास्ता
डीडीयू ने सेमेस्टर परीक्षा को कम समय में संपन्न कराने के लिए अभिनव मॉडल पेश किया है। विश्वविद्यालय ने बीए के विषयों को छह समूहों में बांट दिया है। छात्र इनमें से किसी तीन ग्रुप से एक-एक विषय का चयन करेंगे। इस बदलाव के बाद बीए की परीक्षाएं सिर्फ 15 से 20 दिनों में पूरी कराई जा सकेंगी। डीडीयू का यह फार्मूला अन्य विश्वविद्यालयों के लिए भी एक प्रभावशाली मॉडल साबित हो सकता है, जिससे परीक्षा प्रणाली को अधिक कुशल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाया जा सकेगा।
क्या बदलेगा भविष्य में?
इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं अब न तो छात्रों के लिए बोझ बनेंगी और न ही लंबी खिंचेंगी। परीक्षा का स्वरूप एकरूप और स्पष्ट होगा, जिससे शिक्षण व्यवस्था अधिक प्रभावशाली बन सकेगी।
Baten UP Ki Desk
Published : 15 April, 2025, 3:27 pm
Author Info : Baten UP Ki