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इस स्कीम से यूपी वालों को मिलेगा ख़ास फायदा...

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बीते जून महीने में यूपी के इतिहास में सबसे ज्यादा बिजली की डिमांड 29820 मेगावाट पहुंच गई। बिजली खपत भी लगभग 643 मिलियन यूनिट पहुंची। इससे पहले 31 मई को 29,727 मेगावाट बिजली की मांग पहुंच गयी थी। जिसे पावर कारपोरेशन ने पूरा करके एक नया रिकॉर्ड बनाया था। साल 2023 में अधिकतम मांग 28,284 मेगावाट तक गई थी। हालांकि अब उत्तर प्रदेश में बिजली की बढ़ती खपत को देखते हुए सरकार ने एक नया कदम उठाया है। बिजली की बढ़ती खपत की समस्या का समाधान ढूंढ़ते हुए राज्य सरकार ने राज्य में सौर ऊर्जा को प्रमोट करने का फैसला लिया है। इसके लिए प्रदेश भर में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से एक सोलर पार्क भी हैं।

क्या है सोलर पार्क्स-

सोलर पार्क्स एक लार्ज-स्केल एरिया होते हैं जहाँ पर बहुत सारे सोलर पैनल्स इंस्टॉल किए जाते हैं। इन पैनल्स के थ्रू सूरज की किरणों से एनर्जी ली जाती है और उसे इलेक्ट्रिसिटी में कन्वर्ट किया जाता है। सोलर पार्क में जनरेट की गई इलेक्ट्रिसिटी को ग्रिड के थ्रू डिफरेंट एरियाज में डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है। ये इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन का एक एनवायरनमेंटली फ्रेंडली और क्लीन वे होता है, क्योंकि इसमें कोई हार्मफुल एमिशन्स नहीं होते। सोलर पार्क्स यूज़ुअली बड़े एरियाज में बनाए जाते हैं और इनकी कैपेसिटी कई मेगावाट्स तक हो सकती है।

उत्तर प्रदेश में हैं इतने सोलर पार्क-

उत्तर प्रदेश में कुल 9 सोलर पार्कों को बनाने का काम किया जा रहा है। जिनकी कुल क्षमता 3710 मेगावाट होगी। इनमें से 435 मेगावाट के 3 सोलर पार्क पहले ही कमीशंड हो चुके हैं, जबकि शेष 6 सोलर पार्कों के कमीशंड होने की प्रक्रिया जारी है। इन सोलर पार्कों के लिए ज़मीन आवंटन की कार्यवाही पूरी हो चुकी है। खास बात यह है कि ये सोलर पार्क राज्य के विभिन्न हिस्सों में बनाए जा रहे हैं, जिनमें बुंदेलखंड, कानपुर नगर, कानपुर देहात, मिर्जापुर और प्रयागराज शामिल है। इन सोलर पार्कों के निर्माण से न केवल बिजली की बढ़ती मांग पूरी की जाएगी, बल्कि इससे बिजली की लागत भी कम होगी। इसके अलावा, यह पर्यावरण के अनुकूल भी होगा, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी।

 उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा

उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण के अनुसार राज्य में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश हो रहा है। 365 मेगावाट और 65 मेगावाट क्षमता वाले कुल 435 मेगावाट के सोलर पार्क कमीशन किए जा चुके हैं। इसके अलावा, झांसी, ललितपुर, चित्रकूट और जालौन में भी बड़े सोलर पार्कों का निर्माण जारी है। ये सभी परियोजनाएं राज्य को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।

कब शुरू हुई थी स्कीम?

सोलर पार्क स्कीम की शुरुआत दिसंबर 2014 में की गई थी, जिसका उद्देश्य सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना था। यह योजना भारत सरकार द्वारा सोलर पार्क और अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्रोजेक्ट के विकास के लिए लागू की गई थी। इसके तहत 39,250 मेगावाट क्षमता को मंजूरी मिली है, जिसमें से 22 सोलर पार्कों में 11,591 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं स्थापित हो चुकी हैं।

सोलर पार्क स्कीम का सबसे पहला फायदा

सोलर पार्क स्कीम का सबसे पहला फायदा है बिजली की कीमतों में कमी। ऐसा इसलिए क्योंकि सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में सस्ती होती है। बिजली की कीमतों में कमी से महंगाई पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी और लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा। साथ ही सोलर पार्कों के निर्माण और रखरखाव से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने के लिए लोगों को नए कौशल सीखने का मौका मिलेगा। वहीं सौर ऊर्जा एक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है जिससे प्रदूषण में कमी आएगी और पर्यावरण को बचाने में मदद मिलेगी। सौर ऊर्जा के उपयोग से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आएगी और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित किए जा रहे हैं सोलर पार्क-

अधिकतर सोलर पार्क ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित किए जा रहे हैं जिससे इन क्षेत्रों का विकास होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। जिससे किसान सौर ऊर्जा का उपयोग सिंचाई और अन्य कृषि कार्यों के लिए कर सकते हैं। सौर ऊर्जा से जुड़े उद्योगों के विकास से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भी मजबूत आएगी।

सरकार का फोकस

सरकार का फोकस सिर्फ सोलर पार्कों तक सीमित नहीं है। प्रदेश सरकार घरों की छतों पर रूफटॉप सोलर लगाने, सोलर नगरों की स्थापना, कृषि फॉर्म को सौर ऊर्जा से बिजली देने और पंप स्टोरेज एवं जैव ऊर्जा के उत्पादन पर भी ध्यान दे रही है। इसके तहत 22 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के तहत, पीएम सूर्य घर योजना के अंतर्गत 25 लाख घरों की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे लोगों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी।

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