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यूपी को मिला इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मिलिंग टेक्नोलॉजी, इन उत्पादों के कम होंगे दाम

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जल्द ही उत्तर भारत का पहला इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मिलिंग टेक्नोलॉजी स्थापित होने जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार ने 15 एकड़ जमीन का आवंटन कर दिया है। यह कदम प्रदेश में आधुनिक उद्योगों और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा। अगले महीने यूपी रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन और राज्य सरकार के बीच इस परियोजना पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह संस्थान मिलिंग के क्षेत्र में उन्नत शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करेगा, जिसमें लगभग 15 करोड़ रुपये का निवेश होगा। यह संस्थान न केवल देश बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी फ्लोर मिलिंग के क्षेत्र में विशेषज्ञ कामगार तैयार करने में सहायक साबित होगा।

क्या होती है मिलिंग टेक्नोलॉजी?

जब हम अनाज को खाने के लिए इस्तेमाल करते हैं तो उससे पहले उसे एक प्रोसेस के जरिए गुजरना पड़ता है। इस प्रोसेस में अनाज को जरूरत के अनुसार कुटा, धोया और पीसा जाता है। जिसके बाद ही अनाज खाने के लिए तैयार होता है। लेकिन इस प्रोसेस के दौरान अनाज में कई पोषण तत्वों की कमी भी हो जाती है। इसमें पोषण तत्वों की कमी ना हो इसके लिए एक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जिसे मिलिंग टेक्नोलॉजी कहते है।

कैसी होती है मिलिंग टेक्नोलॉजी की प्रोसेसिंग?

दरअसल मिलिंग टेक्नोलॉजी अनाज की प्रोसेसिंग का एक मॉडर्न प्रोसेस है, जिसमें गेहूं, चावल और अन्य अनाज को पीसकर उनसे आटा और अन्य खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं। इसमें सिर्फ अनाज को पीसना ही नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता बनाए रखना, उत्पादन क्षमता बढ़ाना, और खाद्य सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करना भी शामिल है। मिलिंग टेक्नोलॉजी की सही समझ होने से अनाज की बर्बादी कम होती है और गुणवत्ता में भी सुधार आता है। 

उन्नत तकनीक से होगी शिक्षा-

यह मिलिंग टेक्नोलॉजी संस्थान उत्तर भारत में अपनी तरह का पहला और पूरे भारत में दूसरा संस्थान होगा। इससे पहले केवल कर्नाटक के मैसूर में केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (CFTRI) ही इस प्रकार की शिक्षा प्रदान करता है। इस संस्थान के निर्माण से उत्तर प्रदेश में खेती और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को नई दिशा मिलेगी। स्थानीय उद्यमी आधुनिक मिलिंग तकनीकों से अवगत होंगे, जिससे उनकी दक्षता बढ़ेगी। इसके साथ ही यह संस्थान यूरोपीय देशों में मिलिंग क्षेत्र में कामगारों की बढ़ती मांग को भी पूरा करेगा।

वार्षिक सभा में हुआ ऐलान-

हाल ही में आयोजित यूपी रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन की 61वीं वार्षिक आम सभा में इस संस्थान के निर्माण का निर्णय लिया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रदेश में हो रहे विकास कार्यों और औद्योगिक गतिविधियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि, "उत्तर प्रदेश अब निवेश का एक पसंदीदा गंतव्य बन गया है और योगी सरकार के कार्यकाल में कानून व्यवस्था में सुधार से प्रदेश में उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल तैयार हुआ है।"

मिलर्स को सब्सिडी का मिलेगा लाभ-

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने मिलिंग टेक्नोलॉजी संस्थान के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इससे किसानों को भी उन्नत खेती के अवसर मिलेंगे और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि औद्योगिक नीति के तहत 25 प्रतिशत से अधिक वृद्धि वाले प्रोजेक्ट्स को 35 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। साथ ही, मिलर्स को मिल रही नवोन्मेषी सब्सिडी की समस्याओं को भी जल्द सुलझाने का आश्वासन दिया गया।

निर्यात को मिलेगी बढ़ावा-

रोलर-फ्लोर मिलर्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष नवनीत चितलांगिया ने सरकार से चोकर (बाई-प्रोडक्ट) के निर्यात की अनुमति पर जोर देते हुए कहा, “हालांकि प्रदेश में व्यापार के अनुकूल माहौल बन रहा है, लेकिन निर्यात की अनुमति न मिलने के कारण हम अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।”

बोतलबंद पानी की कीमतों में राहत का संकेत-

उपभोक्ताओं के लिए एक और बड़ी खबर यह है कि जल्द ही बोतलबंद पानी की कीमतों में कमी आ सकती है। अभी एक लीटर बोतलबंद पानी पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है, जिसे केंद्र सरकार घटाकर 5 प्रतिशत करने पर विचार कर रही है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि उत्तर प्रदेश द्वारा प्रस्तावित इस जीएसटी कमी के सुझाव को अधिकांश राज्यों का समर्थन प्राप्त है।

धर्मेन्द्र जैन बने लगातार तीसरी बार अध्यक्ष-

इस कार्यक्रम में यूपी रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के वार्षिक चुनाव भी संपन्न हुए, जिसमें धर्मेन्द्र जैन को लगातार तीसरी बार निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। इसके अलावा दीपक बजाज, सुरेश सिंघल, विजय गुप्ता और संजीव गुप्ता को उपाध्यक्ष पद के लिए चुना गया।

स्कूल ऑफ मिलिंग टेक्नोलॉजी का निर्माण-

उत्तर प्रदेश में इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मिलिंग टेक्नोलॉजी का निर्माण प्रदेश की कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को नई दिशा देगा। यह संस्थान न केवल क्षेत्रीय विकास में योगदान देगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय कामगारों की मांग को पूरा करेगा।

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