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उत्तर प्रदेश में रोजगार और राजस्व के मामले में अग्रणी गौतमबुद्धनगर (नोएडा) जिला प्रजनन दर (फर्टिलिटी रेट) के मामले में पिछड़ता नजर आ रहा है। जहां देश की औसत प्रजनन दर (टीएफआर) 2.10 है, वहीं गौतमबुद्धनगर की फर्टिलिटी रेट महज 1.6 पर आकर ठहर गई है। विशेषज्ञ इसे शहरीकरण, तनाव और बदलती जीवनशैली का नतीजा मानते हैं।
नोएडा और गाजियाबाद में गिरती प्रजनन दर से सरकार की चिंता-
गौतमबुद्धनगर के साथ ही पड़ोसी जिला गाजियाबाद भी इसी श्रेणी में शामिल है। इन जिलों में टीएफआर गिरकर 2 से नीचे पहुंच गई है, जबकि उत्तर प्रदेश राज्य औसतन 2.40 की दर से बढ़ने की कोशिश कर रहा है। राज्य के नौ जिलों में टीएफआर दो से भी कम हो गई है, जिससे सरकार और स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं बढ़ गई हैं।
भविष्य में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी का खतरा-
जहां एक ओर राज्य में टीएफआर का 2 की ओर जाना सकारात्मक संकेत है, वहीं गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद जैसे जिलों में टीएफआर का गिरकर दो से नीचे जाना चिंताजनक है। यह स्थिति अगर इसी प्रकार बनी रही तो 2065 तक बुजुर्ग आबादी में तेजी से इजाफा होने के संकेत मिलने लगेंगे। कैसे जनसंख्या नियंत्रण के लिए लागू किए गए सख्त कानूनों ने वहां की प्रजनन दर को बेहद कम कर दिया। अब चीन अपने युवाओं को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
फर्टिलिटी रेट पर राज्य सरकार का रिसर्च प्लान-
नोएडा और गाजियाबाद सहित प्रदेश के नौ जिलों में प्रजनन दर के गिरने के कारणों का पता लगाने के लिए राज्य सरकार रिसर्च करवाने जा रही है। नेशनल हेल्थ मिशन में फैमिली प्लानिंग के जीएम सूर्यांशु ओझा ने स्वीकार किया कि यह स्थिति अध्ययन की मांग करती है ताकि प्रजनन दर में गिरावट के वास्तविक कारणों को समझा जा सके
गिरती फर्टिलिटी रेट के बड़े कारण-
मनोचिकित्सक डॉ. संजय गुप्ता का मानना है कि बड़े शहरों में बदलती जीवनशैली, अनिद्रा, तनाव, और करियर की प्राथमिकता प्रजनन दर में गिरावट के मुख्य कारण हैं। उन्होंने बताया कि युवा पीढ़ी में संतानोत्पत्ति की इच्छा कम होती जा रही है। इसके साथ ही, देर से शादी करने और बच्चों के जन्म में देरी भी एक महत्वपूर्ण कारण है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि पहले ऐसे मामलों की संख्या बहुत कम थी, लेकिन अब इनमें दोगुना वृद्धि हो रही है।
शिक्षा और जागरूकता से गिरा टीएफआर-
डॉ. अमित यादव ने बताया कि अशिक्षा, गरीबी और अधिक चाइल्ड मॉर्टेलिटी जैसी समस्याएं पहले टीएफआर में वृद्धि का कारण थीं। लेकिन शिक्षा और जागरूकता बढ़ने के साथ ही टीएफआर में गिरावट देखी जा रही है। पहले कम उम्र में विवाह और उच्च शिशु मृत्यु दर के कारण अधिक बच्चे पैदा होते थे। अब लोग विवाह और परिवार नियोजन के बारे में अधिक जागरूक हो गए हैं, जिसका असर टीएफआर पर पड़ा है।
फर्टिलिटी रेट गिरने के कारणों पर मंथन जरूरी-
डॉ. संजय गुप्ता के अनुसार, फर्टिलिटी रेट गिरने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पहलू शामिल हैं। अनचाहे गर्भधारण से बचने के लिए कई उपायों का प्रसार भी शिक्षित समाज में बढ़ा है, जिससे प्रजनन दर पर असर पड़ा है। हालांकि, तेजी से गिरती फर्टिलिटी रेट दीर्घकालिक रूप से चिंता का विषय है।
प्रजनन दर में गिरावट वाले यूपी के जिले-
गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद जैसे आर्थिक और औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण जिलों में प्रजनन दर का इतना कम होना दीर्घकालिक सामाजिक और आर्थिक बदलावों का संकेत है। अगर इस पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या, श्रमशक्ति की कमी और सामाजिक संरचना में बदलाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 3 October, 2024, 4:29 pm
Author Info : Baten UP Ki