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भारत में कैसे और कितनी तरह से मनाया जाता है होली का पर्व?

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(Special Story) देशभर के लोगों को फाल्गुन महीने का बेसब्री से इंतजार रहता है क्योंकि इसी महीने यानि मार्च में रंगों का त्योहार होली आता है। होली के त्योहार पर लोग जमकर रंग खेलते हैं। क्या बच्चे और क्या बड़े, सभी होली के रंगों में सराबोर नजर आते हैं। होली पर सिर्फ रंग ही नहीं बल्कि गुजिया और ठंडाई का भी खूब चलन है। लेकिन अगर आप से पूछा जाए कि भारत में होली का त्योहार कितने प्रकार से मनाते हैं? तो शायद आप का जवाब हो कि हमने तो सिर्फ दो ही तरीके से सुना हैं। एक तो पानी वाले रंग से और दूसरा तरीका अबीर- गुलाल से। लेकिन देशभर में यह त्योहार कई अनोखे अंदाज से मनाया जाता है....

देश में कई तरह से मनाई जाती है होली-

भारत में होली के प्रसिद्ध त्योहार को कई तरीके से मनाते हैं, जैसे कि रंग, अबीर- गुलाल, फूल, अंगारा की होली, लड्डू या बरसाना (ब्रज) की लट्ठमार होली या फिर पत्थरों से भी होली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसके साथ ही होली के पर्व को कई राज्यों में अलग-अलग तरह से मनाते हैं....

बरसाने की लट्ठमार होली-

जब भी होली की बात होती है तो सभी के दिल में मथुरा-वृंदावन की होली याद आ जाती है। कृष्ण-राधा की नगरी मथुरा, वृंदावन, बरसाना में बहुत दिनों तक और बहुत खास अंदाज में ये त्योहार मनाया जाता है। जिसमें हर कोई शामिल होना चाहता है। ब्रज क्षेत्र के मथुरा के बरसाना की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है। राधा रानी के गांव बरसाने में राधा रानी मंदिर में लठमार होली खेली जाती है। ये होली दुनियाभर में खासी फेमस है। दरअसल लठमार होली बहुत ही अनोखी होती है, जिसमें महिलायें लाठी से पुरषों पर लट्ठ बरसाती है और पुरुष जिन्हें हुरियारे भी कहा जाता है वे ढाल से अपनी रक्षा करते हैं। होली की यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इसी से सटे हुये राजस्थान के भरतपुर जिले के कामां में तथा जिला करौली के प्रसिद्ध मंदिर कैला देवी मंदिर में भी लट्ठमार होली का आयोजन होता हैं। जबकि हम केवल बरसाना के लट्ठमार होली के बारे में ही जानते हैं। राजस्थान में भी इस तरह से होली का त्योंहार मनाया जाता है।

फूलों की होली-

भारत में कई जगह फूलों की भी होली खेली जाती हैं, जैसे कि गुजरात के द्वारका में, ब्रज क्षेत्र के मथुरा में द्वारकाधीश मन्दिर में भी फूलों की होली खेली जाती हैं। मथुरा के मंदिर में इस होली को खेलने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस तरह के होली में रंग और गुलाल के जगह फूलों के पंखुड़ियों को अलग- अलग करके उसे एक दूसरों पर फेंक कर के होली का त्योंहार मानते हैं।

रंग और गुलाल की होली-

जब बात होली की हो रही हो तो बिना रंग और गुलाल की बात न हो तो यह त्योंहार अधूरा हैं। जितने भी रूप में होली मनाई जाती हो, उसमें रंग और गुलाल कॉमन हैं। यह होली अधिकतर जगहों पर धूमधाम से मनाई जाती है। इलाहाबाद यानि प्रयागराज शहर में होली का पर्व दो दिन मनाया जाता हैं। कुल मिलाकर होली का आनंद इन्ही इलाकों में खूब देखने को मिल जायेगा। जबकि कानपुर इलाके में होली का त्योहार करीब 15 दिनों तक चलता है।

अंगारों की होली-

शायद ही आपको यकीन हो कि ऐसे भी होली का त्योहार मनाया जाता है जिसमें रंग की जगह जलते हुये अंगारों को प्रयोग में लाया जाता है। ऐसी होली राजस्थान के उदयपुर जिले के एक गांव "बलीचा" में मनाई जाती है। यह गांव आदिवासी समुदाय वाला गांव हैं, जहां पर आदिवासी समाज होलिका दहन के दूसरे दिन सुबह ऐसी होली खेलते हैं जिसमें जलते हुए अंगारों पर दौड़ते हुये प्रदर्शन करके अपनी वीरता और साहस का परिचय देते हैं। आज भी होली के पावन अवसर पर अंगारों पर चल कर तथा नाच गाना के साथ इस तरह होली मनाई जाती है।

पत्थरों वाली होली-

राजस्थान राज्य के बाड़मेर और जैसलमेर में छोटे- छोटे पत्थरों से एक दूसरे पर मारते हुये होली का पर्व मनाते हैं। होली के दिन कई टोली बनाकर संगीत और ढोल नगाड़ों के साथ एक जगह इकट्ठा होकर लोग एक दूसरे पर पत्थर फेंकना शुरू कर देते हैं जिससे कि अगला व्यक्ति बचने के लिये ढाल रूपी पगड़ी पहनकर या भागकर बचाव करते हैं और इस कला का भरपूर आनन्द लेते हैं।

उपलों की राख की होली-

राजस्थान के ही डूंगरपुर इलाकों में ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाने वाला गोबर से बने उपले जिसे कंडा भी कहते हैं को जला  कर उसकी राख बना कर उसे एक दूसरे के ऊपर डाल कर होली का त्योहार मनाते हैं। 

लड्डुओं की होली-

इसे लड्डूमार होली भी कहते हैं। मथुरा के वृंदावन और श्री राधारानी के बरसाना में जहां एक ओर लट्ठमार होली होती हैं, तो दूसरी ओर बांकेबिहारी मन्दिर में फूलों की होली के साथ ही साथ लड्डू होली भी खेली जाती हैं। इस प्रकार की होली खेलने में रंगों और गुलालों की जगह लोग एक दूसरे को लड्डुओं से मारते हुए यानि एक दूसरे पर लड्डुओं को फेंकते हुये अनोखी तरह से होली खेलते हैं। 
इस प्रकार रंगोत्सव वाले इस होली पर्व को भारत के अनेक स्थानों पर अलग- अलग रूपों में होली को मनाया जाता हैं। अधिकतर ऐसे अनोखी होली उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र और राजस्थान के कई हिस्सों में देखने को मिलती है। 

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