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यूपी में बनेंगे इजरायल और अमेरिका से भी बेहतर हाइटेक ड्रोन, 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक भरेंगे उड़ान

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उत्तर प्रदेश अब दुनिया के सबसे हाइटेक ड्रोन और मानवरहित विमानों का निर्माण केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। सरकार ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे इस उद्योग में तेजी से विकास की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2030 तक भारत का ड्रोन बाजार 13 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।

यूपी में ड्रोन व विमान के लिए परीक्षण और शोध केंद्र-

भारतीय सेना को यूपी के ड्रोन और मानवरहित विमान (यूएएस) नई ताकत देंगे। पहली बार यूपी में ड्रोन व मानवरहित विमान के लिए परीक्षण और शोध केंद्र बनाया जा रहा है। 60 करोड़ की लागत से बनने वाले ड्रोन टेस्टिंग फाउडेंशन में 45 करोड़ केंद्र सरकार देगी। हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) इस योजना का नेतृत्व करेगा। भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (बीईएल), यंत्र इंडिया लिमिटेड, ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) , आईआईटी कानपुर और यूपीडा की अहम भूमिका होगी।

यूएएस टेस्टिंग फाउंडेशन-

यूपी डिफेंस कारीडोर में सेना के लिए सुसाइडल ड्रोन, दो से तीन हजार किलोमीटर की दूरी तय करने वाले ड्रोन, मीलों ऊपर से ही खुफिया निगरानी जैसे ड्रोन यहां विकसित होंगे। अपनी तरह के पहले सेंटर का नाम यूएएस टेस्टिंग फाउंडेशन रखा गया गया है।

रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम-

मुख्य सचिव और अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह की उपस्थिति में यूपीडा के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही और अन्य संबंधित संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ। यूएएस, जिसे आमतौर पर मानव रहित हवाई प्रणाली (यूएएस), मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी), रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (आरपीएएस) और ड्रोन के नाम से जाना जाता है, में इंसान नहीं होता। ये दूर से संचालित होते हैं या स्वायत्त रूप से उड़ते हैं। यूएएस का प्रयोग सैन्य अभियानों में शत्रु क्षेत्र की टोह लेने और आवश्यकता पड़ने पर आक्रमण करने के लिए किया जाता है।

ड्रोन तकनीक में अपनी पहचान बना रहा भारत-

उत्तर प्रदेश ने ड्रोन और मानवरहित विमान के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। वैश्विक ड्रोन बाजार की वर्तमान स्थिति को देखते हुए इसका महत्व समझा जा सकता है। वर्तमान में वैश्विक ड्रोन बाजार लगभग 14 अरब डॉलर का है और 2032 तक इसके 54 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारतीय ड्रोन टेक स्टार्टअप रिपोर्ट के अनुसार, भारत का ड्रोन बाजार 2030 तक 13 अरब डॉलर का होने का अनुमान है। इजरायल और अमेरिका के बाद भारत भी तेजी से ड्रोन तकनीक में अपनी पहचान बना रहा है।

इजरायल और अमेरिका से भी उन्नत ड्रोन-

इस प्रयास के तहत इजरायल के हेरॉन ड्रोन और अमेरिका के एमक्यू-9बी ड्रोन से भी उन्नत ड्रोन विकसित करने के लिए शोध किया जाएगा। अमेरिका ने इसी एमक्यू-9बी ड्रोन की मदद से अल कायदा के सरगना अयमान-अल जवाहिरी को मार गिराया था।

15 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ने वाले ड्रोन-

प्रदेश में कई उन्नत क्षमताओं वाले ड्रोन पर काम किया जा रहा है, जैसे कि 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ने वाले, 500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाले और एक बार फ्यूल टैंक भरने के बाद 40 घंटे तक उड़ान भरने वाले ड्रोन। ये ड्रोन मैकेनिकल और इलेक्ट्रिक हमलों से बेअसर होंगे और दुश्मन के अड्डों की रेकी कर सकेंगे। इसके अलावा, ये ड्रोन 3000 किलो तक के हथियार आसानी से ले जाने में सक्षम होंगे।

राज्य सरकार की पहल-
 
उत्तर प्रदेश सरकार ने ड्रोन और मानवरहित विमान निर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत निर्णय लिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "हमारा उद्देश्य उत्तर प्रदेश को इस उद्योग में अग्रणी बनाना है। इसके लिए विशेष औद्योगिक जोन बनाए जाएंगे और नई कंपनियों को विभिन्न प्रकार की छूट और सुविधाएँ दी जाएंगी।"

हाइटेक ड्रोन का निर्माण-

 उत्तर प्रदेश में बनने वाले ड्रोन अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होंगे। ये ड्रोन सुरक्षा, कृषि, आपदा प्रबंधन, और डिलीवरी सेवाओं जैसी कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उपयोगी साबित होंगे। इन ड्रोन की डिज़ाइनिंग और निर्माण के लिए राज्य में विशेष अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।

आर्थिक प्रभाव-

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत का ड्रोन बाजार 2030 तक 13 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। उत्तर प्रदेश इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे राज्य में न केवल आर्थिक वृद्धि होगी, बल्कि लाखों रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। एक अधिकारी ने बताया, "यह उद्योग राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा और युवाओं को उच्च तकनीकी क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करेगा।"

वैश्विक प्रतिस्पर्धा-

उत्तर प्रदेश के इस कदम से न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। राज्य सरकार ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए भी कई योजनाएँ बनाई हैं। इससे प्रदेश में उच्च गुणवत्ता वाले ड्रोन निर्माण में तेजी आएगी और भारतीय कंपनियाँ वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकेंगी।

भारत को मिलेगी एक नई पहचान-

उत्तर प्रदेश का यह नया पहलू राज्य को एक नई दिशा में ले जा रहा है। ड्रोन और मानवरहित विमान निर्माण में अग्रणी बनने के इस प्रयास से राज्य में विकास की नई संभावनाएँ खुलेंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल राज्य बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और भारत को एक नई पहचान मिलेगी। इस तरह, उत्तर प्रदेश का यह कदम देश को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान देगा। 2030 तक ड्रोन बाजार की अनुमानित वृद्धि से यह स्पष्ट है कि राज्य का यह निर्णय देश को एक नई दिशा में अग्रसर करेगा।

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