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350 मंदिरों की जानकारी QR कोड से, जानिए और क्या खास होगा G-20 की काशी बैठक में

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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आज से जी-20 सम्मेलन की शुरुआत हो गई है। 17 से 19 अप्रैल तक होने वाली इस मीटिंग से पहले वाराणसी विदेशी डेलीगेट्स के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार नज़र आई। बाबतपुर एयरपोर्ट पर विदेशी महमानों का स्वागत भारतीय अंदाज में, तिलक लगाकार और शहनाई बजाकर किया गया। जाहिर है, विदेशी मेहमानों को भी वाराणसी के कण-कण में शिव के होने का एहसास हुआ होगा। भारत यहां अमेरिका, यूरोप, फ्रांस, ब्राजील सहित 19 देशों और 34 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सामने महर्षि प्रपोजल पेश करने जा रहा है। इस प्रपोजल के तहत काशी से दुनिया भर में एक अभियान की शुरुआत की जा रही है। दरअसल, भारत सरकार काशी में इस बैठक के जरिए पोषण, खाद्य सुरक्षा, जलवायु अनुकूल खेती का प्रस्ताव दुनिया के सामने रखेगी। ऐसे में काशी से पूरे विश्व को अपने फ़ूड स्टाइल से हेल्थ का मेसेज दिया जाएगा।

बैठक का एजेंडा

वाराणसी में जी-20 की शुरुआत होटल ताज से की जा रही है इसीलिए सभी 80 डेलीगेट्स यहां मोटे अनाज की बढ़ती लोकप्रियता के साथ हेल्थ और इससे होने वाले आर्थिक लाभ को समझेंगे। बता दें कि इस बैठक में कई देशों से कृषि विशेषज्ञ (Meeting Of Agriculture Chief Scientist-MACS) भी शामिल हुए हैं। MACS बैठक की थीम ‘वन अर्थ-वन फॅमिली-वन फ्यूचर’ पर आधारित है। थीम के जरिए दुनिया के प्रमुख कृषि विज्ञानिकों के माध्यम से सस्टेनेबल एग्रीकल्चर एंड फ़ूड सिस्टम के लिए साइंटिफिक इन्वेंशन, रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने का संदेश दिया जाएगा। कृषि मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च एंड एजुकेशन के सेक्रेटरी हिमांशु पाठक बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मई महीने में हैदराबाद स्थित इंडियन मिलेट्स रिसर्च इंस्टिट्यूट को ग्लोबल रिसर्च सेंटर की तरह ही विकसित करने वाले हैं।

डेलीगेट्स के लिए काशी दर्शन और म्यूजिकल डिनर

जी 20 के आगाज के साथ ही इन तीन दिनों का शेड्यूल भी तय हो गया है। दुनिया भर से आए मेहमान दिन भर की बैठक के बाद शाम को काशी दर्शन के लिए निकलेंगे। यहां वह घाट, गंगा आरती दर्शन के साथ ही काशी की पारंपरिक संस्कृति से भी रूबरू होंगे। सभी डेलीगेट्स गंगा आरती दर्शन के लिए नमो घाट जाएंगे। यहां वह कहरवा और बमरसिया नृत्य का लुत्फ़ उठाएंगे। ख़ास बात यह है कि विदेशी महमानों के लिए पूरे तीन दिनों तक म्यूजिकल डिनर की भी व्यवस्था की गई है। यानी विदेशी मेहमान काशी टूर के बाद बांसुरी, सितार और तबले की धुन के साथ ही रात के खाने का आनंद लेंगे। यही नहीं, यहां क्लासिकल म्यूजिक, फोक डांस और कथक की प्रस्तुति भी की जाएगी।  

QR कोड से मिलेगी प्राचीन मंदिरों की जानकारी

18 अप्रैल की शाम सभी मेहमान भगवान बुद्ध की तपोस्थली सारनाथ पहुंचेंगे। यहां भी उनके आगमन पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। सारनाथ में वह म्यूजियम और स्मारक स्थल पर घोड़ऊ और मयूर लोक नृत्य देखेंगे। 19 अप्रैल के दिन वह दीनदयाल हस्तकला स्कूल जाएंगे, जहां वह काशी के हैंडीक्राफ्ट से रूबरू होंगे। यहां उनका स्वागत ढेढ़िया और थारू लोकनृत्य से किया जाएगा। उनके डिनर के साथ ही सारंग और संतूर का वादन भी होगा। वाराणसी के कुल 350 मंदिरों की दीवारों पर एक QR कोड लगाया गया है। विदेशी महमान जहां-जहां भी घूमेंगे, जिन मंदिरों में जाएंगे, उन QR कोड को स्कैन करने से उनके मोबाइल फ़ोन में उन मंदिरों की सभी जानकारी आ जाएंगी।

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