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यूपी की ये यूनिवर्सिटी 32 गांवों को बना रही है मॉडल, वैज्ञानिक कर रहे हैं फसलों की निगरानी

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चंद्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) ने उत्तर प्रदेश के 32 गांवों को मॉडल गांवों में बदलने की पहल की है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल के तहत सीएसए विश्वविद्यालय आधुनिक कृषि तकनीकों, स्वास्थ्य सेवाओं, जल संरक्षण, और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।

इस तापमान में सब्जियों की होगी पैदावार

सीएसए द्वारा  प्रदेश के 32 गांव को मॉडल बनाने से न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि प्राकृतिक खेती संग पोषण वाटिका विकसित कर गांव को कुपोषण मुक्त किया जाएगा। ये 32 गांव प्रदेश के 14 जिलों से चयनित किए गए हैं। जहां विवि से संबद्ध कृषि विज्ञान केंद्र स्थित हैं। जल्द ही इन गांव में 47 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी सब्जियों की अच्छी पैदावार की जाएगी। इसके लिए विश्व विद्यालय वाराणसी में विकसित नई प्रजातियों को लाने की तैयारी कर रहा है।

वैज्ञानिक कर रहे हैं फसलों की निगरानी-

गांव को खुशहाल व किसानों को समृद्ध बनाने के लिए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गांवों को मॉडल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। इन गांव में किसानों को अत्याधुनिक तकनीक की जानकारी दी जा रही है। किसानों के साथ वैज्ञानिक भी फसलों की निगरानी कर रहे हैं।

प्राकृतिक खेती को दिया जा रहा  है बढ़ावा-

गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिए वैज्ञानिकों की टीम दलहन, तिलहन के साथ सब्जियों के उत्कृष्ट बीज की किट प्रदान कर रही है। जिससे खेतों में अच्छा उत्पादन हो। सभी गांव में एक पोषण वाटिका विकसित की गई है, जिससे कुपोषण को दूर भगाया जा सके। वैज्ञानिकों की टीम गांव-गांव जाकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ फसल अवशेष प्रबंधन का प्रशिक्षण दे रहे हैं।

कृषि में नई तकनीक का उपयोग-

सीएसए विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ इन गांवों में उन्नत कृषि पद्धतियों को लागू करेंगे, जिससे फसल उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा। विश्वविद्यालय किसानों को जैविक खेती, ड्रिप इरिगेशन, और फसल चक्र जैसी तकनीकों से अवगत कराएगा। इससे किसानों को अधिक पैदावार मिलेगी और उनकी आय में वृद्धि होगी। साथ ही, वैज्ञानिक तरीकों से मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारने के लिए भी विशेष प्रयास किए जाएंगे।

जल संसाधन संरक्षण-

इन गांवों में जल संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन एक प्रमुख चुनौती है। सीएसए विश्वविद्यालय द्वारा जल संरक्षण तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे। इसमें वर्षा जल संचयन, जल पुनर्चक्रण और ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीकों का उपयोग शामिल होगा। इस पहल से न केवल जल संकट को दूर किया जा सकेगा, बल्कि कृषि उत्पादन में भी वृद्धि होगी।

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार-

स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार भी इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सीएसए विश्वविद्यालय गांवों में स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाएगा और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा। इसके लिए विशेष चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जाएगा और ग्रामीणों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्रदान की जाएगी।

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार-

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसमें शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण पद्धतियों का प्रशिक्षण, स्मार्ट क्लासरूम का निर्माण और छात्रों के लिए विशेष कार्यशालाओं का आयोजन शामिल होगा। इसके साथ ही, विश्वविद्यालय ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करेगा।

सामुदायिक विकास और स्वच्छता-

सामुदायिक विकास और स्वच्छता भी इस पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सीएसए विश्वविद्यालय ग्रामीणों को स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूक करेगा और स्वच्छता अभियान चलाएगा। इसके अलावा, सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग-

इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन के लिए सीएसए विश्वविद्यालय स्थानीय प्रशासन और ग्रामीण समुदाय के साथ मिलकर काम करेगा। विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन के लिए स्थानीय प्रशासन और ग्रामीण समुदाय के साथ मिलकर काम करेगा।

प्रेरणास्रोत बनेंगे ये गांव-

ग्रामीण विकास की इस नई पहल से उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश के ये 32 गांव अन्य गांवों के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगे और राज्य के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन से ग्रामीण क्षेत्रों में न केवल आर्थिक समृद्धि आएगी, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक विकास भी होगा।

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