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भू-अधिग्रहण घोटाले पर सीएम योगी की सख्त कार्रवाई,पांच कर्मी निलंबित, जांच के दायरे में कई अफसर

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बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे और बरेली रिंग रोड के लिए भूमि अधिग्रहण में बड़े पैमाने पर हुई वित्तीय अनियमितताओं के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया है। इस घोटाले में अब तक 200 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी का पता चला है। मामले की प्रारंभिक जांच में दोषी पाए गए दो तत्कालीन सक्षम प्राधिकारी (एसएलएओ) और तीन अन्य कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही, सीएम ने तहसीलदार, नायब तहसीलदार और कानूनगो समेत कई अन्य कर्मियों की भी पहचान कर उन्हें निलंबित करने के आदेश दिए हैं।

200 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला उजागर-

इस भूमि अधिग्रहण घोटाले की गहराई में जाते हुए जांच अधिकारियों ने पाया कि इस प्रक्रिया में लगभग 200 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला हुआ है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सक्षम प्राधिकारी भूमि अध्याप्ति मदन कुमार और आशीष कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा तहसील सदर के लेखपाल उमाशंकर, नवाबगंज के लेखपाल सुरेश सक्सेना और एसएलएओ के अमीन डबर सिंह को भी निलंबन के आदेश दिए गए हैं। पीसीएस अधिकारी होने के कारण दोनों एसएलएओ के निलंबन की प्रक्रिया को नियुक्ति विभाग की मंजूरी के बाद पूरा किया जाएगा।

पहले ही सात अधिकारी और कर्मी हो चुके हैं निलंबित-

इससे पहले ही एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी से जुड़े सात अधिकारी और कर्मचारी निलंबित किए जा चुके हैं। घोटाले के आकार और गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई को तेज कर दिया है।

पूरक रिपोर्ट में कई अन्य अफसर-कर्मियों पर भी गिरेगी गाज-

जांच के तहत आई एक पूरक रिपोर्ट में और भी अफसरों और कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आई है। बरेली के विशेष भूमि अध्याप्ति कार्यालय के तत्कालीन अमीन अनुज वर्मा, क्षेत्रीय लेखपाल मुकेश गंगवार, ज्ञानदीप गंगवार, तेजपाल, विनय कुमार, दिनेश चंद्र, मुकेश कुमार मिश्रा समेत कई अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार पाए गए हैं। शासन के सूत्रों के अनुसार, इन सभी कर्मियों को भी जल्द ही निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

अधिकारियों की लापरवाही और शिथिलता से उजागर हुआ घोटाला-

बरेली के सीडीओ की रिपोर्ट में यह साफ किया गया है कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में अधिकारियों द्वारा समुचित परीक्षण न करने और लापरवाही बरतने के कारण इस घोटाले ने इतना बड़ा रूप लिया। इस रिपोर्ट में विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी आशीष कुमार और तत्कालीन एसएलएओ मदन कुमार को दोषी ठहराया गया है।

कमिश्नर की जांच रिपोर्ट में दोषी अफसरों के नाम-

कमिश्नर की ओर से भेजी गई जांच रिपोर्ट में तत्कालीन भूमि अध्याप्ति अधिकारी आशीष कुमार, मदन कुमार, सुल्तान अशरफ सिद्दीकी और राजीव पांडेय के नाम शामिल हैं। इनके साथ ही एनएचएआई के तत्कालीन परियोजना निदेशक एआर चित्रांशी और बीपी पाठक को भी जिम्मेदार पाया गया है।

निजी एजेंसियों और पेशेवर खरीदारों की भी संलिप्तता-

एनएचएआई द्वारा नामित एजेंसी साईं सिस्ट्रा ग्रुप के उजैर अख्तर, एसए इंफ्रास्ट्रक्चर कंसल्टेंसी लिमिटेड के प्रतिनिधि राजीव कुमार और सुनील कुमार, श्री शिवम सर्वेइंग सिस्टम के रविंद्र गंगवार और सुरेश कुमार गर्ग को भी घोटाले का दोषी माना गया है। साथ ही, पीलीभीत के तत्कालीन अधिशासी अभियंता उदय नारायण और एई सुरेंद्र कुमार समेत 23 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी जांच रिपोर्ट भेजी गई है। इसके अलावा, 19 पेशेवर खरीदारों के नाम भी जांच के दायरे में आ गए हैं।

कार्रवाई से भ्रष्टाचारियों में खलबली-

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दोषियों पर इस तरह की सख्त कार्रवाई से अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। शासन ने साफ संकेत दिए हैं कि घोटाले में संलिप्त सभी दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।

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