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शेक्सपियर ने कहा है कि नाम में क्या रखा है। इस बात से काफी लोग इत्तेफाक रखते होंगे.. लेकिन सारे इस बात से सहमत हों ऐसा नहीं हो सकता। बहरहाल ऐसा हम क्यों कह रहे हैं ये जानना आपके लिए जरूरी है। मोक्ष की नगरी काशी के लोग आजकल नाम के चक्कर में ही घनचक्कर होकर परेशान हो रहे हैं। इनकी परेशानी की वजह भी एक स्टेशन का नाम ही है। जिसको बदलने के चक्कर में कैसे बनारसियों की गाड़ी छूट रही है। आखिर ये पूरा मामला क्या है हम आपको बताएंगे। इसके साथ ही बताएंगे कि आखिर किसी स्टेशन का नाम बदलने की पूरी प्रक्रिया क्या होती है और कैसे नाम बदला जाता है। लोगों पर इसका क्या असर पड़ता है।
क्या है पूरा मामला-
पिछले कुछ समय से जैसे नाम बदलने का चलन ही चल पड़ा है कई शहरों और कई जगहों के बदले हुए नाम आप सभी ने देखे होंगे। लेकिन ताजा मामला सामने आया है काशी विश्वनाथ की नगरी बनारस का, जहां लोग स्टेशन का नाम बदले जाने से खासा परेशान हो रहे हैं। दरअसल वाराणसी के मडुवाडीह स्टेशन का नाम बदलकर बनारस कर दिया गया है जो लोगों की परेशानी का शबब बन गया है। जैसे वाराणसी, बनारस और काशी तीनों एक ही जगह के नाम हैं इसी प्रकार से यहां के तीन स्टेशनों के नाम भी वाराणसी, काशी और मडुवाडीह थे जिसमें मडुवाडीह का नाम बदलकर बनारस कर दिया गया है। स्टेशन का नया नाम यहां आने वाले लोगों को कन्फ्यूज कर रहा है। यहां आने वाले यात्रियों को लगता है जैस शहर का नाम बनारस या वाणासी या काशी बोले कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसी तरह से वाराणसी और बनारस एक ही स्टेशन का नाम होगा और इसी चक्कर में लोग एक स्टेशन की जगह दूसरी स्टेशन पहुंच रहे हैं, और उनकी गाड़ियां छूट रही हैं। जैसे ट्रेन पकड़ने के लिए आने वाले यात्री समझते हैं कि ऑटो वाले को वाराणसी स्टेशन बताएं या बनारस एक ही बात है। लेकिन जब स्टेशन पहुंचते हैं तब असलियत सामने आती है और पता चलता है कि वो जिस गाड़ी से जाने वाले थे वो तो दूसरे स्टेशन से जाएगी और जब तक दूसरे स्टेशन पहुंचते हैं उनकी गाड़ी छूट चुकी होती है। हालात ये हैं कि वाराणसी के मुख्य यात्री हाल में स्थित पूछताछ केंद्र में प्रतिदिन 300 से 500 यात्री ऐसे होते हैं जो बनारस की बजाय वाराणसी स्टेशन पहुंच जाते हैं।
देखा ऐसा गया है कि कई बार ऑटो रिक्शा और बैट्री रिक्शा वालों को भी जब वाराणसी स्टेशन बताया जाता है तो वो बनारस स्टेशन सवारी लेकर पहुंच जाते हैं। ये तो हुए बनारस की बात लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर किसी स्टेशन का नाम किन प्रक्रियाओं के तहत बदला जाता है आइए हम बताते हैं...
नाम बदलने के लिए क्या प्रक्रिया है -
पिछले कई सालों में भारत के कई मशहूर रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने की खबरे आपने पढ़ी और देखी होंगी। जैसे भोपाल के मशहूर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया। फ़ैज़ाबाद जंक्शन का नाम बदलकर अयोध्या कैंट स्टेशन कर दिया गया। साल 2018 में मुग़लसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया गया था। इसके साथ ही 163 साल पुराने ‘इलाहाबाद जंक्शन’ को अब बदलकर प्रयागराज जंक्शन कर दिया गया है। नाम बदलने की लिस्ट काफी लंबी है। लेकिन अब आपको बताते हैं कि नाम बदलने की प्रक्रिया क्या होती है।
आपको बता दें कि भारतीय रेलवे केंद्र सरकार के आधीन है। लेकिन रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने का विषय राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। राज्य सरकार अगर किसी जिले या रेलवे स्टेशन का नाम बदलना चाहती है तो उसे अपना अनुरोध केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को भेजना पड़ता है। इसके बाद गृह मंत्रालय इसको रेल मंत्रालय के संज्ञान में लाता है।
केंद्र सरकार उक्त प्रस्ताव पर इंटेलिजेंस ब्यूरो, डाक विभाग, भारतीय भौगोलिक सर्वेक्षण विभाग, रेलवे मंत्रालय जैसे कई विभागों और एजेंसियों को भेजकर एनओसी मांगता है। गृह मंत्रालय नाम बदलने के लिए वर्तमान दिशा-निर्देशों के मुताबिक संबंधित एजेंसियों से विचार-विमर्श करता है। इस पूरी प्रक्रिया में रेल मंत्रालय अहम भूमिका निभाता है। नाम बदलने की अनुमति से पहले गृह मंत्रालय अच्छे से इस बात की पुष्टि कर लेता है कि इस नाम का कोई अन्य स्टेशन पहले से तो मौजूद नहीं है। इसके बाद विभागों और एजेंसियों से एनओसी मिलने के बाद गृह मंत्रालय नाम बदलने की मंजूरी दे देता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद रेल मंत्रालय इस पर काम शुरू कर देता है। इस दौरान सबसे पहले नए स्टेशन का यूनीक कोड जेनरेट किया जाता है। इसके बाद नए नाम को टिकटिंग सिस्टम में फीड किया जाता है। और सबसे अंत में स्टेशन पर लगे साइन बोर्ड और सिंबल्स बदल दिए जाते हैं। नाम बदलने के पीछे राजनैतिक, भौगोलिक और सामाजिक कारण जिम्मेदार होते हैं। ये बदलाव कभी जनता की सुविधा के लिए तो कभी राजनैतिक लाभ के लिए भी हो सकते हैं।
Baten UP Ki Desk
Published : 5 July, 2023, 1:08 pm
Author Info : Baten UP Ki