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टाइगर सेंसस रिपोर्ट 2022: "प्रोजेक्ट टाइगर" में यूपी का योगदान सराहनीय

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हाल ही में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांदीपुर और मुदुमलाई टाइगर रिजर्व का दौरा किया था। इस दौरान पीएम मोदी के अलग अंदाज़ ने खूब तारीफे बटोरी। प्रधानमंत्री का यह दौरा प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे करने के मौके पर आयोजित किया गया था। बांदीपुर टाइगर रिज़र्व में पीएम मोदी ने फ्रंटलाइन फील्ड स्टाफ और स्वयं सहायता समूह के साथ बातचीत भी की थी। यही नहीं, पीएम मोदी इस दौरान मैसूर भी गए थे वहां भी उन्होंने कुछ कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और विज़न फॉर टाइगर कंजर्वेशन और स्मारक सिक्का भी जारी किया था। इस दौरान उन्होंने टाइगर सेंसस 2022 की रिपोर्ट भी जारी की। साल 2018 के सेंसस में बाघों की संख्या 2,967 बताई गई थी वहीँ, 2022 की सेंसस रिपोर्ट में बाघों की संख्या बढ़कर 3167 हो गई है। पीएम मोदी द्वारा बाघों की गणना पर जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, यूपी में सुहेल्वा वाइल्डलाइफ सेंचुरी में पहली बार बाघों की उपस्थिति के फोटोग्राफिक सबूत देखने को मिले हैं। सुहेलवा और सोहागी बरवा वाइल्डलाइफ सेंचुरी को टाइगर डिटेक्टेक ग्रिड में जोड़ा गया है। सोहेलवा वाइल्डलाइफ सेंचुरी भारत-नेपाल की सीमा पर स्थित खूबसूरत जंगलों में से एक है जिसे बंगाल टाइगर का प्राकृतिक वास माना जाता है। सोहागी बरवा वाइल्डलाइफ सेंचुरी उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में मौजूद है। इसे पुराने गोरखपुर वन प्रभाग द्वारा बनवाया गया है यह सेंचुरी राज्य के सीमा क्षेत्र पर, उत्तर में अंतर्राष्ट्रीय भारत नेपाल सीमा और अंतरराज्यीय  यूपी-बिहार बॉर्डर पर स्थित है। जानकारी के लिए बता दें कि यूपी में बाघों की कुल संख्या 117 से बढ़कर 173 हो गई है।

यूपी में टाइगर रिज़र्व

  • वर्तमान समय में यूपी में कुल 4 टाइगर रिज़र्व है। इसमें पहला ‘दुधवा टाइगर रिज़र्व’, जो भारत-नेपाल सीमा से सटा हुआ है। इसमें दुधवा नेशनल पार्क, कतर्नियाघाट वाइल्डलाइफ सेंचुरी और किशनपुर वाइल्डलाइफ सेंचुरी शामिल है। यह यूपी में एक ही जगह है जहां बाघ और गैंडे, दोनों एक साथ पाए जाते हैं। यहां बाघों की अनुमानित संख्या 107 है। 
  • यूपी का ‘पीलीभीत टाइगर रिज़र्व’ शाहजहांपुर और पीलीभीत जिले में मौजूद है जो करीब 730.24 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। साल 2020 में बाघों की संख्या दोगुनी पाए जाने पर इसे अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार TX2 (Tiger Times Two) से भी सम्मानित किया गया था। यह रिज़र्व अपने साल फ़ॉरेस्ट (Sal Forest) के लिए भी जाना जाता है। 
  • ‘अमानगढ़ टाइगर रिजर्व’ को बिजनौर टाइगर रिज़र्व नाम से भी जाना जाता है। कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के पास होने के कारण इसे बफर एरिया घोषित किया गया है। जनगणना के अनुसार, इसमें बाघों की संख्या 27 है।
  • उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में स्थित है प्रदेश का चौथा टाइगर रिज़र्व है ‘रानीपुर टाइगर रिजर्व’ जो 529.36 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यूपी के इस रानीपुर टाइगर रिज़र्व की दूरी एमपी के पन्ना टाइगर रिज़र्व से महज 150 किलोमीटर है। 

प्रोजेक्ट टाइगर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 
आज़ादी के समय देश में करीब 40 हज़ार बाघ हुआ करते थे, लेकिन 1970 तक इनकी संख्या घटकर 2 हज़ार से भी कम रह गई। जांच में यह पता चला कि इसके पीछे कारण बाघों का अवैध शिकार है। इसके बाद 1970 में अंतर्राष्ट्रीय संघ ने बाघ को लगभग ख़त्म हो चुकी प्राजाति घोषित कर दिया। साल 1972 में भारत सरकार ने सही आकड़ों का पता लगाने के लिए इनकी जनगणना की तो पता चला कि टाइगर की संख्या 1,800 के आस-पास है। उस वक्त इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act) 1972 की शुरुआत की। जिसके एक साल बाद 1 अप्रैल 1973 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट पार्क में प्रोजेक्ट टाइगर को लांच किया। शुरुआत में इस प्रोजेक्ट को उत्तर प्रदेश, बिहार, ओड़िसा, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, असम और पश्चिम बंगाल के 9 टाइगर रिज़र्व में शुरू किया गया था। 

प्रोजेक्ट टाइगर का उद्देश्य 
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य कुछ ऐसे कारणों का पता करके उसमें सुधार करना था जो बाघों की जनसंख्या में कमी के लिए जिम्मेदार हो। इस परियोजना का उद्देश्य केवल यह नहीं है कि बाघों को अधिक समय तक जीवित रखा जाए, बल्कि यह सुनिश्चित करने में भी सहयोग देना है कि मानव स्वयं भी अधिक समय तक जीवित रहें। बाघों के संरक्षण से मानव जीवन को भी नियमित स्वच्छ हवा, पानी, परागण (Pollination), तापमान विनियमन (Thermoregulation) जैसी चीजों की प्राप्ति होती है।

 

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