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काशी तमिल समागम-2 : देश की 2 सनातन संस्कृतियों का मिलन

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भारतीय सनातन संस्कृति के दो पौराणिक केंद्र विश्वेश्वर और रामेश्वर के भव्य मिलन के लिए उत्तर प्रदेश की काशी नगरी एक बार फिर तैयार है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से काशी तमिल समागम का आयोजन 17 से 30 दिसंबर तक होने जा रहा है जो करीब 14 से 15 दिनों तक चलने वाला एक कार्यक्रम है। इसको लेकर जिला प्रशासन तैयारियों में जुट गया है। जिलाधिकारी एस राजलिंगम के अनुसार, अब तक लगभग 30 हज़ार पंजीकरण हो चुके हैं जिसमें से 1500 लोगों को चुना जाना है जिनका आगमन सात विभिन्न शिफ्टों में होना है। इस दौरान लाखों सैलानी और श्रद्धालु शामिल होंगे। 

काशी में है मिनी तमिलनाडु-

दरअसल, काशी का दक्षिण भारत से कोई नया इंटरेक्शन नहीं, बल्कि बहुत पुराना संबंध है। तमिलनाडु के तेनकासी में 13वीं सदी में बने काशी विश्वनाथ मंदिर को दक्षिण का काशी कहा जाता है और वह मदुरै के भी दक्षिण में स्थित है। इस समागम का उद्देश्य वाराणसी और तमिलनाडु के बीच ज्ञान और प्राचीन सभ्यता, संबंधों के सदियों पुराने बंधन को फिर से खोजना है और संस्कृति का आदान-प्रदान करना है। काशी तमिल समागम भारत के इतिहास में हिंदी एवं तमिल भाषी लोगों के मेल-मिलाप को बढ़ावा देने के लिय सबसे बड़ा महोत्सव है। 

दक्षिण के लोग बताते हैं कि उनके मन में काशी का एक विशिष्ट स्थान है। दक्षिण भारतीयों के मन में एक बार काशी जा कर बाबा विश्वनाथ के और गंगा दर्शन की कामना रहती है। बनारस के हनुमान घाट इलाके में लघु तमिलनाडु भी है, जहां पीढ़ियों से आकर बसे तमिल परिवार रह रहें हैं। पूरे बनारस में करीब 200 से अधिक तमिल परिवार रह रहे हैं। बताया जाता है कि तमिलनाडु के नाट्य कोट्टई क्षत्रम की और से काशी विश्वनाथ मंदिर में 210 वर्षों से निर्बाध 3 आरती की जाती हैं। आरती के भस्मी और चंदन तमिलनाडु से ही मंगाया जाता है। 

यह है कार्यक्रम की रूपरेखा-

इस बार कार्यक्रम का आयोजन वाराणसी के नमो घाट पर आयोजित होगा। काशी तमिल समागम का आयोजन 17 दिसंबर से होना है जिसमें मेहमानों का प्रस्थान 15 दिसंबर को तमिलनाडु से ट्रेन के माध्यम से होगा। समागम की रूपरेखा को समझे तो मेहमानों को इस बार दो दिन बनारस भ्रमण कराने के उपरान्त प्रयागराज तथा अयोध्या जाना है। बताया जा रहा है कि अतिथि 15 दिसंबर को निकलकर 17 दिसंबर तक काशी पहुंचेंगे, इसके बाद वे विश्वनाथ मंदिर, विशालाक्षी मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, काल भैरव मंदिर में दर्शन-पूजन में भाग भी लेंगे। 

अगले दिन सभी मेहमान हनुमान घाट पर गंगा स्नान के बाद मंदिर में दर्शन पूजन कर सुब्रह्मण्यम भारती जी के घर जाएंगे। इसके बाद सभी नमो घाट के लिए प्रस्थान करेंगे। क्रूज़ से गंगा आरती देखने के बाद आयोजित डिनर में भाग लेंगे, इसके बाद अतिथियों को प्रयागराज ले जाया जाएगा। वहां घूमने के बाद सभी लोग अयोध्या दर्शन के लिए प्रस्थान करेंगे, वहां से फिर सभी बनारस वापसी करेंगे, जिसके बाद ट्रेन के माध्यम से वे अपने घर की ओर प्रस्थान करेंगे। 

पर्यटकों का होगा 7 समूहों में विभाजन- 

काशी तमिल समागम के दूसरे चरण में तमिलनाडु और पुडुचेरी के लगभग 1500 लोग यात्रा में लगने वाले समय सहित 8 दिनों के टूर के लिए ट्रेन से वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या की यात्रा करेंगे। इन सभी को 7 समूहों में बांटा जाएगा, जिसमें छात्र, शिक्षक, किसान और कारीगर, व्यापारी और व्यवसायी, धार्मिक व्यक्ति, लेखक और पेशेवर लोग शामिल होंगे। हर ग्रुप का नाम हमारी पवित्र नदियों के नाम पर जैसे, गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु, नर्मदा, गोदावरी और कावेरी के नाम पर रखा जाएगा। कार्यक्रम के तहत मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा द्वारा पर्यटन, पुलिस और अग्निशमन की एक संयुक्त टीम बनाकर उनके ठहरने के लिए चिन्हित होटल, हाइजीन, खाने की गुणवत्ता तथा सुरक्षा व्यवस्था के लिए सभी तैयारियों की समीक्षा का निर्देश दिया गया है। कार्यक्रम के दौरान नमो घाट पर टॉयलेट आदि की व्यवस्था कराने के भी निर्देश हैं।

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