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उत्तर प्रदेश की एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ने संविदा शिक्षकों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। अब संविदा पर नियुक्त किए जाने वाले शिक्षकों की बेसिक सैलरी 57,700 रुपये होगी। यह कदम शिक्षा क्षेत्र में सुधार और शिक्षकों की स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए उठाया गया है। इस यूनिवर्सिटी का नाम दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय है। यहां तीन वर्ष पूर्व के फैसले को पलटते हुए उनकी बेसिक सैलरी नियमित शिक्षकों की तरह निर्धारित करने का निर्णय लिया है। डीडीयू की वित्त समिति और कार्य परिषद ने इसे मंजूरी दे दी है।
इतनी रखी गई थी संविदा शिक्षकों की सैलरी-
डीडीयू में वर्ष 2021 में कृषि और इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू हुई थी। तब इन विषयों के लिए संविदा पर असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति हुई थी। यूजीसी और एआईसीटीई के मानक के अनुसार संविदा शिक्षकों की बेसिक सैलरी नियमित असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पदनाम के अनुरूप ही होना चाहिए। लेकिन डीडीयू में तब हुई नियुक्ति में असिस्टेंट प्रोफेसरों की बेसिक सैलरी 57,000 रुपये रखी गई थी। नियुक्त शिक्षक इसकी विसंगतियों की तरफ ध्यान दिलाते रहते थे। नैसर्गिक न्याय को देखते हुए कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इसे वित्त समिति और कार्य परिषद में ले जाने का निर्णय लिया था। दोनो ही समितियों ने संविदा असिस्टेंट प्रोफेसर की सैलरी 57,700 रुपये किए जाने पर मुहर लगा दी है।
डीडीयू के 59 संविदा शिक्षकों के लिए वैकेंसी
डीडीयू के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों में 59 संविदा शिक्षकों के पदों पर वैकेंसी निकली है। इन 6 विभागों में संविदा शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। जो इस प्रकार हैं-
विश्वविद्यालयका कदम
इस विश्वविद्यालय ने यह निर्णय इसलिए लिया है ताकि शिक्षकों को उनके कार्य के अनुसार उचित वेतन मिल सके। अब तक संविदा शिक्षकों को स्थायी शिक्षकों की तुलना में कम वेतन मिलता था, जिससे उनके बीच असंतोष की भावना उत्पन्न हो रही थी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह महसूस किया कि शिक्षकों की मेहनत और योगदान का सम्मान करना आवश्यक है, और इसी उद्देश्य से यह नया वेतनमान लागू किया गया है।
संविदा शिक्षकों का बढ़ेगा मनोबल
शिक्षकों की भूमिका समाज के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वे विद्यार्थियों को न केवल शैक्षणिक ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि उनके चरित्र निर्माण में भी अहम भूमिका निभाते हैं। संविदा शिक्षकों को स्थायी शिक्षकों के समान वेतनमान प्रदान करने का यह निर्णय उनके मनोबल को बढ़ाने के साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार करेगा।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार-
इस निर्णय से शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार की उम्मीद है। जब शिक्षकों को उनके काम का उचित मूल्य मिलेगा, तो वे और भी अधिक उत्साह और लगन से शिक्षण कार्य करेंगे। इससे विद्यार्थियों को भी बेहतर शिक्षा मिलेगी और विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
शिक्षकों के योगदान को उचित सम्मान-
उत्तर प्रदेश की इस विश्वविद्यालय ने संविदा शिक्षकों के लिए 57,700 रुपये बेसिक सैलरी का फैसला लेकर एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। यह कदम न केवल शिक्षकों के मनोबल को बढ़ाएगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी महत्वपूर्ण सुधार करेगा। उम्मीद है कि अन्य शिक्षण संस्थान भी इस दिशा में कदम उठाएंगे और शिक्षकों के योगदान को उचित सम्मान देंगे।
Baten UP Ki Desk
Published : 31 July, 2024, 5:35 pm
Author Info : Baten UP Ki