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(Special Story) अपराध की दुनिया में कदम रखकर माफिया बने मुख्तार अंसारी ने राजनीति के गलियारे तक अपनी ऐसी पहुंच बनाई कि उसका रुतबा दिनों-दिन बढ़ता चला गया। लेकिन कल रात बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की मौत की खबर ने पूर्वांचल से आतंक के एक अध्याय का अंत कर दिया। जुर्म-जरायम से लेकर कानूनी दांवपेंच का मास्टरमाइंड रहा मुख्तार अंसारी चार दशकों तक पुलिस के लिए ऐसी चुनौती बना रहा कि उसके खिलाफ कोई गवाह-कोई साक्ष्य उसे सजा नहीं दिलवा पाए। फिर समय का पहिया ऐसा बदला कि उसे एक नहीं बल्कि कई मामलों में सजा पर सजा मिली। आइए आपको विस्तार से बताते हैं कैसे एक फ्रीडम फाइटर का पोता बना माफिया डॉन....
भारत की आज़ादी से जुड़े परिवार में जन्म-
भारत की आज़ादी की लड़ाई से जुड़े परिवार में मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को गाजीपुर में हुआ।
पिता का नाम सुबहानउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था। मुख्तार की शादी 1989 में अफशां अंसारी से हुई। उनके दो बेटे अब्बास अंसारी और उमर अंसारी हैं। मुख्तार के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और गांधी जी के साथ आजादी की लड़ाई में शामिल थे। मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर उस्मान महावीर चक्र विजेता रहे हैं। इसके साथ ही पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार के चाचा लगते हैं।
कैसे हुई अराध की दुनिया में एंट्री-
मुख्तार अंसारी की अंडरवर्ल्ड में एंट्री काफी हैरान कर देने वाली है। मुख्तार अंसारी का अपराध की गलियों से सत्ता के गलियारों तक का सफर काफी विवादास्पद और दिलचस्प रहा है। मुख्तार अंसारी ने परिवार से बिल्कुल अलग रास्ता चुना। उसका आपराधिक करियर 1980 के दशक में पूर्वांचल की अराजकता के बीच शुरू हुआ, जो सरकारी ठेकों के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले आपराधिक गिरोहों के लिए कुख्यात इलाका था। मुख्तार अंसारी तेजी से पार्टी में उभरा उनका नाम पूरे उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बन गया।
सच्चिदानंद राय का मर्डर-
गंभीर अपराध से अंसारी का पहला परिचय 1988 में ग़ाज़ीपुर में भूमि विवाद को लेकर सच्चिदानंद राय की हत्या से जुड़ा। यह इस सफर की शुरुआत थी इस दौरान गैंग वॉर देखने को मिले। खास तौर पर राइवल माफिया ब्रिजेश सिंह के खिलाफ 2009 में कपिल देव सिंह का मर्डर, फिर 2009 में कॉन्ट्रैक्टर अजय प्रकाश सिंह का और फिर राम सिंह मौर्य के मर्डर ने मुख्तार को एक गैंगस्टर का र्दजा दे दिया।
अवधेश राय हत्याकांड -
यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय 3 अगस्त 1991 को लहुराबीर स्थित अपने घर के बाहर खड़े थे उसी दौरान बगैर नंबर की मारुती वैन से आए बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर अवधेश राय की हत्या कर दी थी। घटनास्थल से चेतगंज थाना लगभग 100 मीटर की दूरी पर था। अजय राय ने बदमाशों का पीछा भी किया था लेकिन उन्हें पकड़ पाने में असफल रहे थे। यह ऐसा पहला मामला था जिसमें मुख्तार अंसारी को 5 जून 2023 को वाराणसी की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
नंद किशोर रुंगटा का क्या हुआ?
विहिप के तत्कालीन कोषाध्यक्ष और कोयला कारोबारी नंद किशोर रुंगटा का अपहरण बनारस स्थित उनके ऑफिस से 22 जनवरी 1997 को किया गया था। मुख्तार अंसारी गिरोह को सवा करोड़ रुपये की फिरौती दी गई थी। इसके बाद भी आज तक नंद किशोर रुंगटा का पता नहीं लग पाया। उनके परिजन घटना के 27 वर्ष बाद भी कुछ नहीं बोलते हैं। बताया जाता है कि पुलिस और सीबीआई से पैरवी न करने के लिए मुख्तार अंसारी ने उनके भाई महावीर प्रसाद रुंगटा को धमकी दी थी। इस मामले में मुख्तार अंसारी को वाराणसी की अदालत ने 15 दिसंबर 2023 को पांच साल छह माह की सजा और 10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया था।
500 राउंड गोली चलाकर की गई थी 7 लोगों की हत्या-
साल 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा नेता कृष्णानंद राय ने मोहम्मदाबाद से अफजाल अंसारी को शिकस्त दी थी। 2004 में अफजाल अंसारी गाजीपुर से लोकसभा चुनाव जीता था। इसके बाद 29 जनवरी 2005 को विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों पर एके-47 से 500 राउंड गोली चलाकर बसनिया चट्टी के समीप नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में मारे गए सात लोगों के शव से 67 गोलियां बरामद की गई थी।
जेल की सलाखों में रहकर की राजनीति-
जेल की सलाखों में रहकर भी मुख्तार अंसारी ने कई राजनीतिक दलों का इस्तेमाल अपने ढंग से किया। बाहुबल के दम पर कमजोर उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित कराने के साथ ही खुद भी माननीय बन बैठा। इसके साथ ही मुख्तार ने अपने परिवार के लिए भी राजनीतिक जमीन तैयार की। बसपा का दामन थामकर 1996 में पहली बार विधानसभा पहुंचा तो बाद में सपा का भी इस्तेमाल अपने ढ़ंग से किया। मुख्तार दो बार निर्दलीय उम्मीदवार रहकर भी विधानसभा चुनाव जीता। सपा-बसपा से दूरी होने पर अपनी पार्टी कौमी एकता दल बनाया। मुख्तार पांच बार विधायक बना और बसपा के टिकट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट से भी किस्मत आजमाई हालांकि उसे इस बार हार का सामना करना पड़ा। मुख्तार अंतिम बार बसपा के टिकट पर 2017 में विधानसभा पहुंचा था। अपने बाहुबल के बूते बड़े भाई अफजाल अंसारी को संसद तक पहुंचाया तो बड़े बेटे अब्बास अंसारी को भी विधायक बनवा दिया।
जेल कोई भी हो, मुख्तार का बना रहा रुतबा-
पूर्वांचल की राजनीति में अंसारी परिवार हमेशा से ताकतवर रहा है। इसका असर मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, बलिया और बनारस तक है। मुख्तार पर 61 केस दर्ज थे। इनमें हत्या के 8 केस तो जेल में रहने के दौरान ही दर्ज हुए थे। मुख्तार जिस भी जेल में रहा, उसका रुतबा हमेशा बना रहा। चाहे गाजीपुर जेल हो, बांदा जेल या पंजाब की रोपड़ जेल उसका जलवा हर जगह कायम रहा। जेलर कोई भी हो जेल में मुख्तार की ही चली।
मुख्तार जेल से ही गैंग चलाता रहा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मार्च 2023 में एक शूटर की जमानत पर सुनवाई करते हुए मुख्तार गैंग को देश का सबसे खतरनाक गिरोह बताया था।
मुख्तार और उसके परिवार पर 97 केस दर्ज-
1996 में मुख्तार पहली बार मऊ विधानसभा सीट से विधायक बना। वो 5 बार इस सीट से विधायक रहा।मुख्तार समेत उसके परिवार पर 97 केस दर्ज हैं। मुख्तार पर अकेले ही हत्या के 8 मुकदमे समेत 65 मामले दर्ज थे। इनमें से सर्वाधिक 25 मुकदमे गाजीपुर जिले में दर्ज थे। 65 मुकदमों में 15 मुकदमे हत्या के आरोप से संबंधित थे। मुख्तार को आठ मामलों में अदालत से सजा सुनाई जा चुकी थी। वहीं, 21 मुकदमों का अलग-अलग अदालतों में ट्रायल चल रहा था।
18 महीने में मुख्तार को हुई आठ बार सजा-
पूर्वांचल में अपराध के एक युग का अंत-
मुख्तार की मौत के साथ ही मानो पूर्वांचल में अपराध के एक युग का अंत हो गया हो। पूर्वांचल के दो सबसे बड़े बाहुबली अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी सालभर में मारे गए। पिछले साल अतीक अहमद को पुलिस हिरासत में बदमाशों ने गोलियों से भून दिया था। वहीं मुख्तार अंसारी के परिवार का आरोप है कि उन्हें जेल में धीमा जहर देकर मारा गया है। हलांकि यह जांच का विषय है कि मुख्तार अंसारी की मौत कैसे हुई। बहरहाल अतीक और मुख्तार के साथ ही पूर्वांचल से आतंक का अंत जरूर हो गया है।
सीनियर प्रोड्यूसर
Published : 29 March, 2024, 1:55 pm
Author Info : राष्ट्रीय पत्रकारिता या मेनस्ट्रीम मीडिया में 15 साल से अधिक वर्षों का अनुभव। साइंस से ग्रेजुएशन के बाद पत्रकारिता की ओर रुख किया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया...