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उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के बसई मुहम्मदपुर गांव की रहने वाली निहारिका वर्मा ने सरकारी नौकरी छोड़ गांव की किस्मत बदलने की ठानी और वो कर दिखाया जो बड़े-बड़े न कर पाए। निहारिका ने अपने तीन साल के कार्यकाल में कूड़े से जैविक खाद बनाने में गांव को मंडल का मॉडल बना दिया। इसके साथ ही उन्होंने महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर गांव का नाम रोशन किया। इनके काम को देखते हुए प्रदेश सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने उन्हें सम्मानित भी किया।
शादी के बाद की आगे की पढ़ाई-
आपको बता दें कि शहर से 12 किलोमीटर दूर यमुना के किनारे बसी ग्राम पंचायत है बसई मुहम्मदपुर। आगरा के उझावली गांव की रहने वाली निहारिका वर्मा की शादी 2006 में रेलवे इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारी रामदास वर्मा से हुई थी। दो साल बाद रामदास सरकारी शिक्षक बन गए। ससुराल जाने के बाद निहारिका ने हाईस्कूल से आगे की पढ़ाई शुरू की और बीएड करने के बाद निहारिका का सेलेक्शन 2018 में परिषदीय शिक्षक के रूप में कासगंज में हुआ। बहराइच में पोस्टिंग हुई और एक साल बाद उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और गांव वापस लौट आई।
सरकारी नौकरी छोड़ बनी ग्राम प्रधान-
नौकरी छोड़ने के बाद निहारिका पहली बार ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ी। पढ़ी लिखी गांव की बहू ने चुनाव में पंचायत को मॉडल बनाने का वादा किया। गांव की बहू के वादे पर भरोसा कर मतदाताओं ने ग्राम प्रधान बना दिया। पहली बार प्रधान बनी निहारिका ने चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
स्वच्छ भारत मिशन में योगदान-
स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में कूड़ा निस्तारण के लिए गांवों में (आरआरसी) यानी रिकवरी रिसोर्स सेंटर बनाए गए। बसई मुहम्मदपुर में फरवरी में इसका शुभारंभ हुआ। ग्राम प्रधान ने कूड़ा कलेक्शन के लिए दो ई-रिक्शे लगाए। इसके माध्यम से कूड़ा और गोबर कलेक्शन हटा कर सड़क किनारे बनवाए गए । चार पक्के सामुदायिक कचरा पात्र तक ले जाकर जैविक खाद का उत्पादन शुरू कराया गया। 59 पंचायतों को पीछे छोड़ते हुए निहारिका ने कूड़ा निस्तारण में जोरदार काम किया। सेंटर पर गोबर से खाद बनाने में सफलता प्राप्त की। जैविक खाद और जैविक खेती में गांव आगे बढ़ रहा है। इसके बाद पंचायत विभाग ने इसे माडल गांव घोषित कर दिया।
100 किलो गोबर से बनती है 30 किलो जैविक खाद-
ग्राम प्रधान निहारिका वर्मा बताती हैं कि महिला समूह गोबर एकत्रित करता है। सेंटर पर गोबर से जैविक खाद बनाई जाती है। 100 किलो गोबर से 30 किलो जैविक खाद बनती है। इसमें से 10 किलो खाद गोबर देने वाले ग्रामीण को, 10 किलो गोबर इकट्ठा करने वाली महिलाओं के समूह को और 10 किलो ग्राम पंचायत को मिलती है। ग्राम पंचायत अपने हिस्से की खाद बेचकर आय अर्जित करती है। आपको बता दें निहारिका की ससुराल में अब तक किसी ने कोई चुनाव नहीं लड़ा था। 2020 में हुए पंचायत चुनाव में निहारिका के साथ उनकी भाभी आगरा के फतेहाबाद के गांव उझावली में चुनाव लड़ी। दोनों का चुनाव चिन्ह कैमरा था और दोनों जीत गईं।
सीनियर प्रोड्यूसर
Published : 1 December, 2023, 7:31 pm
Author Info : राष्ट्रीय पत्रकारिता या मेनस्ट्रीम मीडिया में 15 साल से अधिक वर्षों का अनुभव। साइंस से ग्रेजुएशन के बाद पत्रकारिता की ओर रुख किया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया...