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"अभी करो, अर्जेंट करों, हमको परमानेंट करो" की मांग रहे CHO, प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प

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लखनऊ में नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के कर्मचारियों और पुलिस के बीच बुधवार को जोरदार झड़प हुई क्योंकि प्रदेश के 10 हजार से ज्यादा कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (CHO) मुख्यालय का घेराव करने के लिए चारबाग की ओर बढ़ रहे थे, जब पुलिस ने उन्हें रोक लिया। चारबाग के पास पुलिस ने सड़कों पर बैरिकेडिंग कर दी, जिसके बाद दोनों पक्षों में तनातनी हो गई। पहले हल्की धक्का-मुक्की हुई, जो जल्द ही झड़प में बदल गई। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रयास किए। थोड़ी देर तक कर्मचारियों ने चारबाग के एपी सेन रोड मोड़ पर प्रदर्शन किया। बाद में, पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को गाड़ियों में भरकर ईको गार्डन भेजा, जबकि बाकी प्रदर्शनकारियों को पैदल मार्च कराकर वहीं पहुंचाया गया। प्रदर्शनकारी लगातार परमानेंट करने की मांग को लेकर नारेबाजी कर रहे हैं।

मुख्यालय पहुंचा CHO का प्रतिनिधिमंडल-

प्रदर्शनकारी CHO का एक प्रतिनिधिमंडल नेशनल हेल्थ मिशन के मुख्यालय में मिशन डायरेक्टर (MD) से मुलाकात करने पहुंचा। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा। उनका आरोप है कि वे 2018 से लगातार काम कर रहे हैं और कोविड-19 महामारी के दौरान भी अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाएं दीं, लेकिन अब सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। प्रदेश में कुल 18,000 CHO तैनात हैं, जिन्होंने 21 से 27 अगस्त तक हड़ताल की थी और अब प्रदर्शन कर रहे हैं।

परमानेंट करो और शोषण बंद करो-

कानपुर से आई अंबिका गुप्ता ने बताया कि उनकी मुख्य मांग यही है कि उन्हें परमानेंट किया जाए और शोषण बंद किया जाए। वहीं, राजस्थान के त्रिलोक सिंह गुर्जर का कहना है कि वे 700-800 किलोमीटर दूर रहकर नौकरी कर रहे हैं और मेडिकल सेवाएं मुहैया करा रहे हैं, इसलिए उन्हें नियमित किया जाना चाहिए। रामपुर से आए जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि उनका प्रदर्शन ऑनलाइन अटेंडेंस मैनेजमेंट सिस्टम (AMS) के विरोध में नहीं है, बल्कि वे चाहते हैं कि इसे सभी कर्मचारियों पर लागू किया जाए।

चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम करने का दावा-

कर्मचारियों ने बताया कि वे 2018 से अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटे हैं और कोविड-19 जैसी चुनौतीपूर्ण स्थितियों में भी अपनी सेवाएं दी हैं। इसके बावजूद, उनकी मांगों पर सरकार द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे वे मजबूर होकर प्रदर्शन करने पर उतारू हैं।

डिजिटल स्ट्राइक से भी नहीं मिला समाधान-

प्रदेश अध्यक्ष हिमालय कुमार ने बताया कि प्रदेश के प्रत्येक CHO साथी अपने शोषण के खिलाफ न्याय की मांग कर रहे हैं। वे AMS के केवल CHO पर लागू किए जाने के तानाशाही आदेश के खिलाफ और केंद्र सरकार द्वारा निर्देशित करने के बावजूद इसे लागू न किए जाने पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

सरकार से अब तक कोई सुनवाई नहीं-

NHM कर्मचारी संघ के योगेश उपाध्याय ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिना बुनियादी सुविधाओं के बावजूद CHO स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रहे हैं। लेकिन उनके शोषण को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि सभी CHO को तैनाती स्थल पर रोजाना AMS पर हाजिरी लगानी होती है। उन्होंने प्रमुख सचिव से AMS में सुधार की मांग की थी, लेकिन जब उनकी सुनवाई नहीं हुई, तो आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।

स्वास्थ्य मंत्री से गुहार के बावजूद जारी है संघर्ष-

CHO ने स्वास्थ्य मंत्री से लेकर प्रमुख सचिव तक अपनी समस्याएं बताई हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। अब वे कार्य का बहिष्कार कर रहे हैं और आगे की रणनीति पर विचार कर रहे हैं। पुलिस के साथ NHM कर्मियों की झड़प ने सरकार और कर्मचारियों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। दोनों पक्षों के बीच बातचीत की जरूरत है ताकि इस विवाद का हल निकल सके और स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका असर न पड़े।

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