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डॉक्टरों की लापरवाही से गई मासूम की जान, पिता ने सिस्टम को बताया जिम्मेदार

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उत्तर प्रदेश के इटावा से एक बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां एक मासूम बच्चे की मरने की वजह डॉक्टर बन गया। दरअसल, इटावा के रहने वाले कृपाल सिंह के 8 साल के बेटे नैतिक की कुत्ते के काटने से मौत हो गई। नैतिक को 9 नवंबर को एक स्ट्रीट डॉग ने दांत से खरोंच मार दिया था। जिसके बाद उसकी हालत धीरे-धीरे बिगड़ती चली गई और 1 दिसंबर को मौत हो गई।

डॉक्टरों की लापरवाही से गई मासूम की जान-

कृपाल सिंह के मुताबिक, 9 नवंबर को नैतिक स्कूल से घर आ रहा था। तभी एक स्ट्रीट डॉग ने उसे दौड़ा लिया। डॉग ने नैतिक को हाथ पर दांत से खरोंच मार दी। नैतिक ने घर आकर अपने पिता को बताया। कृपाल सिंह ने नैतिक को तुरंत गाजियाबाद के MMG अस्पताल ले गए। जहां अस्पताल में डॉक्टर ने शरीर पर घाव न होने और खून न निकलने की बात कहकर वापस कर दिया। अगर तब डॉक्टर नैतिक का इलाज कर देते तो शायद आज वह जिंदा होता।

मिली हुई जानकारी के मुताबिक, कृपाल ने अपने बच्चे की मौत का जिम्मेदार सिस्टम को बताया है। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा 10 दिन से कुछ खा नहीं पा रहा था। डॉक्टर की बात पर यकीन करके हमने अपना बेटा गंवा दिया। मैंने अपने मासूम बेटे को अपने हाथों से दफना दिया। कुत्ते के काटने के बाद अगर डॉक्टर तुरंत इलाज करते तो वो बच जाता। मेरे बेटे की तड़प-तड़प कर मेरी गोद में मौत हुई है, मैं ये कभी नहीं भूल पाऊंगा। मेरे बेटे की मौत का जिम्मेदार सिस्टम है।"

स्ट्रीट डॉग के नोचने से हुई मौत-

उन्होंने बताया कि 9 नवंबर को मेरा बेटा नैतिक स्कूल से घर लौट रहा था। इस दौरान पटाखों की वजह से कुत्ते डर रहे थे। इसी बीच एक कुत्ते ने मेरे बेटे को झपट लिया। वो मेरे बच्चे को नोच नहीं पाया लेकिन उसका हल्का सा दांत बेटे के हाथ में लग गया। बेटा रोता हुआ घर पहुंचा और पूरी बात बताई। हम लोग तो दिवाली मनाने घर (इटावा) आने की सोच रहे थे, लेकिन सब छोड़कर पहले बेटे को अस्पताल में दिखाया। बेटे के शरीर पर कहीं काटने का निशान नहीं था बस हल्की सी खरोंच थी। इस कारण गाजियाबाद के MMG हॉस्पिटल में डॉक्टर ने बेटे का इलाज नहीं किया। उन्होंने कहा, बेटे के हाथ को अच्छे से साबुन से धो दो, उसके बाद तेल लगा देना। सब ठीक हो जाएगा।

हमने अपने बेटे के साथ ऐसा ही किया लेकिन मेरा बेटा बहुत डरा हुआ था। इसके बाद दिवाली की रात से मेरे बेटे को बुखार आना शुरू हो गया हम लोग उसको बुखार की दवा खिलाते तो वो ठीक हो जाता लेकिन फिर उसको बुखार आ जाता। लेकिन फिर 19 नवंबर से बेटे की हालत बहुत बिगड़ गई। उसके शरीर पर सफेद-सफेद निशान पड़ जाते। उनमें बहुत खुजली होती थी उसको। मेरे बेटे के गले में भी अजीब सा निशान पड़ गया था। बेटे के गले में धीरे-धीरे सूजन आ रही थी। वो सांस नहीं ले पा रहा था। उसके गले की सूजन बढ़ रही थी।

पांच घंटे तक इलाज के लिए घूमता रहा पिता-

सब कुछ खाना उसने बंद कर दिया था। गले में सूजन वाली जगह उसको इतनी खुजली होती थी कि खुजलाते-खुजलाते खून आ जाता था। पूरे शरीर पर सफेद निशान पड़ गए थे। कुछ खाने को देते तो फेंक देता। उसका बर्ताव बहुत गुस्से वाला हो गया था।  मैंने इटावा में अपने पापा को इसके बारे में बताया। उन्होंने हमें तुरंत घर आने के लिए बोला। जिसके बाद 30 नवंबर को हम परिवार के साथ अपने गांव पहुंच गए। तभी मेरे बेटे को बहुत तेज बुखार था। 1 दिसंबर को सुबह ही हम लोग सैफई अस्पताल पहुंच गए। वहां हमने डॉक्टर को बेटे को दिखाया तो उसने मेरे बेटे को हाथ तक नहीं लगाया।

डॉक्टर ने मुझसे कहा, इसको कहीं जाकर फेंक दो या फिर कमरे में बंद कर दो। इसका इलाज अब नहीं हो पाएगा। मैं डॉक्टर से विनती करता रहा लेकिन वो नहीं माना। मेरे बेटे के मुंह से बहुत झाग निकल रहा था। बेटे को गोद में लेकर मैं डॉक्टर के पीछे-पीछे भाग रहा था लेकिन फिर भी उस डॉक्टर ने बेटे की तरफ एक नजर तक नहीं डाली। मैं पांच घंटे तक धूप में मैं बेटे को लेकर घूमता रहा लेकिन कोई भी मेरे बेटे का हाल लेने नहीं आया। इसके बाद मेरे बेटे ने मेरी गोद में ही अपना दम तोड़ दिया। वहीं मामले में चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर डॉक्टर एसपी सिंह का कहना है, मामले की जांच कराई जा रही है। जिस डॉक्टर ने बच्चे का इलाज करने से मना किया है, उस पर कार्रवाई की जाएगी।


 

 

 

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