लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के गोमती नगर स्थित कार्यालय के बाहर शुक्रवार को किसानों का आक्रोश सड़कों पर नजर आया। लंबे समय से अधूरी मांगों और वादाखिलाफी से नाराज किसान भारी संख्या में जुटे। करीब 200 बुजुर्ग किसान और महिलाएं अपनी आवाज बुलंद करने के लिए कार्यालय पहुंचीं। किसानों का आरोप है कि बार-बार आश्वासन देने के बावजूद एलडीए अधिकारी चबूतरों के आवंटन में टालमटोल कर रहे हैं।
1981 से लंबित भूमि अधिग्रहण का मामला
किसानों ने बताया कि 1981 में वसंतकुंज योजना, सीतापुर रोड नगर प्रसार योजना और अलीगंज योजना के लिए उनकी भूमि अधिग्रहीत की गई थी। वसंतकुंज योजना के किसानों को मुआवजा बढ़ाकर दिया गया, लेकिन सीतापुर रोड और अलीगंज योजना के किसान अब तक न्याय से वंचित हैं।
84 चबूतरे की लॉटरी में गड़बड़ी का आरोप
जानकीपुरम योजना में 84 चबूतरों की लॉटरी निकाली गई थी, जिसमें अधिकांश किसानों ने अपनी रजिस्ट्री पूरी कर ली। लेकिन 15-20 किसानों की रजिस्ट्री लंबित है। किसानों ने आरोप लगाया कि कुछ अराजक तत्वों ने अधिकारियों को गुमराह कर पात्र किसानों की लॉटरी में हेरफेर की।
एलडीए के आश्वासन पर भरोसा टूटा
एलडीए ने प्रभावित किसानों से रोजगार के लिए चबूतरे आवंटित करने का वादा किया था। बावजूद इसके, 1700 में से केवल 600 किसानों को ही चबूतरे दिए गए हैं। किसानों का कहना है कि 2011 से आंदोलन जारी है, लेकिन ठोस निर्णय अब तक नहीं लिया गया।
चबूतरे आवंटन में अनियमितताओं का विरोध
किसानों ने आरोप लगाया कि चबूतरा आवंटन प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गईं। एसडीएम अर्जन द्वारा पात्र किसानों की सूची तैयार करने के बावजूद लॉटरी में पारदर्शिता का अभाव रहा।
कोर्ट के निर्देशों पर मुआवजे की मांग
किसानों ने वसंतकुंज योजना के किसानों को कोर्ट के आदेश पर बढ़ाए गए मुआवजे का हवाला देते हुए सीतापुर रोड और अलीगंज योजना के लिए समान मुआवजे की मांग की।
अनिश्चितकालीन धरने की चेतावनी
प्रदर्शनकारियों ने एलडीए पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे। किसानों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता।
मांगें:
- भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में समानता लाई जाए।
- पात्र किसानों को तुरंत चबूतरे आवंटित किए जाएं।
- आवंटन प्रक्रिया में गड़बड़ी के दोषियों पर कार्रवाई हो।
किसानों का कहना है कि उनका आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर है और वे अपने अधिकारों की लड़ाई हर हाल में जारी रखेंगे।