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मोहल्ले के स्कूल से लेकर लखनऊ PGI के डायरेक्टर तक, और अब डॉ. धीमान को मिला पद्मश्री अवार्ड

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अंगदान को प्रमोट करने में अहम रोल निभाने वाले SGPGI लखनऊ के निदेशक डॉ. आरके धीमान को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया। गुरुवार यानी 9 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में  प्रमाणपत्र और पदक देकर सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए दिया गया है। केंद्र सरकार ने 25 जनवरी को पद्मश्री अवार्ड के लिए डॉ.धीमन का नाम घोषित किया था। 

साधारण परिवार से आते हैं  डॉ. आरके धीमान-

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में एक साधारण परिवार में 4 जून 1960 को आरके धीमान का जन्म हुआ था। उनके पिता एक शिक्षक थे। प्रो. धीमान की कक्षा पांच तक की पढ़ाई मोहल्ले के प्राइमरी स्कूल से हुई और वहीं उन्होंने हाईस्कूल व इंटर तक की पढ़ाई यूपी बोर्ड से की। सहारनपुर के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रो. आरके धीमान को साल 2020 में उन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा संस्थानों में शुमार एसजीपीजीआई का निदेशक बनाया गया और अब पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

डॉ. आरके धीमान का लखनऊ से नाता-

डॉ. आरके धीमान का लखनऊ से गहरा नाता है। उन्होंने मेडिकल की यूजी, पीजी व सुपर स्पेशियलिटी डिग्री लखनऊ से ही हासिल की। उन्होंने साल 1984 में केजीएमयू से एमबीबीएस और साल 1987 में केजीएमयू से ही एमडी किया। इसके बाद उन्होंने पीजीआई लखनऊ से डीएम गैस्ट्रोइंट्रोलाजी की पढ़ाई पूरी की। प्रो. धीमान ने चंडीगढ़ पीजीआइ के हेपेटोलाजी विभाग के अध्यक्ष के रूप में लंबे समय तक सेवा दी। डा. धीमान ने साल 1993 में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पीजीआई में नौकरी शुरू की। प्रो. धीमान के पास वर्ष 2021 से कल्याण सिंह कैंसर संस्थान का भी प्रभार है।

हेपेटाइटिस सी को कंट्रोल करने में दिया अहम योगदान

हेपेटाइटिस सी को नियंत्रित करने और पूरे देश में इस गंभीर बीमारी के खिलाफ अभियान चलाने में प्रो. आरके धीमान को श्रेय जाता है। पंजाब में हेपेटाइटिस सी काफी तेजी से फैल रहा था। 18 जून 2016 को उन्होंने पंजाब सरकार के साथ मिलकर प्रदेश के सभी फिजीशियन को हेपेटाइटिस सी का इलाज करने के लिए बाकायदा ट्रेनिंग दी। इसमें 22 जिला अस्पताल और तीन मेडिकल कालेज को शामिल किया गया था, जो अब बढ़कर 68 हो गए हैं।

अंगदान को प्रमोट करने में निभाया अहम रोल-

प्रो. धीमान का अंगदान को प्रमोट करने में भी अहम योगदान रहा है। उनके प्रस्ताव को चंडीगढ़ प्रशासन ने मानते हुए ड्राइविंग लाइसेंस में आर्गन डोनेशन की शपथ लेने को अंकित कराया। उनके देखरेख में देश में पहली बार पीजीआइ ने न्यू सुपर स्पेशिएल्टी कोर्स (डीएम) शुरू किया और लिवर ट्रांसप्लांटेशन प्रोग्राम को लॉन्‍च किया। एसजीपीजीआइ में हिपेटोलाजी विभाग शुरू करने से कोरोनाकाल में उनके मजबूत प्रबंधन की खूब सराहना हुई।

ये भी मिल चुके हैं पुरस्कार-

प्रो. आरके धीमान को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें अमेरिकन असोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लिवर (AASLD) द्वारा हेरोल्ड ओ कॉन पुरस्कार मिल चुका है। डॉ. धीमान 2012 से 2019 तक इंटरनेशनल सोसाइटी ऑन हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी एंड नाइट्रोजन मेटाबॉलिज्म (ISHEN) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके अलावा उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा (2008) चिकित्सा क्षेत्र में सर्वोच्च डॉ. बीसी रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें 4 बार भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) पुरस्कार मिला हैं। इसके साथ ही 2009 में बसंती देवी अमीर चंद, 2007 में अमृत मोदी यूनिकेम, 1997 में शकुंतला अमीर चंद पुरस्कार और 1996 में डॉ. डीवी दत्ता मेमोरियल ओरेशन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

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