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53 साल पुराने मामले में आया फैसला, हिन्दू पक्ष को मिला मालिकाना हक

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उत्तर प्रदेश के बागपत में 53 साल पुराने लाक्षागृह टीले विवाद पर आज फैसला आ गया है। बागपत जिला एवं सत्र न्यायालय ने 100 बीघा जमीन को लेकर चल रहे मुकदमे में मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए हिंदू के पक्ष में फैसला सुनाया है। जिन दलीलों में मुस्लिम पक्ष ने यह दावा किया था कि यह लाक्षागृह नहीं बल्कि इस टीले पर शेख बदरुद्दीन की मजार और एक कब्रिस्तान है। उन्हीं दावों को खारिज करते हुए कोर्ट ने हिन्दू पक्ष को उनका मालिकाना हक दिया है। कोर्ट ने टीले पर मिले महाभारत कालीन सबूतों के आधार पर माना है कि यह मजार नहीं लाक्षागृह है।

2018 में हुआ था टीले का सर्वे

आपको बता दें कि बागपत के लाक्षागृह पर 1970 में मुकदमा शुरू हुआ था, जहां मुस्लिम पक्ष मुकीम ने वाद दायर करते हुए लाक्षागृह पर मुस्लिम पक्ष के कब्रिस्तान और मजार होने का दावा किया था। 1970 में मेरठ कोर्ट में यह मुकदमा चला जिसके बाद बागपत कोर्ट बनने के बाद से ही यह केस यहां चल रहा था। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और भारतीय पुरातत्व संस्थान द्वारा 2018 में कराए गए सर्वे में कई अहम सबूत मिले। जिसको लेकर हिंदू पक्ष का कहना है कि यह टीला महाभारत काल में पांडवों का लाक्षागृह था। जहां दुर्योधन ने पांडवों को जलाकर मारने की कोशिश की थी, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना था कि इस टीले पर शेख बदरुद्दीन की मजार और एक कब्रिस्तान है। जो यूपी वक्फ बोर्ड में दर्ज भी है। हालांकि, आज बागपत जिला एवं सत्र न्यायालय ने इस पर फैसला सुनाते हुए हिन्दू पक्ष को उनका मालिकाना हक दे दिया है।

हिन्दू पक्ष के वकील ने दी जानकारी-

वहीं हिंदू पक्ष के वकील ने बताया कि कोर्ट ने माना है कि लाक्षागृह पर मुस्लिम समाज से संबंधित कोई प्रमाण नहीं मिला, जिसको देखते हुए कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की अपील और मुकदमा खारिज कर दिया है। इस दौरान मुद्दई विजयपाल कश्यप और वकील रणवीर सिंह ने पूरे मामले पर जानकारी दी और बताया कि 51 साल से अधिक यह मुकदमा चला और आज कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हिंदू पक्ष को मालिकाना हक दे दिया। 

 

 

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