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जब भारत की "शक्ति" से हैरान रह गए थे दुनिया के बड़े-बड़े देश..

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(Special Story) प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान में तरक्की किसी भी देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि जब इसका विकास होता है तो, देश आर्थिक स्तर पर विकास तो करता ही है और उसका विश्व पटल पर भी गौरव बढ़ता है। आज से लगभग 26 साल पहले जब भारत ने न्यूक्लियर टेस्ट किया था तो इसकी गूंज पूरी दुनिया ने सुनी थी और भारत न्यूक्लियर क्लब को जॉइन करने वाला 6वां देश बन गया था।साल 1998 को इसी न्यूक्लियर टेस्ट के सफल परीक्षण की याद में भारत में हर साल 11 मई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है। यह विशेष दिन इनोवेटर्स, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के योगदान को पहचानने और देश में वैज्ञानिक और तकनीकी इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।

क्यों 11 मई का दिन भारत के लिए है खास 

यह दिन भारत की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में जाना जाता है क्योंकि 11 मई 1998 को भारत ने राजस्थान के पोखरण  में सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया था। यह परीक्षण भारत की तकनीकी उन्नति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था और इसने देश के लिए परमाणु हथियार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी स्थान हासिल करने का मार्ग प्रशस्त किया।

ऑपरेशन शक्ति-

परमाणु परीक्षण II के आज 26 साल पूरे हो गए हैं। पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के पास भारत ने तीन परमाणु परीक्षण किए थे और पूरी दुनिया को साबित कर दिया था कि भारत अपने दुश्मनों से लड़ने के लिए तैयार है। पोखरण में 11 मई साल 1998 को किए गए परमाणु परीक्षण को ऑपरेशन शक्ति का नाम दिया गया था। अपने शीर्षक के तहत ही भारत ने पूरी दुनिया में अपनी ताकत का भी परिचय दे दिया था। भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में भारत ने सफलतापूर्वक अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया था।

जब भारत  बना न्यूक्लियर स्टेट 

भारत ने पोखरण-II टेस्ट के लिए पांच न्यूक्लियर धमाके किए थे। इस न्यूक्लियर टेस्ट का कोड नाम शक्ति-I न्यूक्लियर मिसाइल था। इस न्यूक्लियर टेस्ट को एरोस्पेस इंजीनियर डॉ. एपीजी अब्दुल कलाम लीड कर रहे थे। इस सफलता के ठीक दो दिन बाद भारत ने दो नए न्यूक्लियर हथियारों का टेस्ट किया था। यह भी पोखरण-II का हिस्सा था। दरअसल पोखरण-I भारत की पहला न्यूक्लियर टेस्ट था। पहला न्यूक्लियर टेस्ट साल 1974 में किया गया था। इसे स्माइलिंग बुद्धा के नाम से जाना जाता है। पोखरण-II की बड़ी सफलता के बाद ही तत्कालिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को एक न्यूक्लियर स्टेट घोषित किया था।

देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट

11  मई दिन न्यूक्लियर टेस्ट की सफलता के साथ ही देश के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट के उड़ान भरने से भी जुड़ा है। देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट हंसा-3 बेंगलुरु में साल 1999 में उड़ाया गया था। यह एयरक्राफ्ट दो सीटों वाला एक सामान्य एयरक्राफ्ट था। इस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल पायलट ट्रेनिंग, निगरानी, हवाई फोटोग्राफी के लिए किया जाता था।

ऐसे मनाए नेशनल टेक्नोलॉजी डे-

  • अपनी पसंदीदा तकनीकें साझा करें।
  • चर्चा करें कि प्रौद्योगिकी आपके जीवन को कैसे बेहतर बनाती है।
  • नई तकनीक का परीक्षण करें।
  • नई तकनीक के लिए अपने विचार साझा करें। 

 

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