बड़ी खबरें

Abhidhamma Diwas पर पीएम मोदी ने भगवान बुद्ध के साथ जुड़ाव पर की बात, कहा- संस्कृति को नए सिरे से पेश कर रहा भारत 22 घंटे पहले जस्टिस संजीव खन्ना होंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश, सीजेआई चंद्रचूड़ ने की सिफारिश 22 घंटे पहले यूपी की पहली बायोफायर मशीन SGPGI में लगी, 2 घंटे में मिलेगी 15 दिन में मिलने वाली रिपोर्ट 22 घंटे पहले मिल्कीपुर की याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला आज, चुनाव का रास्ता साफ हो सकता है, बाबा गोरखनाथ ने रिट वापस लेने के लिए लगाई अर्जी 22 घंटे पहले यूपी के राज्य कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, दिवाली से पहले होगी बढ़े डीए की घोषणा, केंद्र दे चुका है ये सौगात 22 घंटे पहले लखनऊ में बनेगा अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर, दो साल में होगा तैयार, एक साथ बैठ सकेंगे दस हजार लोग 22 घंटे पहले गोरखपुर से होकर गुजरेंगी 7 अमृत भारत ट्रेनें, रेलवे ने जारी की है 26 अमृत भारत ट्रेनों की लिस्ट, प्रीमियम ट्रेनों में सफर का मिलेगा मजा 22 घंटे पहले PCS प्री-2024 एग्जाम हुआ स्थगित,27 अक्टूबर को होनी थी परीक्षा, नहीं बनाए जा सके एग्जाम सेंटर, जल्द होगा नई डेट का ऐलान 22 घंटे पहले CRPF में सब इंस्पेक्टर के 124 पदों पर निकली भर्ती, एज लिमिट 56 साल, 1.12 लाख तक मिलेगी सैलरी 22 घंटे पहले हरियाणा में बीजेपी ने रचा इतिहास, नायब सिंह ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ; एक बार फिर सैनी सरकार 20 घंटे पहले बहराइच हिंसा के आरोपी का यूपी पुलिस ने किया एनकाउंटर, नेपाल भागने की फिराक में थे 18 घंटे पहले

बिना रोशनी के समुद्र की गहराई में कैसे मिली ऑक्सीजन? डार्क ऑक्सीजन का क्या है रहस्य

Blog Image

हाल ही में वैज्ञानिकों ने गहरे समुद्र में 'डार्क ऑक्सीजन' की खोज की है, जो कि शोधकर्ताओं के लिए एक नया रहस्य साबित हो रहा है। यह खोज प्रशांत महासागर के निचले भाग में की गई है, जहां बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन पंप हो रही है। यह ऑक्सीजन इतनी गहरी जगह पर उत्पन्न हो रही है जहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाती और प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) असंभव है। नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित इस रिसर्च में बताया गया कि समुद्र की सतह से लगभग 4 हजार मीटर यानी 13,100 फीट नीचे पूर्ण अंधेरे में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, जिसे 'डार्क ऑक्सीजन' का नाम दिया गया है।

ऑक्सीजन के पैदा होने की समझ को चुनौती

अब तक वैज्ञानिक मानते रहे थे कि बिना सूरज की रोशनी के ऑक्सीजन का निर्माण संभव नहीं है। इस खोज ने विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है क्योंकि यह प्रकाश संश्लेषण के जरिए ऑक्सीजन के पैदा होने की समझ को चुनौती देती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस खोज से समुद्री जीवन और उसके पर्यावरण के बारे में हमारी समझ में नया आयाम जुड़ सकता है। यह भी संभव है कि इस नई ऑक्सीजन उत्पादन प्रक्रिया का पता लगाने से हम पृथ्वी के अन्य रहस्यों को भी उजागर कर सकें।विशेषज्ञों के अनुसार, इस खोज के बाद समुद्री जीवन की विभिन्न प्रक्रियाओं को समझने के लिए नए शोध की आवश्यकता है। यह खोज हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और पृथ्वी के ऑक्सीजन उत्पादन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकती है।

नेचर जियोसाइंस की रिसर्च-

नेचर जियोसाइंस (Nature Geoscience) ने अभी हाल ही में एक रिसर्च की जिसमें प्रशांत महासागर में करीब 4 किलोमीटर नीचे गहराई में जहां लाइट तक नहीं पहुंचती है। वहां साइंटिस्ट्स को ऑक्सीजन का सोर्स मिला है। माना जा रहा है कि यह ऑक्सीजन समंदर की तलहटी पर पड़ी छोटी-छोटी गोल सी चीजों से बन रही होगी। जिनको 'मेटैलिक नॉड्यूल्स'(metallic nodules) कहा जाता है। ये किसी धातु वगैरह के बने हो सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि कोई न कोई ऐसा प्रोसेस होता है, जो पानी यानी H2O को तोड़कर, इसे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बदल देते हैं। इस ऑक्सीजन को डॉर्क ऑक्सीजन नाम दिया गया है। 

कितनी महत्वपूर्ण है ऑक्सीजन?
 
ऑक्सीजन, पृथ्वी पर जीवन के लिए एक अनिवार्य तत्व है। यह हमारे वातावरण का लगभग 21% हिस्सा बनाती है। लेकिन यह ऑक्सीजन आखिर कैसे बनती है? ऑक्सीजन का निर्माण आम तौर पर दो मुख्य प्रक्रियाओं के माध्यम से होता है-

 1-प्रकाश संश्लेषण:

यह प्रक्रिया पौधों, शैवाल, और कुछ बैक्टीरिया द्वारा की जाती है। इन जीवों में chlorophyll होता है जो सूरज की रोशनी को अवशोषित करते हैं। यह प्रक्रिया कार्बन डाईऑक्साइड और पानी को मिलाकर ऑक्सीजनऔर ग्लूकोज का उत्पादन करती है।
 
2-जल का विद्युत अपघटन:

यह एक कृत्रिम प्रक्रिया है जिसमें पानी (H₂O) को विद्युत प्रवाहित हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित किया जाता है। इलेक्ट्रोलिसिस के लिए दो इलेक्ट्रोड का उपयोग किया जाता है, जिसमें पानी में डुबोया जाता है और विद्युत प्रवाह पास किया जाता है। इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन एनोड (धनात्मक इलेक्ट्रोड) और हाइड्रोजन कैथोड (ऋणात्मक इलेक्ट्रोड) का निर्माण होता है।

इन दो प्राकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से धरती पर सबसे अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन होता है, जो जीवन के लिए आवश्यक है। इसके अलावा औद्योगिक स्तर पर भी कृत्रिम तरीके से ऑक्सीजन का उत्पादन किया जाता है। सामान्यतः प्रकाश संश्लेषण से ही ऑक्सीजन का उत्पादन होता है।

समुद्र तल का अध्ययन के समय अजीबोगरीब घटना-

शोधकर्ताओं को समुद्र की गहराई में रहस्यमयी 'डार्क-ऑक्सीजन' का पता 2013 में चला था। महासागर वैज्ञानिक एंड्रयू स्वीटमैन ने प्रशांत महासागर के समुद्र तल का अध्ययन करते समय एक अजीबोगरीब घटना देखी। उनके tool से पता चला कि 4,000 मीटर की गहराई पर ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा था, जहाँ कोई प्रकाश नहीं पहुँच सकता। इसके साथ ही उत्तरी प्रशांत महासागर के क्लेरियॉन क्लिपर्टन जोन में धातु के छोटे-छोटे नॉड्यूल्स भी मिले हैं, यानी छोटी-छोटी गेंदे। ये नॉड्यूल्स समुद्र की तलहटी में पूरी तरह फैले हुए हैं। हैरानी की बात ये है कि ये गेंदे अपना खुद का ऑक्सीजन बनाती हैं, जिसे वैज्ञानिकों ने डार्क ऑक्सीजन नाम दिया है। धातु से बनी ये गेंदे एक आलू की तरह हैं। ये गेंदे घोर अंधेरे में ऑक्सीजन पैदा कर रही हैं। यही वजह है कि यहां पैदा होने वाली ऑक्सीजन को ‘डार्क ऑक्सीजन’ नाम दिया गया है।  

डार्क ऑक्सीजन की प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी रोमाचंक-
 
डार्क ऑक्सीजन की खोज 4,000 मीटर की गहराई में हुई है, जहां पर लहरें भी नहीं हैं। इस जगह पर सूरज की रोशनी भी नहीं होती। यानी यहां प्राकृतिक तरीकों से यानी फोटोसिंथ मेडिसिन के जरिए ऑक्सीजन का जन्म नहीं होता है। सबूत का दावा है कि यहां अमेरिका के आयोडीन युक्त ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है और इससे डार्क ऑक्सीजन की उत्पत्ति होती है। डार्क ऑक्सीजन की प्रक्रिया से जुड़ी यह जानकारी वास्तविक रूप से रोमांचित करती है और हमें विश्वास दिलाती है कि पृथ्वी की गहराई में भी कई रहस्यमयी रहस्यमयी चट्टानें चल रही हैं जो हमें नए दृष्टिकोण और समझ प्रदान कर सकते हैं। डार्क ऑक्सीजन जैस विद्यार्थी का अध्ययन करने के लिए हमें पृथ्वी के जीवन सहायक स्रोतों को समझने में मदद मिल सकती है।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें