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(Special Story) यूरोपियन यूनियन ने पहली बार AI के खिलाफ कानून बनाने के लिए स्वीकृति दी है। यह दुनिया का पहला देश है जो AI तकनीक के खिलाफ कानून बनाने के लिए राजी हुआ है। जो AI को विनियमित करने के लिए कानून बनाने का प्रयास करने जा रहा है। यह कानून AI के विकास और उपयोग को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। AI तकनीक के खिलाफ बनने वाले कानून को AI अधिनियम यानी (AI Act) कहा जाएगा जो कि AI के क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास और जोखिमों को कंट्रोल करेगा। यह कानून हानिकारक एआई प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगाता है जिसमें लोगों की सुरक्षा, आजीविका और अधिकार शामिल हैं।
क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-
आपको बता दें कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसी तकनीक है। जिसे कंप्यूटर साइंस का एक सब-डिवीजन कहा जाता है और इसकी जड़ें पूरी तरह से कंप्यूटिंग सिस्टम पर आधारित होती हैं। AI का अंतिम लक्ष्य ऐसे उपकरणों का निर्माण करना है जो बुद्धिमानी से और स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें और ह्यूमन लेबर और मैनुअल काम को कम कर सकें। इसकी शुरुआत 1950 के दशक में ही हो गई थी, लेकिन इसको 1970 के दशक में पहचान मिली। सबसे पहले जापान ने इस तकनीक की पहल की और 1981 में फिफ्थ जनरेशन नामक योजना की शुरुआत की। इसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिये 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा को प्रस्तुत किया गया। इसके बाद यूरोपीय संघ के देशों ने भी ‘एस्प्रिट’ नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी। 1983 में कुछ निजी संस्थाओं ने मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लागू होने वाली उन्नत तकनीकों जैसे-Very Large Scale Integrated सर्किट का विकास करने के लिए एक संघ ‘माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी’की स्थापना की। जिसके बाद कई देशों में इसका जोरों से प्रयोग किया जाने लगा लेकिन कहते हैं ना मनुष्य द्वारा बनाएं गए उपकरण जितने लाभदायक हैं उतने खतरनाक भी है और ऐसा ही हुआ शुरु में AI लोगों के लिए जितना फायदेमंद था उतना ही खतरनाक होता गया। आज के समय में भारत- अमेरिका के साथ साथ कई ऐसे देश हैं जो AI तकनीक से परेशान हैं। जिसको देखते हुए यूरोपियन यूनियन इसके खिलाफ कानून बनाने की हामी भरी है।
यूरोपीय संसद के अध्यक्ष ने दी जानकारी-
वहीं यूरोपीय संसद के अध्यक्ष रोबर्टा मेत्सोला ने एक खास बातचीत के दौरान बताया कि AI के तेजी से बढ़ते दुरूपयोग को रोकने के लिए कानून का होना जरूरी है। आपको याद दिला दें कि एआई के खिलाफ कानून को लेकर 2021 में ही प्रस्तावना दी गई थी। कानून के आने के बाद इसके दायरे में ओपनएआई के चैटजीपीटी जैसे चैटबॉट आ जाएंगे। इसके अलावा गूगल बार्ड, जेमिनी और मेटा के इमेजिन को भी इस कानून का सामना करना होगा। इसके साथ ही भारत में भी डीपफेक को लेकर जल्द ही कोई कानून आ सकता है।
इन पहलुओं को किया जा सकता है शामिल-
उम्मीद है कि इस कानून में ऐसे कई महत्वपूर्ण पहलू होंगे जो एआई तकनीक को दायरे में ला सकेंगे। जिससे लोगों को दुरुप्रयोग करने से रोका जा सकें और यदि उसके बाद भी कोई उसका दुरुप्रयोग करें तो उस पर सख्त कार्रवाई की जा सके। सबसे पहले, यह सुनिश्चित करेगा कि AI का उपयोग नैतिक और जिम्मेदार तरीके से किया जाए। कानून में ऐसे प्रावधान शामिल होंगे, जो AI सिस्टम को निष्पक्ष, पारदर्शी और सुरक्षित बनाएंगे। इन कानून से यह सुनिश्चित होगा कि AI सिस्टम का उपयोग किसी के खिलाफ भेदभाव करने या नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं किया जा सकता है।
AI के नुकसान-
इसके सबसे बड़े नुकसान के तौर पर इसकी गोपनीयता और उससे पैदा होने वाले जोखिमों को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। साथ ही यह मानव की कार्यकुशलता की क्षमता को भी लगातार प्रभावित कर रहा है। इन सबके बीच एआई बड़े पैमाने पर बेरोजगारी को बढ़ा कर लोगों के जीवन स्तर को भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचा रहा है, क्योंकि अधिकतर उद्योगों में इंसानों का स्थान एआई तकनीक वाले रोबोट ने ले लिया है और हाल ही में इसका सबसे ज्यादा दुरुप्रयोग लोगों के व्यक्तित्व को गलत से प्रस्तुत करने में किया गया है। AI के माध्यम से ऐसे कई डीपफेक वीडियो बनाए गए जिसमें AI का गलत उपयोग किया गया। इतना ही नहीं इसने साइबर क्राइम को भी काफी हद तक बढ़ावा दिया है।
AI के फायदे
जहां एआई तकनीक के इतने नुकसान हैं वहीं एआई के कुछ फायदे भी हैं। एआई विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रचलित हो गया है और इससे कई लाभ हुए हैं। एआई की सबसे बड़ी खासियत Automation है और इसका संचार, परिवहन, उपभोक्ता उत्पादों और सेवा उद्योगों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। स्वचालन (Automation) से न केवल इन क्षेत्रों में उत्पादकता में वृद्धि होती है, बल्कि कच्चे माल का अधिक कुशल उपयोग, बेहतर उत्पाद की गुणवत्ता, कम लीड समय और बेहतर सुरक्षा भी मिलती है। स्वचालन उन संसाधनों को मुक्त करने में मदद कर सकता है जिनका उपयोग अधिक महत्वपूर्ण चीजों के लिए किया जा सकता है। एआई तकनीक, डेटा डिलिवरी का समन्वय कर सकती है, रुझानों का विश्लेषण कर सकती है, पूर्वानुमान प्रदान कर सकती है और सबसे बेस्ट फैसले लेने के लिए अनिश्चितताओं की संख्या बता सकती है। जब तक एआई को मानवीय भावनाओं की नकल करने के लिए प्रोग्राम नहीं किया जाता है, तब तक यह मामले पर निष्पक्ष रहेगा और व्यावसायिक दक्षता (Professional Competence) का समर्थन करने के लिए सही फैसला लेने में मदद भी करेगा। इसके अलावा अलग-अलग क्षेत्रों में नए-नए खोजों में मदद करना, रोजमर्रा के जीवन को आसान बनाने से लेकर AI कई मायनों में काफी उपयोगी है। इन्हीं सब लाभों को देखते हुए उत्तर प्रदेश के एक शहर में इस तकनीक की एक नई पहल की गई है।
इस शहर में AI ट्रैफिक कंट्रोल करता है-
आपको बता दें कि कानपुर यूपी का ऐसा पहला शहर है, जहां ट्रैफिक कंट्रोल के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया जा रहा है। इसके तहत AI से अटैच कैमरे वाहनों को देखकर सिग्नल को ग्रीन, रेड और येलो कर रहे हैं। अभी तक कानपुर के 5 चौराहों को मॉडल बनाकर इसकी शुरुआत की गई है। रिजल्ट अच्छे मिलने के बाद शहर के अन्य 27 चौराहों पर भी इसको लागू किया जाएगा। एआई की मदद से पुलिस का काम हल्का होने के साथ राहगीरों का वक्त बच रहा है।
चौराहों पर ऐसे AI कर रहा काम-
एक चौराहे पर मान लीजिए हर लेन में वाहनों को गुजरने के लिए 60-60 सेकेंड का समय निर्धारित किया गया है। नॉर्मली चौराहों पर किसी एक लेन में ट्रैफिक नहीं है फिर भी सामने वाली लेन के वाहन सवारों को पूरा 60 सेकेंड तक का इंतजार करना पड़ता था। लेकिन AI की मदद से लोगों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ रहा है।
एआई एक लेन में एक भी वाहन नहीं होने पर 5 सेकेंड तक वेट करता है और फिर नेक्स्ट लेन को ग्रीन सिग्नल दे देता है। इस वजह से रेड सिग्नल पर खड़े वाहन सवारों को पूरे 60 सेकेंड तक इंतजार नहीं करना पड़ता। इससे चौराहों पर ट्रैफिक का दबाव भी नहीं बढ़ रहा है। इतना ही नहीं चौराहों पर एआई का प्रयोग करने से एक और भी फायदा है। एआई ट्रैफिक कंनट्रोल करने के साथ -साथ IIT द्वारा डिजाइन सॉफ्टवेयर की मदद से कैमरों के जरिए अपराधी को पकड़ने में भी मदद मिल रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम और फेस रिकग्निजेशन कैमरों की मदद से अपराधियों की पहचान भी की जा रही है।
अपराधियों को पकड़नें में करेगा मदद-
पुलिस जिस अपराधी का फोटो सहित ब्योरा कानपुर नगर निगम मुख्यालय में बने ICCC (इंटीग्रेटेड कॉमन कमांड एंड कंट्रोल सेंटर) में फीड कराएगी। यह सिस्टम चौराहों पर लगे कैमरों के माध्यम से उन अपराधियों पर नजर रखना शुरू कर देगा। ऐसे अपराधी जैसे ही कंट्रोल रूम से जुड़े चौराहे पर पहुंचेगा, तो वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में उसकी फोटो कैद होते ही AI ICCC को एक अलर्ट भेजेगा। इसके बाद कंट्रोल रूम का संचालन कर रहे पुलिस कर्मियों के माध्यम से तत्काल संबंधित चौराहे और उसके आसपास तैनात पुलिसकर्मियों को सूचना भेजी जाएगी, जो मौके पर कार्रवाई करेंगे।
Baten UP Ki Desk
Published : 9 December, 2023, 4:55 pm
Author Info : Baten UP Ki