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(Special Story) जिंदगी में अच्छी जीवन शैली का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। दैनिक नियमों से ही बेहतर जीवनशैली बनती है। लेकिन इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कोई भी व्यक्ति आज अनुशासित दिनचर्या का पालन नहीं कर पा रहा है। इसके कारण स्वास्थ्य को लेकर कई समस्याएं सामने आ रही हैं जिसमें नींद न आने की समस्या बढ़ती जा रही है। इस समस्या से हर उम्र के लोग पीड़ित हैं। नींद के महत्व को समझाने के लिए हर साल मार्च महीने में विश्व नींद दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष वर्ल्ड स्लीप डे 15 मार्च 2024 को मनाया जा रहा है।
वर्ल्ड स्लीप डे की पूर्व संध्या पर KGMU यानी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के पलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के HOD प्रो. वेद प्रकाश ने प्रेस कांफ्रेंस की। उनहोंने बताया कि स्लीपिंग डिसऑर्डर यानी अनिद्रा से दिल और नसों की गंभीर बीमारी हो सकती है। इसके चलते याददाश्त जा सकती हैं। बहुत से वयस्कों को इस बीमारी का पता ही नहीं चलता। जिसके कारण उन्हें शुगर, बीपी और मोटापे जैसी गंभीर बीमारियां हो जाती हैं। साथ ही कहा कि पहली स्लीप लैब 2006 में केजीएमयू में बनी और सबसे लेटेस्ट मशीन भी KGMU के पल्मोनरी डिपार्टमेंट में है। उनके अनुसार रात में 8 से 6 घण्टे सोना चाहिए और लोगों को दिन में सोने से बचने की जरूरत है। इसकेअलावा बच्चों को मोबाइल इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिए।
नींद की समस्या के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल मार्च को वर्ल्ड स्लीप डे मनाया जाता है आइए जानते हैं वर्ल्ड स्लीप डे के इतिहास से लेकर सबकुछ..
कब हुई वर्ल्ड स्लीप डे की शुरूआत
एक सेहतमंद व्यक्ति को अच्छी नींद लेना बेहद जरूरी है। पर्याप्त नींद की कमी के कारण लोगों को कई सारी बीमारियों से जूझना पड़ता है। इसलिए नींद से जुड़ी इन समस्याओं से बचने के लिए वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी ने पहली बार साल 2008 में स्लीप डे की शुरुआत की। तभी से हर साल मार्च के तीसरे शुक्रवार को वर्ल्ड स्लीप डे मनाया जाता है।
क्या है वर्ल्ड स्लीप डे का महत्व
इस साल वर्ल्ड स्लीप डे 15 मार्च 2024 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। आज के समय में लोग खराब जीवनशैली अपना रहे हैं जिसके कारण उन्हें नींद की कमी होने लगी है। नींद की कमी के कारण लोगों को कई सारी बीमारियां भी हो रही है। इसलिए लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ल्ड स्लीप डे मनाया जाता है। और ये लोगों को यह समझाया जा सके इस भागती हुई जिंदगी में भी अच्छी नींद लेना बेहद जरूरी है।
वर्ल्ड स्लीप डे 2024 की थीम
हर साल वर्ल्ड स्लीप डे की अलग-अलग थीम होती है। इस साल वर्ल्ड स्लीप डे की थीम "वैश्विक स्वास्थ्य के लिए नींद की समानता (Sleep Equity for Global Health)" है।
नींद न आने की समस्या
आजकल युवा वर्ग को अनिद्रा की शिकायत तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रही है। दुनिया भर में 30 से 40% लोगों को कभी न कभी नींद न आने की समस्या का सामना करना पड़ता है, जबकि 10 से 15% लोग रोजाना नींद न आने की समस्या से परेशान हैं। करियर, नौकरी, एंग्जाइटी और स्ट्रेस के मुख्य कारणों में से है, जो नींद के समय और क्वॉलिटी को प्रभावित करते हैं।
भारत में नींद की समस्या के आंकड़े-
कहा जाता है कि अच्छी नींद के लिए व्यक्ति को कम से कम 8 घंटा जरूर सोना चाहिए. आज के समय में नींद से जुड़ी कई सारी बीमारियां भी हो रही हैं। पुराने दौर में नींद ना आने की समस्या को बुजुर्गों की समस्या माना जाता था। लेकिन पिछले कुछ सालों में कम उम्र के बच्चों व युवाओं में भी नींद से जुड़ी समस्याएं या निंद्रा विकार देखने में आने लगे हैं। नेशनल सेंटर ऑफ बायो टेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग करीब 20 फीसदी से ज्यादा लोग नींद की समस्या के शिकार हैं। पर्याप्त नींद हमारे शरीर के लिए बेहद जरूर माना गया है।
दुनियाभर में नींद की समस्या से पीड़ित लोग
अनुमान के अनुसार अमेरिकी में लगभग 50 से 70 मिलियन लोग लंबे समय से कम या ज्यादा गंभीर नींद विकारों से पीड़ित हैं। वहीं एम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में यह आंकड़ा लगभग 10.4 करोड़ का हैं। दुनिया भर में हुए कई शोधों में इस बात का उल्लेख किया जा चुका है कि नींद की कमी और नींद संबंधी विकारों का मानव स्वास्थ्य पर गहरा और व्यापक प्रभाव पड़ता है। चिकित्सकों के अनुसार पिछले तीन सालों में अनिद्रा या इंसोम्निया तथा ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया जैसे स्लीप डिसऑर्डर के मामलों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।
अच्छी नींद के लिए करें ये उपाय
By Ankit Verma
Baten UP Ki Desk
Published : 15 March, 2024, 11:24 am
Author Info : Baten UP Ki