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किसी भी वक्त बाहर आ सकते हैं मजदूर, बाहर निकलने से पहले PM मोदी ने CM धामी से की बात

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उत्तराखंड की टनल में फंसे 41 मजदूर किसी भी वक्त बाहर आ सकते हैं। लेकिन आपको बता दें कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सुरंग में फंसे श्रमिकों का कुशल क्षेम जानने के लिए बात की। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने ड्रिलिंग के संबंध में संपूर्ण जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा अंदर फंसे श्रमिकों के साथ ही बाहर राहत बचाव कार्य में जुटे लोगों की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा अंदर फंसे श्रमिकों के परिजनों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो इसका विशेष ध्यान रखा जाए। 

आपको बता दें कि उत्तरकाशी सुरंग हादसे में पिछले 12 नवंबर से  फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था जो अब अपने आखिरी पड़ाव पर है। मजदूरों को किसी भी वक्त बाहर निकाला जा सकता है। इस पूरे बचाव अभियान पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी  नज़र बनाए हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फिर से फोन कर सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के राहत एवं बचाव के संबंध में जानकारी ली। आपको बता दें कि इससे पहले भी कई बार पीएम मोदी ने सीएम धामी से फोन पर बात कर, चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन की समय-समय पर अपडेट लेते रहे हैं।
आइए आपको बताते हैं किस तकनीक के जरिए मजदूरों को बाहर निकालने में सफलता मिली है। 

क्या है रैट-होल तकनीक-

उत्तरकाशी टनल में रैट होल माइनिंग से फंसे मजदूरों को निकालने की कोशिश की जा रही है। ये वही रैट-होल खनन है जिससे मेघालय में हर साल मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। रैट-होल' टर्म जमीन में खोदे गए संकरे गड्ढों को दर्शाता है। माइन‍िंग के इस तरीके से संकरे क्षेत्रों से कोयला निकाला जाता है। इस माइन‍िंग गड्ढे में सिर्फ एक व्यक्ति उतर सकता है। इसमें कोयले को गैंती, फावड़े और टोकरियों जैसे पुराने टूल के जरिये निकाला जाता है। रैट-होल माइनिंग से पर्यावरणीय खतरे होते हैं। इस खनन प्रक्रिया से भूमि क्षरण, वनों की कटाई और जल प्रदूषण हो सकता है। इसके अलावा खादानों की बुनियादी संरचना भी खतरे वाली मानी जाती है। इसमें वेंटिलेशन की कमी, सुरक्षा गियर और  सुरक्षा उपायों का अभाव होता है। मजदूरों की सुरक्षा के चलते 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। सुर्खियों में आने के बाद उत्तराखंड सरकार ने रैट माइनर्स को लेकर सफाई दी है। नोडल अधिकारी ने कहा "रेस्क्यू साइट पर लाए गए लोग रैट माइनर्स नहीं बल्कि इस तकनीक में विशेषज्ञ लोग हैं।

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