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10 साल तक देगी सुरक्षा! जानिए क्या हैं भारत की पहली मलेरिया वैक्सीन की खासियतें...

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भारत ने मलेरिया की रोकथाम के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। भारतीय वैज्ञानिकों ने देश की पहली स्वदेशी मलेरिया वैक्सीन तैयार कर ली है, जिसका नाम "एडफाल्सीवैक्स" (EdvafalciVax) रखा गया है। यह टीका न केवल संक्रमण को रोकने में असरदार है, बल्कि इसकी लंबी सुरक्षा अवधि, कम लागत और स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल वितरण क्षमता इसे मौजूदा अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन विकल्पों से बेहतर बनाती है।

मलेरिया अब भी एक वैश्विक संकट

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, बीते वर्ष मलेरिया के दुनियाभर में 263 मिलियन (26.3 करोड़) मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 5.97 लाख लोगों की जान चली गई। भारत में भी मानसून के मौसम में मच्छरजनित रोगों, खासकर मलेरिया का असर काफी देखा जाता है। हर साल हजारों लोग इससे संक्रमित होते हैं, और कई की जान भी जाती है।

वैज्ञानिकों की वर्षों की मेहनत का नतीजा

इस स्वदेशी टीके को आईसीएमआर और भुवनेश्वर स्थित आरएमआरसी (Regional Medical Research Centre) के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह वैक्सीन खासतौर पर मलेरिया परजीवी 'प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम' के विरुद्ध प्रभावी है, जो सबसे खतरनाक और घातक प्रकार का मलेरिया पैदा करता है। आईसीएमआर के अनुसार, जल्द ही इस टीके के उत्पादन और वितरण के लिए निजी कंपनियों से साझेदारी की जाएगी, ताकि इसे आम जनता तक तेजी से पहुंचाया जा सके।

मौजूदा टीकों से कैसे अलग है एडफाल्सीवैक्स?

  • दोहरे चरण की सुरक्षा: इस टीके में Pfs230 और Pfs48/45 प्रोटीन का एक नया मिश्रण है, जो शरीर में मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है।

  • कम कीमत: यह मौजूदा विदेशी वैक्सीन (RTS,S/AS01 और R21/Matrix-M) की तुलना में अधिक किफायती होगा।

  • बेहतर फार्मास्युटिकल स्टेबिलिटी: यह कमरे के तापमान पर 9 महीने तक स्थिर रह सकता है, जिससे महंगी कोल्ड चेन की आवश्यकता नहीं रहती।

  • लंबी प्रभावशीलता: विशेषज्ञों का दावा है कि यह टीका 10 वर्षों तक सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

भारत में मलेरिया पर नियंत्रण

भारत ने मलेरिया के खिलाफ बीते वर्षों में प्रभावी अभियान चलाए हैं। 2017 में जहां मलेरिया के 64 लाख अनुमानित मामले थे, वहीं 2023 में यह घटकर 20 लाख रह गए, यानी करीब 69% की गिरावट। इसी तरह मलेरिया से मौतों में भी 68% की कमी दर्ज की गई। इस नए स्वदेशी टीके से भारत की मलेरिया के खिलाफ लड़ाई को और जमीनी ताकत मिलने की उम्मीद है, खासकर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में जहां मलेरिया का प्रकोप अधिक रहता है।

क्या है वैज्ञानिकों की प्रतिक्रिया?

डॉ. सुशील सिंह (आरएमआरसी) ने बताया कि यह वैक्सीन संक्रमण की चेन को तोड़ने में सक्षम है और इसके ट्रायल्स बेहद सकारात्मक रहे हैं। डॉ. संघमित्रा पति, निदेशक आरएमआरसी, के मुताबिक – "यह टीका हमारे देश के दूर-दराज और पिछड़े इलाकों के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है।"

भारत की पहली स्वदेशी मलेरिया वैक्सीन तैयार

भारत द्वारा विकसित यह पहली स्वदेशी मलेरिया वैक्सीन एडफाल्सीवैक्स देश की स्वास्थ्य सुरक्षा प्रणाली को नई मजबूती देगी। यह टीका मलेरिया से जूझ रहे दुनिया के अन्य देशों के लिए भी एक उम्मीद की किरण बन सकता है।

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