बड़ी खबरें

मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर चुनाव याचिका वापसी का फैसला टला, सभी पक्षों को नोटिस भेजने का आदेश 7 घंटे पहले प्रदूषण से हांफ रहा है उत्तर प्रदेश, पश्चिम में हालात ज्यादा खराब, झांसी-बरेली में हवा साफ 7 घंटे पहले दिवाली तक बिकेंगी 45 लाख से अधिक गाड़ियां,  तीन गुना बढ़ी पूछताछ, कंपनियां दे रहीं आकर्षक ऑफर 7 घंटे पहले बहराइच में बड़ी कार्रवाई की तैयारी में योगी सरकार, आशि‍यानों पर चलेगा बुलडोजर, अतिक्रमण का चिह्नाकन कर लाल न‍िशान लगाए जाने से हड़कंप 7 घंटे पहले UP के आशा वर्करों को दीपावली से पहले इस तारीख को मिलेगा मानदेय, NHM कर्मचारियों के वेतन के भी निर्देश 7 घंटे पहले लखनऊ में सुपरमून के नजारे ने मोहा मन,14% बड़ा और 30% ज्यादा चमकीला दिखा चांद, टेलीस्कोप से सूरज के भी दर्शन 7 घंटे पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय की बंद तिजाेरी में निकला हजारों साल पुराना खजाना, मिले सोने-चांदी के सिक्के 7 घंटे पहले 2025 के जेईई मेन्स एग्जाम पैटर्न में हुआ बदलाव, सेक्शन बी में ऑप्शनल क्वेश्चन खत्म, अब सभी 5 सवालों को हल करना होगा अनिवार्य 7 घंटे पहले राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने एग्रीकल्चर ऑफिसर के पदों पर निकली भर्ती,19 नवंबर आवेदन की आखिरी तारीख, 40 साल तक के उम्मीदवार करें अप्लाई 7 घंटे पहले RAS-2024 के लिए आवेदन का आज आखिरी दिन, कुल 733 पद, राज्य सेवा के 346 और अधीनस्थ सेवा के 387 पदों के लिए निकाली वैकेंसी 7 घंटे पहले

बनभूलपुरा में क्यों भड़की हिंसा, क्या थी हमले की थ्री स्टेप प्लानिंग?

Blog Image

हल्द्वानी में जिस तरह अतिक्रमण हटाओ अभियान के विरोध में हिंसा हुई जिसमें 6 लोगों की मौत और करीब 300 लोग घायल हुए उससे इस घटना को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। जिस तरह से अतिक्रमण हटाने गई प्रशासन की टीम पर पथराव किया गया उसके साथ ही उन पर पेट्रोल बम से हमले किए गए, थाने को जलाया गया, मीडियाकर्मियों पर भी हमले किए गए उससे घटना को अंजाम देने के लिए सुनियोजित साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता है। 7 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा में इतिहास रचते हुए UCC बिल पास किया। इसके पास होने के 24 घंटे के भीतर ही हिंसा होने को इसे  UCC बिल की प्रतिक्रिया के तौर पर भी देखा जा रहा है। इसके साथ ही हिंसा के पीछे प्रतिबंधित संगठन PFI और बांग्लादेशी घुसपैठियों का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है।
आइए विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं इस हिंसा के पीछे की इनसाइड स्टोरी...

यह हिंसा मात्र संयोग नहीं हो सकती-

आपको बता दें कि हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाक़े में रेलवे की ज़मीन पर हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन ने अभियान चला रखा है। बनभूलपुरा घनी आबादी वाला इलाक़ा है, जहां पर अल्पसंख्यकों की संख्या अधिक है। गुरुवार की शाम को जैसे ही नगर निगम में दर्ज नजूल की जमीन पर जो अतिक्रमण था उसे तोड़ने का काम शुरू किया गया, बड़ी संख्या में एक समुदाय के लोग  सड़कों पर आ गए और धक्का-मुक्की शुरू कर दी। इसके बाद पत्थरबाज़ी शुरू हो गई पहले तो पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर कर दिया। लेकिन कुछ देर बाद पुलिस पर पत्थरबाज़ी के साथ ही पेट्रोल बमों से भी हमला किया गया। पुलिस थाने को जला दिया गया। शायद पुलिस को इसकी आशंका बिल्कुल नहीं थी। प्रशासन का कहना है कि नाराज़ भीड़ ने बनभूलपुरा थाने पर भी हमला बोल दिया और पुलिस की कई गाड़ियों में आग लगा दी गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस की गोले भी छोड़े। इस हिंसा पर बीजेपी नेता नेहा जोशी ने प्रदेश में लागू हुए समान नागरिक संहिता यानि  UCC की प्रतिक्रिया बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "यह मात्र संयोग नहीं हो सकता। यूसीसी पारित होने के 24 घंटे के भीतर ही हल्द्वानी में हिंसा भड़क उठी। पुलिस और मीडियाकर्मियों पर हमला हुआ। आगज़नी की गई।

उपद्रवियों के विरुद्ध होगी कठोरतम कार्रवाई-

हल्द्वानी में हुई हिंसा के बाद राज्य सरकार इस मुद्दे पर काफी गंभीर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हिंसा पर कड़ा रुख अपनाते हुए दंगाइयों और उपद्रवियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुई घटना के संबंध में शासकीय आवास पर अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर वर्तमान स्थिति की समीक्षा की। पुलिस को अराजक तत्वों से सख़्ती से निपटने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। आगजनी पथराव करने वाले एक-एक दंगाई की पहचान की जा रही है। सौहार्द और शांति बिगाड़ने वाले किसी भी उपद्रवी को बख्शा नहीं जायेगा। 

नैनीताल की डीएम ने क्या बताई वजह- 

नैनीताल की डीएम वन्दना सिंह के मुताबिक -हल्द्वानी के अलग-अलग क्षेत्रों में अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई 15-20 दिनों कर रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अतिक्रमण की कार्रवाई हुई। अतिक्रमण हटाने के लिए जिला स्तर पर टास्कफोर्स गठित की गई हैं। सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा के निर्देश दिए गए हैं। ये काफी लंबे समय से हल्द्वानी के अंतर्गत सरकारी परिसंपत्तियों को अलग-अलग क्षेत्रों में बचाने के लिए अतिक्रमण मुक्त कराने का अभियान चल रहा है। ये कोई एक ही परिसंपत्ति को टारगेट करके की गई कार्रवाई नहीं थी।  उसी क्रम में खाली संपत्ति में दो संरचनाएं हैं, जो धार्मिक संरचना के रूप में पंजीकृत नहीं है और न ही कोई मान्यता प्राप्त है। कुछ लोग इस संरचना को मदरसा कहते हैं और कुछ लोग पूर्ण नमाज स्थल कहते हैं... इसको हमने खाली कराया। यह जगह नगर निगम की नजूल की भूमि के रूप में दर्ज है। इन जगहों पर नोटिस लगा कर तीन दिन के अंदर अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए थे।

हमले की बनाई गई थी, थ्री स्टेप प्लानिंग- 

डीएम वन्दना सिंह के मुताबिक पहले ड्राइव के दौरान हमने आपको बताया कि किसी छत पर कोई पत्थर नहीं था। लेकिन जब ये विधिक प्रक्रिया चल रही थी, उस दौरान छतों पर पत्थर इकट्‌ठे किए गए। ये साफ था कि तैयारी की गई कि जिस दिन ध्वस्तीकरण कार्रवाई होगी, उस दिन हमला किया जाएगा।


डीएम ने आगे बताया कि भीड़ का पहला हमला पत्थरों से किया गया। हमने उसे निष्क्रिय कर दिया तो दूसरी भीड़ हाथ में पेट्रोल बमों के साथ आई। उन्हें उसमें आग लगा-लगाकर फेंकी। तब तक हमारी टीम ने किसी प्रकार का फोर्स इस्तेमाल भी नहीं किया था। जब आगजनी की घटनाओं के बाद तीसरे स्टेप के तौर पर उपद्रवियों ने थाना घेर लिया, थाने में मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस अधिकारी, मशीनरी थे थे, उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया गया। उन पर पत्थरबाजी, पेट्रोल बमों से हमला किया गया। थाने के बाहर वाहनों को आग लगा दी गई। इस आगजनी में थाने के अंदर धुआं भर गया। अंदर ऑफिसर्स को को सांस लेने में मुश्किल होने लगी।

पुलिस इंटेलिजेंस, एलआईयू पर सवाल-

हल्द्वानी में हुई इतनी बड़ी हिंसा की घटना के बाद अब भले ही धामी सरकार एक्टिव हो गई हो और कड़ी कार्रवाई की बात कही जा रही हो लेकिन जैसी हिंसा सामने आई है उससे साफ पता चलता है कि ये कोई अचानक हुई प्रतिक्रिया नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश के तहत हुआ है। क्योंकि जिस प्रकार से प्रट्रोल बमों से पुलिस प्रशासन पर हलाम किया गया है उससे तो यही लगता है कि इसकी तैयारी पहले से की गई होगी। अब सवाल ये उठता है कि आखिर पुलिस इंटेलिजेंस, और एलआईयू क्या कर रही थी उसको इसकी तैयारी की भनक कैसे नहीं हो पाई। जब छतों पर पत्थर इकट्‌ठा किए जा रहे थे। और पेट्रोल बंम तैयार किए जा रहे थे तो इसकी जानकारी कैसे नहीं हुई। और सबसे बड़ी बात ये कि जब उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी पास हुआ  और उसके बाद प्रतिक्रियाएं भी आईं उसके बाद भी आखिर खुफिया तंत्र सक्रिय क्यों नहीं हुआ जिससे ऐसी घटना को विफल किया जा सके। 

संवेदनशील इलाका होने पर क्यों सतर्क नहीं हुईं एजेंसियां-

आपको बता दें कि हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाक़े में जहां रेलवे की ज़मीन पर हुए अतिक्रमण  किया गया है वो घनी आबादी वाला इलाक़ा है। वहां पर अल्पसंख्यकों की संख्या अधिक है। गुरुवार की शाम को जब नजूल की जमीन पर जो अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई होनी थी तब ऐसी किसी घटना का अंदेशा खुफिया तंत्र को क्यों नहीं हुआ। 

हल्द्वानी में हिंसा के बाद यूपी में अलर्ट-

उत्तराखंड के हल्द्वानी में उपद्रव के बाद यूपी में अलर्ट जारी किया गया है। यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने सभी जिलों के कप्तान और अधिकारियों को पूरी सतर्कता बरतने के निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा, "शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतने और संवेदनशील क्षेत्रों में कड़े सुरक्षा इंतजाम के साथ निगरानी बढ़ा दी जाए। इसके साथ ही सोशल मीडिया सेल को भी अलर्ट किया गया है।

बीजेपी सांसद बृजलाल का बड़ा दावा-

बीजेपी सांसद बृजलाल ने कहा कि हल्द्वानी की जो घटना हुई है, उसमें सुनियोजित तरीके से हिंसा को भड़काया गया है। इसकी एक विस्तृत जांच होनी चाहिए और ऐसी धाराएं लगानी चाहिए कि आरोपियों को जमानत भी ना मिल पाए। इसके साथ ही बृजलाल ने कहा है कि PFI जैसे कट्टरवादी संगठन और बांग्लादेशी घुसपैठियों का हाथ हो सकता है। क्योंकि पूरे तरीके से प्लानिंग के साथ  इस घटना को अंजाम दिया गया है। 

 

 

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें