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RBI के स्थापना दिवस पर क्या बोले PM मोदी, देश की आर्थिक उन्नति के लिए कितना जरूरी है आरबीआई ?

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(Special Story) देश की केंद्रीय बैंकिंग संस्था भारतीय रिजर्व बैंक यानि RBI आज 1 अप्रैल को अपने 90वें साल में प्रवेश कर गई। आज RBI का स्थापना दिवस है। इस मौके पर मुंबई में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास सहित तमाम लोग मौजूद रहे। क्या आप जानते हैं कि RBI देश के आर्थिक विकास में किस प्रकार से अपनी भूमिका निभाती है। RBI क्या काम करती है। RBI का गवर्नर कौन है, इसके क्या कार्य होते हैं।  RBI का मुख्यालय कहां है। इसका क्या इतिहास है जानिए सब कुछ विस्तार से...

RBI के स्थापना दिवस पर PM मोदी ने क्या कहा-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मुंबई में आरबीआई के 90 वें साल में प्रवेश के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया में RBI की पहचान उसके professionalism और commitment की वजह से बनी है। इस समय जो लोग आरबीआई से जुड़े हैं, उन्हें मैं बहुत सौभाग्यशाली मानता हूं। आज आप जो नीतियां बनाएंगे, जो काम करेंगे उनसे आरबीआई के अगले दशक की दिशा तय होगी। ये दशक इस संस्थान को उसके शताब्दी वर्ष तक लेकर जाने वाला है। ये दशक विकसित भारत की संकल्प यात्रा के लिए भी उतना ही अहम है। पीएम ने कहा कि मैं आरबीआई को उसके लक्ष्यों और संकल्पों के लिए बधाई देता हूं।

भारत का बैंकिंग सिस्टम दुनिया में मजबूत और टिकाऊ -

PM मोदी ने कहा कि  RBI एक संस्थान के रूप में आजादी के पहले और आजादी के बाद दोनों ही कालखंड का गवाह बनी है। दुनिया में RBI की पहचान उसके प्रोफेशनलिज्म और कमिटमेंट की वजह से बनी है। उन्होंने कहा कि कहा- मैं जब 2014 में रिजर्व बैंक के 80 वें वर्ष के कार्यक्रम में आया था, तब हालात एकदम अलग थे। भारत का पूरा बैंकिंग सेक्टर समस्याओं और चुनौतियों से जूझ रहा था। NPA को लेकर भारत के बैंकिंग सिस्टम की स्थिरता और उसके भविष्य को लेकर हर कोई आशंका से भारा हुआ था। हालात इतने खराब थे कि देश के पब्लिक सेक्टर बैंक देश की आर्थिक प्रगति को जरूरी गति नहीं दे पा रहे थे। हम सभी ने वहां से शुरुआत की और आज भारत के बैंकिंग सिस्टम को दुनिया में एक मजबूत और टिकाऊ प्रणाली माना जा रहा है। जो बैंकिंग सिस्टम कभी डूबने की कगार पर था, वो बैंकिंग सिस्टम अब प्रॉफिट में आ गया है और क्रेडिट में रिकॉर्ड  ग्रोथ दिखा रहा है। 

नीति, नियति और निर्णयों से बैंकिग सेक्टर में आया बड़ा परिवर्तन-

पीएम ने कहा कि सिर्फ 10 साल में इतना बड़ा परिवर्तन आना इतना आसान नहीं था। यह बदलाव इसलिए आया क्योंकि हमारी नीति, नियति और निर्णयों में स्पष्टता थी। यह बदलाव इसलिए आया क्योंकि हमारे प्रयासों में दृढ़ता और इमानदारी थी। आज देश देख रहा है जब नियति सही होती है तो नीति सही होगी। जब नीति सही होती है तो निर्णय सही होते हैं और जब निर्णय सही होते हैं तो नतीजे भी सही ही मिलते हैं। 

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने के मुताबिक 'एक संस्था के रूप में RBI का विकास भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के अधिनियमन जैसे पाथब्रेकिंग सट्रक्चरल रिफॉर्म और हाल के वर्षों में फ्लेग्जिबल इन्फ्लेशन टारगेटिंग को अपनाने से हमें बैंकिंग सिस्टम में चुनौतियों से निपटने और प्राइस स्टेबिलिटी को अधिक प्रभावी ढंग से बनाए रखने में दद मिली है। आइए अब जानते हैं भारतीय रिजर्व बैंक के इतिहास के बारे में...

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना-

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) की स्थापना केंद्रीय बैंक की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार हुई। बैंक की स्थापना हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिश पर की गई थी।  रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय शुरू में कलकत्ता में स्थापित किया गया था, लेकिन स्थायी रूप से 1937 में इसे मुंबई में स्थानांतरित कर दिया गया। केंद्रीय कार्यालय वह स्थान है जहां गवर्नर बैठता है और जहां नीतियां बनाई जाती हैं। हालांकि मूल रूप से निजी तौर पर स्वामित्व 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद से रिजर्व बैंक पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है। रिज़र्व बैंक के मामलों का संचालन केंद्रीय निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है। बोर्ड की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के अनुसार की जाती है। 

आरबीआई के मुख्य कार्य- आइए जानते हैं कि आरबीआई के प्रमुख कार्य क्या होते हैं।

मुद्रा नीति का निर्माण और कार्यान्वयन-

आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए मौद्रिक नीति बनाता है।

नकद आरक्षित अनुपात (CRR)- आरबीआई बैंकों को जमा का एक निश्चित प्रतिशत आरक्षित रखने के लिए कहता है।

ब्याज दरों का निर्धारण- आरबीआई रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और बैंक दर जैसी महत्वपूर्ण ब्याज दरों को निर्धारित करता है।

मुद्रा जारी करना- आरबीआई भारत में मुद्रा (नोट और सिक्के) जारी करने का एकमात्र प्राधिकरण है। इसके द्वारा ही भारत में मुद्रा जारी की जाती है।

बैंकों को लाइसेंस देना- आरबीआई  ही नए बैंकों को लाइसेंस देता है और उनके कामकाज पर नजर रखता है।

बैंकों का निरीक्षण- आरबीआई बैंकों के वित्तीय स्वास्थ्य और उनकी ऋण देने की नीतियों का निरीक्षण करता है।

बैंकिंग नियमों का निर्माण- आरबीआई बैंकों के लिए विभिन्न नियमों और विनियमों का निर्माण करता है।

सरकारी लेनदेन का प्रबंधन-आरबीआई सरकार के सभी वित्तीय लेनदेन का प्रबंधन करता है।

सरकारी ऋण का प्रबंधन-आरबीआई सरकार के लिए ऋण जारी करता है और उसकी ऋण प्रबंधन नीति का कार्यान्वयन करता है।

विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन- आरबीआई भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन करता है।

वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना- आरबीआई बैंकिंग सेवाओं को सभी तक पहुंचाने के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करता है।

ग्राहक संरक्षण- आरबीआई बैंक ग्राहकों के हितों की रक्षा करता है और उन्हें विभिन्न वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के बारे में जागरूक करता है।

आर्थिक अनुसंधान- आरबीआई अर्थव्यवस्था से संबंधित विभिन्न विषयों पर अनुसंधान करता है और नीति निर्माताओं को सलाह देता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आरबीआई के कार्य समय के साथ बदलते रहते हैं। आरबीआई भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और देश के नागरिकों के लिए वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

RBI के अब तक कितने गवर्नर हुए और उनके कार्य-

RBI के गवर्नर भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रमुख होते हैं, देश की मौद्रिक नीति और बैंकिंग प्रणाली के लिए जिम्मेदार होते हैं। गवर्नर  को भारत सरकार द्वारा 4 साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाता है। RBI के सबसे पहले गवर्नर  सर ओसबोर्न स्मिथ (1 अप्रैल 1935 – 30 जून 1937) तक थे। वो एक पेशेवर बैंकर थे। सर ओसबोर्न ने 20 वर्षों तक बैंक ऑफ न्यू साउथ वेल्स और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रमंडल बैंक में एक दशक से अधिक समय तक कार्य किया। तब से लेकर अभी तक  RBI के 25 गवर्नर हुए हैं। वर्तमान में शक्तिकांत दास गवर्नर पर पद पर कार्यरत हैं जिन्हें 11 दिसंबर 2018 को नियुक्त किया गया था। शक्तिकांत दास 1980 बैच से सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं जो वर्तमान में आरबीआई के गवर्नर के रूप में कार्यरत हैं। शक्तिकांत दास कार्यालय में 25 वें गवर्नर हैं।

RBI गवर्नर के मुख्य कार्य-

मौद्रिक नीति का निर्माण और कार्यान्वयन करना, बैंकिंग प्रणाली का विनियमन और पर्यवेक्षण सरकार का वित्तीय लेनदेन का हिसाब रखना। वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना। ब्याज दरों का निर्धारण करना। बैंकिंग सेवाओं को सभी तक पहुंचाने के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करना और देश के आर्थिक विकास के लिए नीतियां बनाना आदि इनके प्रमुख कार्य होते हैं। आपको बता दें कि आरबीआई  गवर्नर  एक स्वतंत्र पद है और  सरकार  द्वारा हस्तक्षेप  से मुक्त है। यह स्वतंत्रता  गवर्नर  को मौद्रिक नीति बनाने और बैंकिंग प्रणाली को विनियमित करने में  निष्पक्ष  और  स्वतंत्र  निर्णय लेने की अनुमति देती है।

 

 

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