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वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में हुआ पेश, सपा सांसदों ने धर्म में हस्तक्षेप का लगाया आरोप

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लोकसभा में 8 अगस्त यानी आज वक्फ संशोधन बिल पेश किया गया, जो मुस्लिम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संचालन के संबंध में नई सिफारिशें करता है। इस बिल के पेश होने के साथ ही राजनीतिक दलों के बीच बहस तेज हो गई है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने आज लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया। जैसे ही उन्होंने यह बिल प्रस्तुत किया, संसद में हंगामा मच गया। कांग्रेस, सपा, एनसीपी (शरद पवार), CPI (M), IUML, DMK, और RSP ने इस बिल का विरोध किया।

क्या है वक्फ अधिनियम,1995?

यह मुस्लिम कानून द्वारा मान्यता प्राप्त धार्मिक, पवित्र या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिये चल या अचल संपत्तियों का स्थायी समर्पण है। इसका तात्पर्य है कि मुस्लिम द्वारा संपत्ति, चाहे वह अचल हो या अचल, मूर्त या अमूर्त, ईश्वर को इस आधार पर दान करना ताकि अंतरण से जरूरतमंदों को लाभ हो सके। वक्फ से होने वाली आय आमतौर पर शैक्षणिक संस्थानों, कब्रिस्तानों,मस्जिदों और आश्रय गृहों को निधि देती है। भारत में वक्फ को वक्फ अधिनियम, 1995 द्वारा विनियमित किया जाता है।

इसमें अब क्या होगा ?

वक्फ अधिनियम, 1995 में हाल ही में हुए संशोधन बिल के बाद, वक्फ बोर्ड अब किसी भी संपत्ति को अपनी बताने का दावा नहीं कर सकेगा। पहले वक्फ बोर्ड के पास किसी भी जमीन को अपनी संपत्ति घोषित करने की शक्ति थी। अब, संपत्ति पर दावे से पहले उसका सत्यापन अनिवार्य होगा, जिससे बोर्ड की मनमानी पर प्रभावी रोक लगेगी।

बिल के विरोध में बोलने वाले नेता-

कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल: उन्होंने कहा, "हम हिंदू हैं, लेकिन हम दूसरे धर्मों की आस्था का भी सम्मान करते हैं। यह बिल महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों के लिए विशेष रूप से लाया गया है। जनता ने पिछली बार आपको साफ संदेश दिया था। यह संघीय व्यवस्था पर हमला है।"

DMK सांसद कनिमोझी: उन्होंने बिल पर आपत्ति जताते हुए कहा, "यह आर्टिकल 30 का सीधा उल्लंघन है, जो अल्पसंख्यकों को उनके संस्थानों का प्रशासन करने का अधिकार देता है। यह विधेयक एक विशेष धार्मिक समूह को लक्षित कर रहा है।"

NCP (SP) सांसद सुप्रिया सुले: उन्होंने बिल को वापस लेने या इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग की। उन्होंने कहा, "बिल का ड्राफ्ट सांसदों के पास पहुंचने के पहले ही मीडिया में आ गया। बिल पर कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया है। स्पीकर ओम बिड़ला ने बताया कि 6 अगस्त को बिल सांसदों को भेजा गया था, इसलिए सांसद पोर्टल पर जाकर इसे चेक किया जा सकता है।

सपा सांसदों का विरोध 

सपा सांसदों ने बिल का विरोध करते हुए इसे धर्म में हस्तक्षेप का आरोप लगाया। सपा सांसदों का कहना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ावा देगा, जो कि मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। उनका कहना है कि इस तरह के संशोधन से वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता और धार्मिक नियंत्रण कमजोर हो सकता है। वहीं, एनसीपी ने भी इस बिल का विरोध किया है और इसे वापस लेने की मांग की है। 
 
वक्फ संसोधन बिल के समर्थन में किसने-क्या कहा-
 
केंद्रीय पंचायती राज मंत्री ललन सिंह
 
वक्फ संशोधन बिल के समर्थन में जेडीयू सांसद और केंद्रीय पंचायती राज मंत्री ललन सिंह ने कहा कि इस बिल को मुसलमान विरोधी बताने की कोशिश की जा रही है, जबकि यह बिल मुस्लिम विरोधी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह बिल मस्जिदों पर लागू नहीं होगा, बल्कि इसे एक निरंकुश संस्था को कानून के तहत लाने के लिए पेश किया गया है।
 
भाजपा सांसद हेमा मालिनी-
 
भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने विपक्ष पर टिप्पणी करते हुए कहा कि विपक्ष हमेशा विरोध करता है और यही उनकी भूमिका है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष अच्छी योजनाओं को भी बुरा बताता है, जबकि प्रधानमंत्री ने कई सकारात्मक योजनाएं प्रस्तुत की हैं।

सरकार बिल को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता

सरकार ने इस बिल को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और बेहतर नियंत्रण के उद्देश्य से पेश किया है। बिल के अनुसार, वक्फ बोर्ड के कार्यों की निगरानी के लिए नई प्रावधानों को लागू किया जाएगा, जिससे वक्फ संपत्तियों की बेहतर देखरेख और उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।विपक्ष की आलोचनाओं और विवादों के बावजूद, सरकार का कहना है कि यह बिल धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करेगा बल्कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करेगा। इस पर अंतिम निर्णय संसद की आगामी चर्चा और मतदान पर निर्भर करेगा। लोकसभा में इस बिल के पेश होने के बाद, राजनीतिक गलियारों में इसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा और बहस जारी है। सभी पक्षों की प्रतिक्रियाओं और तर्कों को ध्यान में रखते हुए इस बिल के भविष्य पर फैसला लिया जाएगा।

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