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(Special Story) उत्तराखंड ने आज इतिहास रच दिया है। विधानसभा में चर्चा के बाद ध्वनिमत से समान नागरिक संहिता यानि UCC पास हो गया है। विधेयक के पास होते ही विधानसभा में जय श्रीराम और वंदे मातरम के नारे लगे। विधेयक पास होने के बाद अब जल्द ही कानून में बदल जाएगा। राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आज विधानसभा के विशेष सत्र में विस्तार से UCC विधेयक पर जानकारी दी।
UCC पर क्या बोले सीएम धामी-
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ये कोई सामान्य विधेयक नहीं है, भारत बड़ा देश लेकिन देश को दिशा देने का ये अवसर देवभूमि को मिला है। उन्होंने कहा कि UCC के इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है।
हमने संस्कृति को बचाने का काम किया-
सीएम धामी ने विधानसभा में बताया है कि हमने संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, जिससे उन जनजातियों का और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सके। इस संहिता में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि विवाह केवल और केवल एक पुरुष व एक महिला के मध्य ही हो सकता है। ऐसा करके हमने समाज को एक स्पष्टता देने व देश की संस्कृति को भी बचाने का काम किया है।
चार खंडों में 740 पृष्ठों का मसौदा-
प्रदेश मंत्रिमंडल ने रविवार को UCC मसौदे को स्वीकार करते हुए उसे विधेयक के रूप में छह फरवरी के दिन सदन के पटल पर रखे जाने को मंजूरी दी थी। चार खंडों में 740 पृष्ठों के इस मसौदे को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को सौंपा था।
बीजेपी ने जनता से किया था वादा-
आपको बात दें कि वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में UCC पर अधिनियम बनाकर उसे प्रदेश में लागू करना भी शामिल था। वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड राज्य में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने का इतिहास रचने के बाद बीजेपी ने मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही UCC का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दी थी।
यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है आसान शब्दों में जानें-
ज्यादातर किसी भी देश में दो तरह के कानून होते हैं। एक क्रिमिनल कानून और दूसरे सिविल कानून। क्रिमिनल कानून में चोरी, लूट, डकैती, मार-पीट, हत्या जैसे आपराधिक मामलों की सुनवाई की जाती है। इसमें सभी धर्मों या समुदायों के लिए एक ही तरह की कोर्ट प्रोसेस और सजा का होता है। दूसरे सिविल कानून में शादी-ब्याह औट संपत्ति से जुड़ा मामला सिविल कानून के अंदर आते हैं। भारत में अलग-अलग धर्मों में शादी, परिवार और संपत्ति से जुड़े मामलों में रीति-रिवाज, संस्कृति और परंपराओं का खास महत्व है। यही वजह है कि इस तरह के कानूनों को पसर्नल लॉ भी कहते हैं। जैसे- मुस्लिमों में शादी और संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के जरिए होता है। वहीं, हिंदुओं की शादी हिंदू मैरिज एक्ट के जरिए होती है। इसी तरह ईसाई और सिखों के लिए भी अलग पर्सनल लॉ हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए पर्सनल लॉ को खत्म करके सभी के लिए एक जैसा कानून बनाए जाने की मांग की जा रही है। यानि भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए निजी मामलों में भी एक समान कानून होगा, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। जैसे-पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम पुरुष 4 शादियां कर सकते हैं। लेकिन हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करना अपराध है। इनके लिए एक कानून बन जाएगा, जिसे सभी धर्म के लोगों को मानना होगा।
उत्तराखंड UCC बिल की बड़ी बातें-
सीनियर प्रोड्यूसर
Published : 7 February, 2024, 6:48 pm
Author Info : राष्ट्रीय पत्रकारिता या मेनस्ट्रीम मीडिया में 15 साल से अधिक वर्षों का अनुभव। साइंस से ग्रेजुएशन के बाद पत्रकारिता की ओर रुख किया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया...