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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) से जुड़े विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। लाखों प्रतियोगी छात्रों की उम्मीदें और उनके भविष्य को लेकर यह संस्था हमेशा से महत्वपूर्ण रही है, लेकिन हालिया घटनाओं ने आयोग की छवि और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पेपर लीक, कॉपियों की अदला-बदली, परीक्षा की तारीखों में बार-बार बदलाव और अब नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को लेकर मचे हंगामे ने छात्रों में असंतोष की लहर पैदा कर दी है।
पेपर लीक: आयोग की सबसे बड़ी नाकामी-
UPPSC की बदनामी का सबसे बड़ा कारण पेपर लीक की घटनाएं रही हैं। 2019 की एलटी ग्रेड भर्ती परीक्षा इसका बड़ा उदाहरण है। इस परीक्षा के पेपर लीक होने से हजारों छात्रों की मेहनत व्यर्थ हो गई। परीक्षा दो साल तक टाली गई, जिससे उम्मीदवारों का भविष्य अधर में लटक गया। हालात तब और खराब हो गए जब इस कांड में आरोपी एक व्यक्ति को आयोग में परीक्षा नियंत्रक बना दिया गया।
विवादों में रही आरओ/एआरओ परीक्षा 2023-
आरओ/एआरओ परीक्षा 2023 भी विवादों से अछूती नहीं रही। परीक्षा आयोजित होने के बाद पेपर लीक की पुष्टि हुई, जिससे इसे रद्द करना पड़ा। अब आयोग ने इसे दो दिन में आयोजित करने का फैसला किया है, जो छात्रों के लिए और विवाद का विषय बन गया है। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया उनकी मेहनत और तैयारी के साथ अन्याय करती है।
कॉपियों की अदला-बदली ने बढ़ाया अविश्वास-
2017 की पीसीएस मुख्य परीक्षा में कॉपियों की अदला-बदली के आरोप लगे थे, लेकिन 2022 में पीसीएस जे (जूडिशियल) परीक्षा में यह समस्या और भी गंभीर हो गई। शिकायतों के बाद आयोग को पांच नए उम्मीदवारों को सफलता सूची में शामिल करना पड़ा। यह घटना न्यायपालिका से जुड़ी होने के कारण और भी गंभीर हो जाती है, क्योंकि इससे न्याय प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े होते हैं।
नॉर्मलाइजेशन ने बढ़ाया विवाद-
नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया ने छात्रों में गहरी नाराजगी पैदा की है। आयोग ने 2024 की पीसीएस और 2023 की आरओ/एआरओ परीक्षाओं को दो दिनों में कराने का फैसला लिया है। छात्रों का मानना है कि नॉर्मलाइजेशन का यह तरीका परीक्षा की पारदर्शिता को कमजोर करता है और उनके मेहनत के अंक सही तरीके से नहीं आ पाते। छात्रों का तर्क है कि यह प्रणाली उन्हें अन्यायपूर्ण स्थिति में डाल रही है।
परीक्षा तारीखों में बदलाव से बढ़ा तनाव-
परीक्षाओं की तारीखों में लगातार बदलाव ने छात्रों की परेशानी और बढ़ा दी है। 2024 की पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा, जिसे मार्च में होना था, पहले अक्टूबर और फिर आगे स्थगित कर दी गई। यह स्थिति छात्रों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। छात्रों का कहना है कि ऐसे बदलाव उनकी तैयारी की योजनाओं को बाधित करते हैं।
छात्रों का विरोध और भविष्य की मांग-
इन विवादों के कारण छात्रों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। आयोग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। छात्रों की मांग है कि परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि यह सिर्फ तारीखों और नॉर्मलाइजेशन का मुद्दा नहीं है, बल्कि उनके भविष्य को लेकर खिलवाड़ है।
सरकार और आयोग के लिए सवाल-
UPPSC जैसे संस्थान का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखना है। छात्रों का विश्वास बनाए रखना और उनकी चिंताओं का समाधान करना आयोग की जिम्मेदारी है। सरकार को भी इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और आयोग की कार्यप्रणाली की गहन समीक्षा करनी चाहिए। छात्रों का यह आक्रोश इस बात का संकेत है कि अब UPPSC को अपने कामकाज में सुधार लाने की सख्त जरूरत है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो न केवल छात्रों का विश्वास खत्म होगा, बल्कि राज्य के लाखों युवाओं के भविष्य पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा।
परीक्षाओं में पारदर्शिता की जरूरत-
UPPSC को विवादों से बाहर निकलने के लिए पारदर्शिता, निष्पक्षता और कुशलता से काम करना होगा। सरकार को भी छात्रों की आवाज को गंभीरता से सुनना चाहिए और ऐसे ठोस कदम उठाने चाहिए, जो छात्रों के हितों की रक्षा करें और उनकी उम्मीदों को पूरा कर सकें।
Baten UP Ki Desk
Published : 15 November, 2024, 3:43 pm
Author Info : Baten UP Ki