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इंसानों की गलतियोें से बिगड़ा कार्बन चक्र, बढ़ सकता है वैश्विक तापमान का खतरा!

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मानव गतिविधियों से कार्बन चक्र में आया असंतुलन अब वैश्विक गर्मी को अप्रत्याशित रूप से बढ़ा सकता है। पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के ताज़ा अध्ययन में खुलासा हुआ है कि पृथ्वी का तापमान भविष्य में पहले किए गए अनुमानों से कहीं ज्यादा बढ़ सकता है।

कार्बन चक्र: जीवन की संतुलन प्रणाली

कार्बन चक्र पृथ्वी की सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक प्रणालियों में से एक है, जो कार्बन को वातावरण, समुद्र, भूमि और जैविक जीवन के बीच संतुलित रूप से वितरित करता है। यह चक्र ‘स्रोतों’ (जो कार्बन छोड़ते हैं) और ‘सिंक’ (जो कार्बन को अवशोषित करते हैं) के बीच संतुलन बनाता है। लेकिन औद्योगिक क्रांति के बाद मानवीय गतिविधियों ने इस संतुलन को गंभीर रूप से बिगाड़ दिया है।

पिघलती बर्फ, उठते खतरे

मीथेन उत्सर्जन और पर्माफ्रॉस्ट का पिघलना जैसी प्रक्रियाएं अब जलवायु परिवर्तन को और भी तेज़ कर रही हैं। ये प्रक्रियाएं कार्बन चक्र को अस्थिर बनाती हैं, जिससे भविष्य की गर्मी का स्तर कहीं अधिक भयावह हो सकता है।

1,000 साल आगे की तस्वीर: भविष्य और भी गर्म

शोधकर्ताओं ने अगले 1,000 वर्षों के जलवायु मॉडल का विश्लेषण किया और पाया कि इंसानी गतिविधियों से हुए मामूली उत्सर्जन भी जलवायु को अस्थिर करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। यह भविष्य में अत्यधिक तापमान वृद्धि और अप्रत्याशित मौसम बदलाव की ओर इशारा करता है।

जलवायु अनुमान: अब पहले से कठिन

जैसे-जैसे पृथ्वी की प्राकृतिक प्रणालियां लचीलापन खो रही हैं, जलवायु परिवर्तन की सटीक भविष्यवाणी करना मुश्किल होता जा रहा है। यह अनिश्चितता नीति निर्धारण को और जटिल बनाती है और यह खतरा है कि पेरिस समझौते के लक्ष्य सिर्फ राजनीतिक घोषणाएं बनकर रह जाएं।

अब नहीं तो कभी नहीं: निर्णायक कार्रवाई की जरूरत

शोधकर्ताओं का स्पष्ट संदेश है: अगर हम एक रहने योग्य पृथ्वी चाहते हैं, तो हमें उत्सर्जन में तेज़ और निर्णायक कटौती करनी होगी। केवल ठोस, साहसी और त्वरित कदम ही हमें जलवायु संकट की इस गंभीर दिशा से वापस मोड़ सकते हैं।

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